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कोरोना काल : शराब और नशीले पेय पर पाबंदी के लिये सुप्रीम कोर्ट में याचिका

देश में कोविड-19 संक्रमण तेजी से फैलने के मद्देनजर शराब और नशीले पेय के सेवन पर प्रतिबंध के लिये बुधवार को उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गयी. पढ़ें विस्तार से...

नशे के खिलाफ अभियान चलाए सरकार
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Published : Jul 1, 2020, 7:39 PM IST

नई दिल्ली : देश में कोविड-19 संक्रमण तेजी से फैलने के मद्देनजर शराब और नशीले पेय के सेवन पर प्रतिबंध के लिये बुधवार को उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गयी.

यह जनहित याचिका भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की है. याचिका में दलील दी गयी है कि कोविड-19 महामारी के दौरान शराब के सेवन से तेजी से स्वास्थ्य खराब होने, जोखिम भरा आचरण करने और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होने तथा हिंसा करने जैसे खतरे होते हैं.

याचिका में कहा गया है कि शराब के सेवन से अनेक तरह की संक्रामक और दूसरे प्रकार की बीमारियां तो होती ही हैं. इसके अलावा इससे मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है जो व्यक्ति को कोविड के प्रति अधिक जोखिम वाला बनाता है.

अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि शराब की बोतलों और इसके डिब्बे के दोनों ओर कम से कम 50 फीसदी हिस्से में इसका सेवन सेहत के लिये हानिकारक होने संबंधी चेतावनी छपी होनी चाहिए.

याचिका में कहा गया है कि शराब और नशीले पेय के सेवन से घरेलू हिंसा, महिलाओं के प्रति अपराध के साथ ही चोटिल होने के जोखिम बढ़ते हैं. इसके सेवन से व्यक्ति के व्यवहार में काफी बदलाव आता है जो कोविड महामारी के दौरान ज्यादा घातक हो सकता है.

याचिका में चिकित्सीय उपयोग के अलावा शराब और दूसरे नशीले पेय के सेवन पर प्रतिबंध लगाने के लिये प्रभावी नीति तैयार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

इसी तरह, याचिकाकर्ता ने देश में नशीले पेय पदार्थो के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने और जनता को इसकी खबरों के प्रति जागरूक बनाने के लिये विशेष अभियान चलाने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है.

नई दिल्ली : देश में कोविड-19 संक्रमण तेजी से फैलने के मद्देनजर शराब और नशीले पेय के सेवन पर प्रतिबंध के लिये बुधवार को उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गयी.

यह जनहित याचिका भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की है. याचिका में दलील दी गयी है कि कोविड-19 महामारी के दौरान शराब के सेवन से तेजी से स्वास्थ्य खराब होने, जोखिम भरा आचरण करने और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होने तथा हिंसा करने जैसे खतरे होते हैं.

याचिका में कहा गया है कि शराब के सेवन से अनेक तरह की संक्रामक और दूसरे प्रकार की बीमारियां तो होती ही हैं. इसके अलावा इससे मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है जो व्यक्ति को कोविड के प्रति अधिक जोखिम वाला बनाता है.

अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि शराब की बोतलों और इसके डिब्बे के दोनों ओर कम से कम 50 फीसदी हिस्से में इसका सेवन सेहत के लिये हानिकारक होने संबंधी चेतावनी छपी होनी चाहिए.

याचिका में कहा गया है कि शराब और नशीले पेय के सेवन से घरेलू हिंसा, महिलाओं के प्रति अपराध के साथ ही चोटिल होने के जोखिम बढ़ते हैं. इसके सेवन से व्यक्ति के व्यवहार में काफी बदलाव आता है जो कोविड महामारी के दौरान ज्यादा घातक हो सकता है.

याचिका में चिकित्सीय उपयोग के अलावा शराब और दूसरे नशीले पेय के सेवन पर प्रतिबंध लगाने के लिये प्रभावी नीति तैयार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

इसी तरह, याचिकाकर्ता ने देश में नशीले पेय पदार्थो के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने और जनता को इसकी खबरों के प्रति जागरूक बनाने के लिये विशेष अभियान चलाने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है.

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