नई दिल्ली : नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की रिहाई का कश्मीरी नेताओं ने स्वागत किया है और उम्मीद जाहिर की है कि जल्द ही अन्य सभी नजरबंद नेताओं को रिहा कर दिया जाएगा.
गौरतलब है कि पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद से ही फारूक अब्दुल्ला को जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत नजरबंद रखा गया था और लगभग सात माह बाद उन्हें रिहा किया गया है.
सांसद फारूक अब्दुल्ला की रिहाई पर पीपल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीपी) के राज्यसभा सदस्य नजीर अहमद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की और सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि इससे कश्मीर में एक सकारात्मक संदेश गया है.
नजीर ने उम्मीद जाहिर की कि इसी तर्ज पर अन्य सभी नजरबंद नेताओं को भी रिहा किया जाना चाहिए, ताकि कश्मीर में सामान्य राजनीतिक प्रक्रिया की शुरुआत हो सके और राज्य में पूरी तरह से अमन चैन का वातावरण स्थापित हो.
गौरतलब है कि रिहा होते ही फारूक अब्दुल्ला ने घोषणा की है कि वह दिल्ली आकर संसद में कश्मीर की आवाज उठाएंगे. क्या आने वाले दिनों में पीडीपी सांसद भी संसद में फारूक अब्दुल्ला का साथ देंगे? इस सवाल पर पीडीपी सांसद ने कहा, 'हम सांसद हैं, जब भी हमारे राज्य में कोई मसला होगा तो उसे हम संसद के भीतर उठाएंगे. हम लोगों की आवाज उठाते हैं, हमसे लोगों को बहुत उम्मीदें बंधी हुई हैं.'
नजीर ने साथ ही यह भी कहा कि कश्मीर में अमन और वहां के लोगों की तरक्की सभी नेता चाहते हैं. उनकी राजनीतिक विचारधाराएं अलग हो सकती हैं, लेकिन सब मिलकर जनता के लिए काम करना चाहते हैं, ऐसे में निश्चित रूप से कश्मीर की भलाई के लिए वे एक साथ आवाज उठाएंगे.
संसद में अभी बजट सत्र चल रहा है, ऐसे में वह कश्मीर के लिए सरकार के सामने क्या मांगें रखेंगे? इस सवाल पर पीडीपी नेता ने कहा कि निश्चित तौर पर पीडीपी सांसद जब भी मंत्रियों से मुलाकात करते हैं तो वे कश्मीर के लिए ज्यादा से ज्यादा फंड की मांग करते हैं.
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नजाीर ने कहा कि कश्मीर चूंकि एक सीमावर्ती राज्य है और वहां के हालात सबको पता हैं, ऐसे में वहां ज्यादा से ज्यादा मदद पहुंचाने की जरूरत है.
उन्होंने सरकार के सामने यह भी मांग रखी है कि कश्मीर में संचार और इंटरनेट सेवाएं सामान्य रूप से बहाल की जाएं ताकि लोगों को हो रही असुविधा खत्म हो सके.