नई दिल्ली : भारत में कोविड-19 के अपने टीके के आपात इस्तेमाल की अनुमति के लिए दवा कंपनी फाइजर ने अपना आवेदन वापस लेने की घोषणा की है. इससे दो दिन पहले देश के औषधि नियामक की एक विशषज्ञ समिति ने इस चरण में कंपनी के टीके को ऐसी मंजूरी देने के खिलाफ सिफारिश की थी. अधिकारियों ने शुक्रवार को इस बारे में बताया.
फाइजर ने शुक्रवार को कहा कि उसने भारत में कोविड-19 टीका के आपात इस्तेमाल के लिए अपना आवेदन वापस लेने का फैसला किया है. ब्रिटेन और बहरीन में जरूरी मंजूरी हासिल करने के बाद फाइजर ऐसी पहली कंपनी थी जिसने कोविड-19 के अपने टीके के लिए पांच दिसंबर को भारत के औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) से अनुमति मांगी थी. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) ने तीन फरवरी को फाइजर के आवेदन पर विचार-विमर्श किया था. एक अधिकारी ने कहा कि दवा कंपनी ने समिति के सामने कोविड-19 से बचाव के लिए अपने एमआरएनए आधारित टीका ‘बीएनटी162बी’ के आपात इस्तेमाल के लिए अपना प्रस्ताव प्रस्तुत किया था.
एसईसी की सिफारिशों में कहा गया समिति ने कहा कि टीका उपलब्ध कराए जाने के बाद पक्षाघात, एनाफिलेक्सिस और अन्य दुष्प्रभाव के मामले सामने आये थे और मृत्यु के मामलों की जांच की जा रही है. इसमें कहा गया कंपनी ने भारतीय आबादी के हिसाब से सुरक्षा और प्रतिरक्षा संबंधी आंकड़ा तैयार करने का भी कोई प्रस्ताव नहीं दिया. विस्तृत विचार-विमर्श के बाद समिति ने इस चरण में देश में आपात इस्तेमाल की सिफारिश नहीं की.
भारत में फिलहाल दो टीके- सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ‘कोविशील्ड’ और भारत बायोटेक के ‘कोवैक्सीन’ को सीमित आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति दी गई है. फाइजर कंपनी के एक प्रवक्ता ने बयान में कहा कि कोविड-19 टीके के आपात स्थिति में इस्तेमाल की अनुमति के संबंध में कंपनी ने एसईसी बैठक में भागीदारी की थी. प्रवक्ता ने कहा बैठक में विचार-विमर्श और नियामक के लिए जरूरी अतिरिक्त सूचनाओं के मद्देनजर हमने इस वक्त अपना आवेदन वापस लेने का फैसला किया. बयान में कहा गया कि फाइजर प्राधिकार के साथ बातचीत जारी रखेगी और निकट भविष्य में अतिरिक्त सूचना मुहैया होने पर वह मंजूरी के लिए फिर से अपना आवेदन देगी.
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आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक फाइजर ने दिसंबर 2020 में औषधि नियामक को अपना आवेदन देकर भारत में बिक्री और वितरण के लिए टीका के आयात की अनुमति मांगी थी. इसके अलावा उसने नयी औषधि और क्लिनिकल ट्रायल नियम, 2019 के तहत विशेष प्रावधानों के अनुरूप भारतीय आबादी पर प्रायोगिक परीक्षण से छूट की भी मांग की थी.