नई दिल्ली : कागज उद्योग के एक संगठन ने आसियान देशों से कागज आयात में हो रही बेतहाशा वृद्धि पर चिंता व्यक्त की है. संगठन ने बृहस्पतिवार को कहा कि पिछले नौ साल में आसियान देशों से कागज आयात 29 हजार टन से बढ़कर 343 हजार टन पर पहुंच गया.
इंडियन पेपर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईपीएमए) ने भारत-आसियान एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) की समीक्षा का स्वागत किया.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को लिखे एक पत्र में एसोसिएशन ने पेपर एवं पेपरबोर्ड आयात को नकारात्मक सूची में डालने की अपील की, ताकि स्थानीय कागज विनिर्मताओं को प्रतिस्पर्धा का उचित माहौल मिल सके. उसने कहा कि अभी आसियान देशों से विशेष तौर पर लिखने और छपाई के कागज का बेतहाशा आयात हो रहा है.
आईपीएमए ने कहा कि एक जनवरी 2010 को आसियान-भारत एफटीए प्रभावी होने के बाद और भारत में बेसिक कस्टम ड्यूटी लगातार कम करते हुए शून्य कर दिये जाने के बाद से आसियान देशों से कागज और गत्ते का आयात बहुत तेजी से बढ़ा है.
बताया गया कि आसियान देशों से कागज और गत्ते का आयात 2010-11 में 29 हजार टन था, जो 2019-20 में 1100 प्रतिशत बढ़कर 343 हजार टन पर पहुंच गया है. भारत के कुल कागज आयात में आसियान देशों की हिस्सेदारी 2010-11 में करीब पांच प्रतिशत थी, जो 2019-20 में चार गुना बढ़कर करीब 21 प्रतिशत हो गयी.
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आईपीएमए के अध्यक्ष ए. एस. मेहता ने कहा, 'आसियान देशों से शून्य प्रतिशत की बेसिक कस्टम ड्यूटी पर होने वाले बेतहाशा आयात के कारण घरेलू कागज उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. कई छोटी पेपर मिल एवं कुछ बड़ी पेपर मिल को घाटे के कारण बंद करना पड़ा है. देश में कागज उत्पादन की पर्याप्त क्षमता है, जिसका पूरा प्रयोग नहीं हो पा रहा है.'