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प्रवासी भारतीय सेल ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की

प्रवासी भारतीय सेल ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. इसमें सर्वोच्च न्यायालय से भारतीय दूतावासों / उच्चायोगों को निर्देश देने की अपील की गई है कि कोरोना के अलावा अन्य मौतों के संबंध में गृह मंत्रालय की अनुमति को अनिवार्य न माना जाए.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Apr 25, 2020, 3:10 PM IST

Updated : Apr 25, 2020, 7:01 PM IST

नई दिल्ली : प्रवासी भारतीय सेल ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में विदेश में कोरोना के अलावा अन्य बीमारियों से हुई मौत के बाद लोगों के शवों को वापस भारत लाए जाने का जिक्र किया गया है.

शीर्ष अदालत से अपील की गई है कि कोरोना के अलावा अन्य मौतों के संबंध में शवों को भारत लाने के लिए गृह मंत्रालय की अनुमति को अनिवार्य न माना जाए.

गृह मंत्रालय की मंजूरी नहीं मिलने का हवाला देते हुए, याचिकाकर्ता का कहना है कि शवों का प्रत्यावर्तन भारतीय दूतावासों के लिए मुश्किल था, जो पहले निकासी प्रमाणपत्र जारी कर रहे थे, अब गृह मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र के लेने पर जोर दे रहे हैं.

पढ़ें- उच्चतम न्यायालय में प्रवासी मजदूरों की वापसी के खिलाफ याचिका दायर

याचिकाकर्ता ने कहा है कि शवों को वापस लाने से इनकार करना नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित करना है और यह दर्शाता है कि सरकार इस तथ्य को नजरअंदाज कर रही है कि एनआरआई के लोगों की यह इच्छा होती है कि उनका अंतिम संस्कार उनके परिवार के लोगों और दोस्तों के सामने उनकी पैतृक भूमि पर किया जाए.

नई दिल्ली : प्रवासी भारतीय सेल ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में विदेश में कोरोना के अलावा अन्य बीमारियों से हुई मौत के बाद लोगों के शवों को वापस भारत लाए जाने का जिक्र किया गया है.

शीर्ष अदालत से अपील की गई है कि कोरोना के अलावा अन्य मौतों के संबंध में शवों को भारत लाने के लिए गृह मंत्रालय की अनुमति को अनिवार्य न माना जाए.

गृह मंत्रालय की मंजूरी नहीं मिलने का हवाला देते हुए, याचिकाकर्ता का कहना है कि शवों का प्रत्यावर्तन भारतीय दूतावासों के लिए मुश्किल था, जो पहले निकासी प्रमाणपत्र जारी कर रहे थे, अब गृह मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र के लेने पर जोर दे रहे हैं.

पढ़ें- उच्चतम न्यायालय में प्रवासी मजदूरों की वापसी के खिलाफ याचिका दायर

याचिकाकर्ता ने कहा है कि शवों को वापस लाने से इनकार करना नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित करना है और यह दर्शाता है कि सरकार इस तथ्य को नजरअंदाज कर रही है कि एनआरआई के लोगों की यह इच्छा होती है कि उनका अंतिम संस्कार उनके परिवार के लोगों और दोस्तों के सामने उनकी पैतृक भूमि पर किया जाए.

Last Updated : Apr 25, 2020, 7:01 PM IST
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