इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने दुनिया की आंखों में धूल झोंकने के लिए नई चाल चली है. पाक आतंकियों के खिलाफ ऐक्शन दिखाने के लिए उनके खिलाफ फर्जी एफआईआर कर रहा है. पाक फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ब्लैक लिस्ट से बचने के लिए आतंकियों के खिलाफ फर्जी कार्रवाई कर रहा है. दरअसल, पाकिस्तान को आतंकी फंडिंग रोकने और आतंकियों के खिलाफ ठोस कदम उठाने को कहा गया था.
टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगाने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को पिछले साल अपनी 'ग्रे लिस्ट' में रखा था. सितंबर में एफएटीएफ पाक को आतंकवाद पर ठीक ढंग से कार्रवाई न करने के लिए ब्लैकलिस्ट कर सकता है. हालांकि, इमरान सरकार ने अब इससे बचने के लिए आतंकियों के खिलाफ नकली और कमजोर मुकदमे दर्ज करवाने शुरू कर दिए हैं.
एक जुलाई को प्रतिबंधित दावत-वल-इरशाद के एक आतंकी के खिलाफ जमीन विवाद को लेकर गुजरांवाला पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई. यह संगठन हाफिज सईद के आतंकी संगठन लश्कर-ए-ताइबा का ही सहायक संगठन है. लेकिन केस इतना कमजोर है कि कोर्ट में आतंकी पर कोई कार्रवाई होने की संभावना नहीं है. FIR में दावत-उल-इरशाद के नाम का जिक्र है जो जमात-उद-दावा का पुराना नाम है.
इसके अलावा एफआईआर में लश्कर प्रमुख हाफिज सईद या आतंकी अब्दुल गफ्फार, हाफिज मसूद, आमिर हमजा और मलिक जफर इकबाल के नाम का जिक्र भी नहीं है, जबकि यह सब भी उस जमीन के मालिकों में शामिल थे. एफआईआर में आतंकी संगठन जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत का भी कोई जिक्र नहीं है. बल्कि एक जगह इसमें दावत-वल-इरशाद का जिक्र किया गया है जो कि जमात-उद-दावा का पुराना नाम है.
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इस एफआईआर में लिखा गया है कि आगे इसकी जांच भी नहीं की जाएगी. बता दें, लश्कर-ए-ताइबा और दावत-उल-इरशाद आतंकी गतिविधियों में लिप्त हैं और इस तरह की प्रॉप्रर्टी का इस्तेमाल कर ये प्रतिबंधित संगठन आतंकियों की फंडिंग के लिए पैसा इकट्ठा करते हैं. एक सूत्र ने कहा कि एफआईआर में इस बात का भी जिक्र नहीं है कि कैसे आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया गया. ऐसे में साफ है कि यह पूरी एक्सर्साइज़ FATF की आंखों में धूल झोंकने के लिए है.
आपको बता दें कि FATF की फाइनल मीटिंग सितंबर के पहले हफ्ते में हो सकती है और इस दौरान पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से निकालने, रखने या देश को ब्लैकलिस्ट करने पर फैसला होगा. FATF द्वारा प्रतिबंध से बचने के लिए पाकिस्तान आतंकी संगठनों के खिलाफ कमजोर और फर्जी केस दर्ज करा रहा है.
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बता दें, जी-7 देशों की पहल पर एफएटीएफ की स्थापना 1989 में हुई था. ये एक अंतरराष्ट्रीय निकाय है. इस संगठन के सदस्यों की संख्या 37 है. भारत भी इस संगठन का सदस्य है. इसका मुख्य उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग पर लगाम लगाने में नाकाम देशों की रेटिंग तैयार करना है. एफएटीएफ ऐसे देशों की दो लिस्ट तैयार करता है.
पहली लिस्ट ग्रे और दूसरी ब्लैक होती है. ग्रे लिस्ट में शामिल होने वाले देशों को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से आर्थिक मदद मिलने में मुश्किल होती है. वहीं, ब्लैक लिस्ट में आने वाले देशों को आर्थिक सहायता मिलने का रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाता है.