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प्रदर्शनकारी किसानों को सुरक्षा-सुविधाएं देने के लिए कोर्ट में याचिका

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें अपील की गई है कि केंद्र के साथ पंजाब, हरियाणा सरकार को विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के संबंध में दिशानिर्देश दिए जाएं. जानें क्या है पूरा मामला...

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Published : Dec 8, 2020, 5:12 PM IST

Updated : Dec 8, 2020, 6:02 PM IST

नई दिल्ली : हाल ही में लागू किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. याचिका में केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकारों को मामले में दिशानिर्देश देने की अपील की गई है. याचिकाकर्ता वकील जीएस मणि ने सीमाओं पर मुफ्त आवाजाही सुनिश्चित करने के साथ-साथ किसानों के लिए पर्याप्त सुविधाएं, आश्रय, भोजन, पेयजल, चिकित्सा और स्वच्छता आदि जैसी बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करने की मांग की है.

याचिकाकर्ता ने किसानों पर पुलिस अत्याचार की ओर भी ध्यान देने की अपील की है. उनका कहना है कि मानवाधिकार आयोग से इस संबंध में रिपोर्ट मांगने के साथ किसानों को मुआवजा दिलाया जाए.

कानून के बारे में जागरूक नहीं किया गया
याचिकाकर्ता का कहना है कि कानून लागू करने से पहले किसानों और आम नागरिकों को इसके बारे में जागरूक करने में सरकारी मशीनरी पूरी तरह फेल साबित हुई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि किसानों को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए मजबूर किया जाता है क्योंकि न्यायिक समीक्षा का अधिकार अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया है और विवादों की अपील को डिवीजनल मजिस्ट्रेट तक सीमित कर दिया गया है.

यह भी पढ़ें- भारत बंद: सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन के दौरान किसान की मौत

अनुच्छेद 12 का किया जिक्र
कानून पास करने से पहले संसद में चर्चा भी नहीं की गई. संसदीय समिति के पास भी इसे नहीं भेजा गया. एमएसपी को लेकर भी इस कानून में स्पष्ट नहीं किया गया है. किसानों का मानना ​​है कि खुला बाजार बिना किसी सरकारी नियंत्रण के एकाधिकार का कारण बनेगा. उनका कहना है कि अनुच्छेद 12 के तहत सरकार सहमति वार्ता के माध्यम से किसानों की मांगों की रक्षा करने और उन्हें पूरा करने के लिए बाध्य है.

नई दिल्ली : हाल ही में लागू किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. याचिका में केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकारों को मामले में दिशानिर्देश देने की अपील की गई है. याचिकाकर्ता वकील जीएस मणि ने सीमाओं पर मुफ्त आवाजाही सुनिश्चित करने के साथ-साथ किसानों के लिए पर्याप्त सुविधाएं, आश्रय, भोजन, पेयजल, चिकित्सा और स्वच्छता आदि जैसी बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करने की मांग की है.

याचिकाकर्ता ने किसानों पर पुलिस अत्याचार की ओर भी ध्यान देने की अपील की है. उनका कहना है कि मानवाधिकार आयोग से इस संबंध में रिपोर्ट मांगने के साथ किसानों को मुआवजा दिलाया जाए.

कानून के बारे में जागरूक नहीं किया गया
याचिकाकर्ता का कहना है कि कानून लागू करने से पहले किसानों और आम नागरिकों को इसके बारे में जागरूक करने में सरकारी मशीनरी पूरी तरह फेल साबित हुई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि किसानों को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए मजबूर किया जाता है क्योंकि न्यायिक समीक्षा का अधिकार अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया है और विवादों की अपील को डिवीजनल मजिस्ट्रेट तक सीमित कर दिया गया है.

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अनुच्छेद 12 का किया जिक्र
कानून पास करने से पहले संसद में चर्चा भी नहीं की गई. संसदीय समिति के पास भी इसे नहीं भेजा गया. एमएसपी को लेकर भी इस कानून में स्पष्ट नहीं किया गया है. किसानों का मानना ​​है कि खुला बाजार बिना किसी सरकारी नियंत्रण के एकाधिकार का कारण बनेगा. उनका कहना है कि अनुच्छेद 12 के तहत सरकार सहमति वार्ता के माध्यम से किसानों की मांगों की रक्षा करने और उन्हें पूरा करने के लिए बाध्य है.

Last Updated : Dec 8, 2020, 6:02 PM IST
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