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RSS पथ संचलन मार्च का आयोजन, भागवत बोले- अनुच्छेद 370 पर सरकार का फैसला सही

विजयदश्मी के दिन ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नींव रखी गई थी. इस उपलक्ष्य में आज यानी मंगलवार को पथ संचलन मार्च का आयोजन किया गया है. इस दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आर्टिकल 370 पर मोदी सरकार के फैसले को सही ठहराया.

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Published : Oct 8, 2019, 9:57 AM IST

Updated : Oct 8, 2019, 12:03 PM IST

मोहन भागवत.

नागपुर: महाराष्ट्र के नागपुर में आरएसएस-पथ संचलन मार्च का आयोजन किया गया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत उसमें हिस्सा लेने पहुंचे. एचसीएल के संस्थापक शिव नाडर कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे.

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शिव नाडर का स्वागत करते हुए मोहन भागवत.

वहीं, इस आयोजन में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी हिस्सा लेने पहुंचे. इस दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री वीके सिंह भी मौजूद रहे. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी भाग लेने पहुंचे. वे नागपुर की ही सीट से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार हैं.

RSS-पथ संचलन मार्च, देखें वीडियो.

इस दौरान मौजूद सभी सदस्य पूर्ण गणवेश में नजर आए. सभी ने सफेद शर्ट और खाकी पैंट पहनी था. साथ ही सर पर टोपी भी लगाई थी. सभी ने एक बीट पर न सिर्फ सलामी दी, बल्कि मार्च भी किया.

सुबह संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संघ के वार्षिक विजयदशमी कार्यक्रम में 'शस्त्र पूजा' की.

नाडर के अलावा देश के कई उद्योपती कार्यक्रम में शामिल हुए. इसमें रतन टाटा, राहुल बजाज और अजीम प्रेमजी भी शामिल हैं.

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शिव नाडर और मोहन भागवत कार्यक्रम के दौरान.

एचसीएल के संस्थापक अध्यक्ष शिव नाडर ने कार्यक्रम के दौरान कहा:

  • सरकार अकेले देश को आगे नहीं ले जा सकती, बल्कि देश के सामने जो चुनौतियां हैं, जो समस्याएं हैं उनके समाधान के लिए सभी पक्षकारों को मिलकर काम करना होगा.
  • निजी क्षेत्र, नागरिक और गैर सरकारी संगठन चुनौतियों से निपटने के लिए सामने आएं.
  • अकेले सरकार देश को अगले स्तर तक नहीं ले जा सकती है, इसके लिए सभी पक्षकारों की बराबर भागीदारी की जरूरत है.
  • देश के समक्ष कई चुनौतियां हैं, लेकिन सरकार अकेले इनका समाधान नहीं निकाल सकती. इससे निपटने के लिए निजी क्षेत्र, नागरिकों और गैर सरकारी संगठनों को योगदान देना होगा.
    RSS etv bharat
    शाखा.

इस दौरान सभी को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के सरकार के फैसले ने एक बार फिर साबित कर दिया कि ये लोगों की उम्मीदों को पूरा करने और देश हित में लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए उनकी इच्छाओं को पूर्ण करने का साहस रखते हैं.

RSS etv bharat
संबोधित करते हुए मोहन भागवत.

पढ़ें: RSS पथ संचलन मार्च: बोले भागवत- भारत को बदनाम करने के लिये 'लिंचिंग' का इस्तेमाल न करें

इसके साथ ही उन्होंने कई अन्य बाते कहीं, वे इस प्रकार हैं:

  • भारत में प्रजातंत्र विदेशों से आयातित नई बात नहीं है, बल्कि देश के जनमानस में सदियों से चलती आई परंपरा तथा स्वातंत्र्योत्तर काल में प्राप्त हुआ अनुभव व प्रबोधन है. इनके परिणामस्वरूप प्रजातंत्र में रहना व प्रजातंत्र को सफलतापूर्वक चलाना यह समाज का मन बन गया है.
  • नई सरकार को बढ़ी हुई संख्या में फिर से चुनकर समाज ने उनके पिछले कार्यों की सम्मति व आने वाले समय के लिए बहुत सारी अपेक्षाओं को व्यक्त किया था.
  • जन अपेक्षाओं को प्रत्यक्ष में साकार कर, जन भावनाओं का सम्मान करते हुए, देशहित में उनकी इच्छाएं पूर्ण करने का साहस दोबारा चुने हुए शासन में है. धारा 370 को अप्रभावी बनाने के सरकार के काम से यह बात सिद्ध हुई है.
  • यह कदम अपनी पूर्णता तब प्राप्त कर लेगा, जब 370 के प्रभाव में न हो सके न्याय्य कार्य सम्पन्न होंगे तथा उसी प्रभाव के कारण चलते आये अन्यायों की समाप्ति होगी.
    RSS etv bharat
    शाखा.
  • हमारे वैज्ञानिकों ने अब तक चंद्रमा के अनछुए क्षेत्र, उसके दक्षिण ध्रुव पर अपना चांद्रयान 'विक्रम' उतारा. अपेक्षा के अनुरूप पूर्ण सफलता न मिली, परंतु पहले ही प्रयास में इतना कुछ कर पाना यह भी सारी दुनिया को अबतक साध्य न हुई एक बात थी.
  • हमारे देश की बौद्धिक प्रतिभा व वैज्ञानिकता के संकल्प को परिश्रमपूर्वक पूर्ण करने की लगन का सम्मान हमारे वैज्ञानिकों के इस पराक्रम के कारण दुनिया में सर्वत्र बढ़ गया है.
  • सुखद वातावरण में अलसा कर हम अपनी सजगता व अपनी तत्परता को भुला दें, सब कुछ शासन पर छोड़ कर निष्क्रिय होकर विलासिता व स्वार्थों में मग्न हो ऐसा समय नहीं है. इस दिशा में हम लोगों ने चलना प्रारंभ किया है. वह अपना अंतिम लक्ष्य-परमवैभव संपन्न भारत-अभी दूर है.
  • मार्ग के रोड़े, बाधाएं और हमें रोकने की इच्छा रखने वाली शक्तियों के कारनामे अभी समाप्त नहीं हुए हैं. हमारे सामने कुछ संकट हैं, जिनका उपाय हमें करना है. कुछ प्रश्न है, जिनके उत्तर हमें देने हैं, और कुछ समस्याएं हैं, जिनका निदान कर हमें उन्हें सुलझाना है.
  • सौभाग्य से हमारे देश के सुरक्षा सामर्थ्य की स्थिति, हमारे सेना की तैयारी, हमारे शासन की सुरक्षा नीति तथा हमारे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कुशलता की स्थिति इस प्रकार की बनी है कि इस मामले में हम लोग सजग और आश्वस्त हैं.
  • हमारी स्थल सीमा तथा जल सीमाओं पर सुरक्षा सतर्कता पहले से अच्छी है. केवल स्थल सीमापर रक्षक व चौकियों की संख्या व जल सीमा पर(द्वीपों वाले टापुओं की) निगरानी अधिक बढ़ानी पड़ेगी. देश के अन्दर भी उग्रवादी हिंसा में कमी आयी है. उग्रवादियों के आत्मसमर्पण की संख्या भी बढ़ी है.
  • गत कुछ वर्षों में एक परिवर्तन भारत की सोच की दिशा में आया है. उसको न चाहने वाले व्यक्ति दुनिया में भी है और भारत में भी. भारत को बढ़ता हुआ देखना, जिनके स्वार्थों के लिए भय पैदा करता है. ऐसी शक्तियां भी भारत को दृढ़ता व शक्ति से संपन्न होने नहीं देना चाहती.
  • समाज के विभिन्न वर्गों को आपस में सद्भावना, संवाद तथा सहयोग बढ़ाने के प्रयास में प्रयासरत होना चाहिए. समाज के सभी वर्गों का सद्भाव, समरसता व सहयोग तथा कानून संविधान की मर्यादा में ही अपने मतों की अभिव्यक्ति यह आज की स्थिति में नितांत आवश्यक बात है.
  • कानून और व्यवस्था की सीमा का उल्लंघन कर हिंसा की प्रवृत्ति समाज में परस्पर संबंधों को नष्ट कर अपना प्रताप दिखाती है. यह प्रवृत्ति हमारे देश की परंपरा नहीं है, न ही हमारे संविधान में यह बैठती है. कितना भी मतभेद हो, कानून और संविधान की मर्यादा के अंदर ही, न्याय व्यवस्था में चलना पड़ेगा.
  • समाज के विभिन्न वर्गों को आपस में सद्भावना, संवाद तथा सहयोग बढ़ाने के प्रयास में प्रयासरत होना चाहिए. समाज के सभी वर्गों का सद्भाव, समरसता व सहयोग तथा कानून संविधान की मर्यादा में ही अपने मतों की अभिव्यक्ति यह आज की स्थिति में नितांत आवश्यक बात है.
  • कुछ बातों का निर्णय न्यायालय से ही होना पड़ताहै. निर्णय कुछ भीहो आपस के सद्भाव को किसी भी बातसे ठेस न पहुंचे ऐसी वाणी और कृति सभी जिम्मेदार नागरिकों की होनी चाहिए. यह जिम्मेदारी किसी एक समूह की नहीं है. यह सभीकी जिम्मेदारी है. सभी को उसका पालन करना चाहिए.
  • दैनन्दिन जीवन में देशभक्ति की अभिव्यक्ति को ही स्व. दत्तोपंत ठेंगड़ी 'स्वदेशी' मानते थे. स्व. विनोबाजी भावे ने उसका अर्थ 'स्वावलंबन तथा अहिंसा' बताया.
  • सभी मानकों में स्वनिर्भरता तथा देश में सबको रोजगार ऐसी शक्ति रखने वाले ही अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारिक संबंध बना सकते हैं, बढ़ा सकते हैं तथा स्वयं सुरक्षित रहकर विश्वमानवता को भी एक सुरक्षित व निरामय भविष्य दे सकते हैं.
  • स्वभाषा, स्वभूषा, स्वसंस्कृति का सम्यक् परिचय तथा उसके बारे में गौरव प्रदान करने वाली कालसुसंगत, तर्कशुद्ध सत्यनिष्ठा, कर्तव्य बोध तथा विश्व के प्रति आत्मीय दृष्टिकोण व जीवों के प्रति करुणा की भावना देने वाली शिक्षा पद्धति हमको चाहिए.
  • पाठ्यक्रम से लेकर तो शिक्षकों के प्रशिक्षण तक सब बातों में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता लगती है. केवल ढांचागत परिवर्तनों से काम बनने वाला नहीं है.
  • शिक्षा में इन सब बातों के अभाव के साथ हमारे देश में परिवारों में होने वाला संस्कारों का क्षरण व सामाजिक जीवन में मूल्य निष्ठा विरहित आचरण यह समाज जीवन में दो बहुत बड़ी समस्याएं उत्पन्न करने के लिए कारण बनता है.
  • जिस देश में मातृवत परदारेषु की भावना थी, महिलाओं के सम्मान की रक्षा के लिए रामायण महाभारत, जैसे महाकाव्यों का विषय बनने वाले भीषण संग्राम हुए, स्वयं की मान रक्षा हेतु जौहर जैसे बलिदान हुए.
  • उस देश में आज हमारी माता बहनें न समाज में सुरक्षित, न परिवार में. इस प्रकार की घटनाएं घट रही है.
  • अपनी मातृशक्ति को हमको प्रबुद्ध, स्वावलंबनक्षम, स्वसंरक्षणक्षम बनाना ही होगा. महिलाओं को देखने की पुरुषों की दृष्टि में हमारी संस्कृति के पवित्रता व शालीनता के संस्कार भरने ही पड़ेंगे.
  • बिना श्रम व बिना अधिकार के अधिक पाने का लालच, कुसंस्कार के रूप में हमारे मन में पैठ कर बैठा है. यह ऐसे भ्रष्ट आचरण का मूल कारण है. सामाजिक वातावरण में घरों में सब प्रकार के प्रबोधन से तथा अपने आचरण के उदाहरण से इस परिस्थिति को बदलना, देश के स्वास्थ्य व सुव्यवस्था के लिए अनिवार्य है.
  • समाज के प्रबोधन तथा समाज में वातावरण निर्माण करने में माध्यमों की बहुत बड़ी भूमिका हो सकती है. व्यापारिक दृष्टि से केवल मसालेदार व सनसनीखेज विषयों को उभारने के मोह से बाहर आकर अगर माध्यम भी इस वातावरण की निर्मिती में जुड़ जाएं तो यह कार्य और भी तेज गति से हो सकता है.
  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गत 9 दशकों से समाज में एकात्मता व सद्भावना, सदाचरण व सद्व्यवहार तथा इस राष्ट्र के प्रति स्पष्ट दृष्टि व भक्ति उत्पन्न करने का कार्य कर रहा है.
  • संघ हिन्दू समाज का संगठन करता है. इसका अर्थ वह अपने आप को हिन्दू न कहने वाले समाज के वर्गों, विशेषकर मुस्लिम व ईसाइयों से शत्रुता रखता है, यह नितान्त असत्य व विपर्यस्त प्रचार चल रहा है.
  • हिन्दू समाज, हिन्दुत्व इनके बारे में अनेक प्रमाणहीन, विकृत आरोप लगाकर उनको भी बदनाम करने का प्रयास चलता ही आया है. इन सब कुचक्रों के पीछे हमारे समाज का निरंतर विघटन होता रहे, उसका उपयोग अपने स्वार्थलाभ के लिये हों, यह सोच काम कर रही है.
  • संघ की अपने राष्ट्र के पहचान के बारे में, हम सबकी सामूहिक पहचान के बारे में, हमारे देश के स्वभाव की पहचान के बारे में स्पष्ट दृष्टि व घोषणा है, वह सुविचारित व अडिग है कि भारत हिंदुस्थान, हिंदू राष्ट्र है.
  • संघ की दृष्टि में हिंदू शब्द केवल अपने आप को हिंदू कहने वालों के लिए नहीं है, जो भारत के हैं, भारतीय पूर्वजों के वंशज है तथा सभी विविधताओं का स्वीकार सम्मान व स्वागत करते हुए आपस में मिलजुल कर देश का वैभव तथा मानवता में शांति बढ़ाने का काम करने में जुटे रहते हैं वे सभी भारतीय हिंदू हैं.
  • संघ सम्पूर्ण हिन्दू समाज को ऐसा बलसम्पन्न तथा सुशील व सद्भावी बनाएगा, जो किसी से न डरेंगे, न किसी को डरायेंगे, बल्कि दुर्बल व भयग्रस्त लोगों की रक्षा करेंगे.
  • हमारे इस प्राचीन राष्ट्र का, कालसुसंगत परमवैभवसम्पन्न रूप प्रत्यक्ष साकार करने का भव्य लक्ष्य, इसकी धर्मप्राण प्रकृति व संस्कृति का संरक्षण संवर्धन ही इस अपनत्व का केन्द्र व लक्ष्य है.

बता दें, यह कार्यक्रम विजयदश्मी के मौके पर आरएसएस द्वारा नागपुर में आयोजित किया गया है. विजयदश्मी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नीव रखी गई थी. साल 1925 में 27 सितंबर वो तारीख है, जब डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने आरएसएस की नींव रखी.

इसकी शुरुआत मुंबई से हुई और आज इसकी पूरे देश में 50 हजार शाखाएं हैं. फिलहाल, अब इसका मुख्यालय नागपुर में है और मोहन भागवत संघसंचालक हैं. संघसंचालक का पद संगठनात्मक रूप में सबसे उच्च है.

नागपुर: महाराष्ट्र के नागपुर में आरएसएस-पथ संचलन मार्च का आयोजन किया गया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत उसमें हिस्सा लेने पहुंचे. एचसीएल के संस्थापक शिव नाडर कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे.

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शिव नाडर का स्वागत करते हुए मोहन भागवत.

वहीं, इस आयोजन में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी हिस्सा लेने पहुंचे. इस दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री वीके सिंह भी मौजूद रहे. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी भाग लेने पहुंचे. वे नागपुर की ही सीट से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार हैं.

RSS-पथ संचलन मार्च, देखें वीडियो.

इस दौरान मौजूद सभी सदस्य पूर्ण गणवेश में नजर आए. सभी ने सफेद शर्ट और खाकी पैंट पहनी था. साथ ही सर पर टोपी भी लगाई थी. सभी ने एक बीट पर न सिर्फ सलामी दी, बल्कि मार्च भी किया.

सुबह संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संघ के वार्षिक विजयदशमी कार्यक्रम में 'शस्त्र पूजा' की.

नाडर के अलावा देश के कई उद्योपती कार्यक्रम में शामिल हुए. इसमें रतन टाटा, राहुल बजाज और अजीम प्रेमजी भी शामिल हैं.

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शिव नाडर और मोहन भागवत कार्यक्रम के दौरान.

एचसीएल के संस्थापक अध्यक्ष शिव नाडर ने कार्यक्रम के दौरान कहा:

  • सरकार अकेले देश को आगे नहीं ले जा सकती, बल्कि देश के सामने जो चुनौतियां हैं, जो समस्याएं हैं उनके समाधान के लिए सभी पक्षकारों को मिलकर काम करना होगा.
  • निजी क्षेत्र, नागरिक और गैर सरकारी संगठन चुनौतियों से निपटने के लिए सामने आएं.
  • अकेले सरकार देश को अगले स्तर तक नहीं ले जा सकती है, इसके लिए सभी पक्षकारों की बराबर भागीदारी की जरूरत है.
  • देश के समक्ष कई चुनौतियां हैं, लेकिन सरकार अकेले इनका समाधान नहीं निकाल सकती. इससे निपटने के लिए निजी क्षेत्र, नागरिकों और गैर सरकारी संगठनों को योगदान देना होगा.
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    शाखा.

इस दौरान सभी को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के सरकार के फैसले ने एक बार फिर साबित कर दिया कि ये लोगों की उम्मीदों को पूरा करने और देश हित में लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए उनकी इच्छाओं को पूर्ण करने का साहस रखते हैं.

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संबोधित करते हुए मोहन भागवत.

पढ़ें: RSS पथ संचलन मार्च: बोले भागवत- भारत को बदनाम करने के लिये 'लिंचिंग' का इस्तेमाल न करें

इसके साथ ही उन्होंने कई अन्य बाते कहीं, वे इस प्रकार हैं:

  • भारत में प्रजातंत्र विदेशों से आयातित नई बात नहीं है, बल्कि देश के जनमानस में सदियों से चलती आई परंपरा तथा स्वातंत्र्योत्तर काल में प्राप्त हुआ अनुभव व प्रबोधन है. इनके परिणामस्वरूप प्रजातंत्र में रहना व प्रजातंत्र को सफलतापूर्वक चलाना यह समाज का मन बन गया है.
  • नई सरकार को बढ़ी हुई संख्या में फिर से चुनकर समाज ने उनके पिछले कार्यों की सम्मति व आने वाले समय के लिए बहुत सारी अपेक्षाओं को व्यक्त किया था.
  • जन अपेक्षाओं को प्रत्यक्ष में साकार कर, जन भावनाओं का सम्मान करते हुए, देशहित में उनकी इच्छाएं पूर्ण करने का साहस दोबारा चुने हुए शासन में है. धारा 370 को अप्रभावी बनाने के सरकार के काम से यह बात सिद्ध हुई है.
  • यह कदम अपनी पूर्णता तब प्राप्त कर लेगा, जब 370 के प्रभाव में न हो सके न्याय्य कार्य सम्पन्न होंगे तथा उसी प्रभाव के कारण चलते आये अन्यायों की समाप्ति होगी.
    RSS etv bharat
    शाखा.
  • हमारे वैज्ञानिकों ने अब तक चंद्रमा के अनछुए क्षेत्र, उसके दक्षिण ध्रुव पर अपना चांद्रयान 'विक्रम' उतारा. अपेक्षा के अनुरूप पूर्ण सफलता न मिली, परंतु पहले ही प्रयास में इतना कुछ कर पाना यह भी सारी दुनिया को अबतक साध्य न हुई एक बात थी.
  • हमारे देश की बौद्धिक प्रतिभा व वैज्ञानिकता के संकल्प को परिश्रमपूर्वक पूर्ण करने की लगन का सम्मान हमारे वैज्ञानिकों के इस पराक्रम के कारण दुनिया में सर्वत्र बढ़ गया है.
  • सुखद वातावरण में अलसा कर हम अपनी सजगता व अपनी तत्परता को भुला दें, सब कुछ शासन पर छोड़ कर निष्क्रिय होकर विलासिता व स्वार्थों में मग्न हो ऐसा समय नहीं है. इस दिशा में हम लोगों ने चलना प्रारंभ किया है. वह अपना अंतिम लक्ष्य-परमवैभव संपन्न भारत-अभी दूर है.
  • मार्ग के रोड़े, बाधाएं और हमें रोकने की इच्छा रखने वाली शक्तियों के कारनामे अभी समाप्त नहीं हुए हैं. हमारे सामने कुछ संकट हैं, जिनका उपाय हमें करना है. कुछ प्रश्न है, जिनके उत्तर हमें देने हैं, और कुछ समस्याएं हैं, जिनका निदान कर हमें उन्हें सुलझाना है.
  • सौभाग्य से हमारे देश के सुरक्षा सामर्थ्य की स्थिति, हमारे सेना की तैयारी, हमारे शासन की सुरक्षा नीति तथा हमारे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कुशलता की स्थिति इस प्रकार की बनी है कि इस मामले में हम लोग सजग और आश्वस्त हैं.
  • हमारी स्थल सीमा तथा जल सीमाओं पर सुरक्षा सतर्कता पहले से अच्छी है. केवल स्थल सीमापर रक्षक व चौकियों की संख्या व जल सीमा पर(द्वीपों वाले टापुओं की) निगरानी अधिक बढ़ानी पड़ेगी. देश के अन्दर भी उग्रवादी हिंसा में कमी आयी है. उग्रवादियों के आत्मसमर्पण की संख्या भी बढ़ी है.
  • गत कुछ वर्षों में एक परिवर्तन भारत की सोच की दिशा में आया है. उसको न चाहने वाले व्यक्ति दुनिया में भी है और भारत में भी. भारत को बढ़ता हुआ देखना, जिनके स्वार्थों के लिए भय पैदा करता है. ऐसी शक्तियां भी भारत को दृढ़ता व शक्ति से संपन्न होने नहीं देना चाहती.
  • समाज के विभिन्न वर्गों को आपस में सद्भावना, संवाद तथा सहयोग बढ़ाने के प्रयास में प्रयासरत होना चाहिए. समाज के सभी वर्गों का सद्भाव, समरसता व सहयोग तथा कानून संविधान की मर्यादा में ही अपने मतों की अभिव्यक्ति यह आज की स्थिति में नितांत आवश्यक बात है.
  • कानून और व्यवस्था की सीमा का उल्लंघन कर हिंसा की प्रवृत्ति समाज में परस्पर संबंधों को नष्ट कर अपना प्रताप दिखाती है. यह प्रवृत्ति हमारे देश की परंपरा नहीं है, न ही हमारे संविधान में यह बैठती है. कितना भी मतभेद हो, कानून और संविधान की मर्यादा के अंदर ही, न्याय व्यवस्था में चलना पड़ेगा.
  • समाज के विभिन्न वर्गों को आपस में सद्भावना, संवाद तथा सहयोग बढ़ाने के प्रयास में प्रयासरत होना चाहिए. समाज के सभी वर्गों का सद्भाव, समरसता व सहयोग तथा कानून संविधान की मर्यादा में ही अपने मतों की अभिव्यक्ति यह आज की स्थिति में नितांत आवश्यक बात है.
  • कुछ बातों का निर्णय न्यायालय से ही होना पड़ताहै. निर्णय कुछ भीहो आपस के सद्भाव को किसी भी बातसे ठेस न पहुंचे ऐसी वाणी और कृति सभी जिम्मेदार नागरिकों की होनी चाहिए. यह जिम्मेदारी किसी एक समूह की नहीं है. यह सभीकी जिम्मेदारी है. सभी को उसका पालन करना चाहिए.
  • दैनन्दिन जीवन में देशभक्ति की अभिव्यक्ति को ही स्व. दत्तोपंत ठेंगड़ी 'स्वदेशी' मानते थे. स्व. विनोबाजी भावे ने उसका अर्थ 'स्वावलंबन तथा अहिंसा' बताया.
  • सभी मानकों में स्वनिर्भरता तथा देश में सबको रोजगार ऐसी शक्ति रखने वाले ही अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारिक संबंध बना सकते हैं, बढ़ा सकते हैं तथा स्वयं सुरक्षित रहकर विश्वमानवता को भी एक सुरक्षित व निरामय भविष्य दे सकते हैं.
  • स्वभाषा, स्वभूषा, स्वसंस्कृति का सम्यक् परिचय तथा उसके बारे में गौरव प्रदान करने वाली कालसुसंगत, तर्कशुद्ध सत्यनिष्ठा, कर्तव्य बोध तथा विश्व के प्रति आत्मीय दृष्टिकोण व जीवों के प्रति करुणा की भावना देने वाली शिक्षा पद्धति हमको चाहिए.
  • पाठ्यक्रम से लेकर तो शिक्षकों के प्रशिक्षण तक सब बातों में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता लगती है. केवल ढांचागत परिवर्तनों से काम बनने वाला नहीं है.
  • शिक्षा में इन सब बातों के अभाव के साथ हमारे देश में परिवारों में होने वाला संस्कारों का क्षरण व सामाजिक जीवन में मूल्य निष्ठा विरहित आचरण यह समाज जीवन में दो बहुत बड़ी समस्याएं उत्पन्न करने के लिए कारण बनता है.
  • जिस देश में मातृवत परदारेषु की भावना थी, महिलाओं के सम्मान की रक्षा के लिए रामायण महाभारत, जैसे महाकाव्यों का विषय बनने वाले भीषण संग्राम हुए, स्वयं की मान रक्षा हेतु जौहर जैसे बलिदान हुए.
  • उस देश में आज हमारी माता बहनें न समाज में सुरक्षित, न परिवार में. इस प्रकार की घटनाएं घट रही है.
  • अपनी मातृशक्ति को हमको प्रबुद्ध, स्वावलंबनक्षम, स्वसंरक्षणक्षम बनाना ही होगा. महिलाओं को देखने की पुरुषों की दृष्टि में हमारी संस्कृति के पवित्रता व शालीनता के संस्कार भरने ही पड़ेंगे.
  • बिना श्रम व बिना अधिकार के अधिक पाने का लालच, कुसंस्कार के रूप में हमारे मन में पैठ कर बैठा है. यह ऐसे भ्रष्ट आचरण का मूल कारण है. सामाजिक वातावरण में घरों में सब प्रकार के प्रबोधन से तथा अपने आचरण के उदाहरण से इस परिस्थिति को बदलना, देश के स्वास्थ्य व सुव्यवस्था के लिए अनिवार्य है.
  • समाज के प्रबोधन तथा समाज में वातावरण निर्माण करने में माध्यमों की बहुत बड़ी भूमिका हो सकती है. व्यापारिक दृष्टि से केवल मसालेदार व सनसनीखेज विषयों को उभारने के मोह से बाहर आकर अगर माध्यम भी इस वातावरण की निर्मिती में जुड़ जाएं तो यह कार्य और भी तेज गति से हो सकता है.
  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गत 9 दशकों से समाज में एकात्मता व सद्भावना, सदाचरण व सद्व्यवहार तथा इस राष्ट्र के प्रति स्पष्ट दृष्टि व भक्ति उत्पन्न करने का कार्य कर रहा है.
  • संघ हिन्दू समाज का संगठन करता है. इसका अर्थ वह अपने आप को हिन्दू न कहने वाले समाज के वर्गों, विशेषकर मुस्लिम व ईसाइयों से शत्रुता रखता है, यह नितान्त असत्य व विपर्यस्त प्रचार चल रहा है.
  • हिन्दू समाज, हिन्दुत्व इनके बारे में अनेक प्रमाणहीन, विकृत आरोप लगाकर उनको भी बदनाम करने का प्रयास चलता ही आया है. इन सब कुचक्रों के पीछे हमारे समाज का निरंतर विघटन होता रहे, उसका उपयोग अपने स्वार्थलाभ के लिये हों, यह सोच काम कर रही है.
  • संघ की अपने राष्ट्र के पहचान के बारे में, हम सबकी सामूहिक पहचान के बारे में, हमारे देश के स्वभाव की पहचान के बारे में स्पष्ट दृष्टि व घोषणा है, वह सुविचारित व अडिग है कि भारत हिंदुस्थान, हिंदू राष्ट्र है.
  • संघ की दृष्टि में हिंदू शब्द केवल अपने आप को हिंदू कहने वालों के लिए नहीं है, जो भारत के हैं, भारतीय पूर्वजों के वंशज है तथा सभी विविधताओं का स्वीकार सम्मान व स्वागत करते हुए आपस में मिलजुल कर देश का वैभव तथा मानवता में शांति बढ़ाने का काम करने में जुटे रहते हैं वे सभी भारतीय हिंदू हैं.
  • संघ सम्पूर्ण हिन्दू समाज को ऐसा बलसम्पन्न तथा सुशील व सद्भावी बनाएगा, जो किसी से न डरेंगे, न किसी को डरायेंगे, बल्कि दुर्बल व भयग्रस्त लोगों की रक्षा करेंगे.
  • हमारे इस प्राचीन राष्ट्र का, कालसुसंगत परमवैभवसम्पन्न रूप प्रत्यक्ष साकार करने का भव्य लक्ष्य, इसकी धर्मप्राण प्रकृति व संस्कृति का संरक्षण संवर्धन ही इस अपनत्व का केन्द्र व लक्ष्य है.

बता दें, यह कार्यक्रम विजयदश्मी के मौके पर आरएसएस द्वारा नागपुर में आयोजित किया गया है. विजयदश्मी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नीव रखी गई थी. साल 1925 में 27 सितंबर वो तारीख है, जब डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने आरएसएस की नींव रखी.

इसकी शुरुआत मुंबई से हुई और आज इसकी पूरे देश में 50 हजार शाखाएं हैं. फिलहाल, अब इसका मुख्यालय नागपुर में है और मोहन भागवत संघसंचालक हैं. संघसंचालक का पद संगठनात्मक रूप में सबसे उच्च है.

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ANI



@ANI



Maharashtra: RSS Chief Mohan Bhagwat, Maharashtra CM Devendra Fadnavis, Union Ministers Nitin Gadkari & General (retd.) VK Singh at an event organised by RSS in Nagpur on the occasion of #VijayaDashami. HCL founder Shiv Nadar is the chief guest at the event.


Conclusion:
Last Updated : Oct 8, 2019, 12:03 PM IST
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