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POK जल्द होगा भारत का हिस्सा : एस जयशंकर - 100 days of Modi government

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मोदी सरकार के 100 दिन पूरे होने पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि, पीओके भारत का हिस्सा है और जल्द ही ये भारत का हिस्सा होगा. जानें उन्होंने और क्या कुछ कहा....

विदेश मंत्री एस जयशंकर
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Published : Sep 17, 2019, 8:03 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 11:49 PM IST

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पीओके को भारतीय हिस्सा बताते हुए एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि पीओके एक दिन भारत का भौगोलिक हिस्सा होगा. जयशंकर ने कहा कि जबतक पड़ोसी देश आतंकवाद को बढ़ावा देना नहीं रोकेगा तबतक उससे बातचीत नहीं होगी.

जयशंकर ने कहा कहा कि एक सीमा के बाद इस बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है कि कश्मीर पर लोग क्या कहेंगे क्योंकि यह भारत का आंतरिक मामला है और अपने आंतरिक मामलों में भारत की स्थिति मजबूत रही है और मजबूत रहेगी.जम्मू-कश्मीर से आर्टीकल 370 हटाने को आतंरिक मुद्दा बताते हुए जयशंकर ने कहा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा है और हमें उम्मीद है कि एक दिन उसपर हमारा अधिकार होगा.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा POK जल्द होगा भारत का हिस्सा

इस बयान को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के भारत के फैसले की पृष्ठभूमि में जारी चर्चा के मद्देनजर अहम माना जा रहा है.

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में विदेश मंत्री के तौर पर कार्यभार संभालने के बाद अपने पहले संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयशंकर ने अपने मंत्रालय के कामकाज के 100 दिनों की उपलब्धियां भी गिनाई.

जयशंकर ने कहा कि भारत ‘पड़ोस प्रथम’की नीति को आगे बढ़ा रहा है लेकिन उसके समक्ष एक पड़ोसी की ‘अलग तरह की चुनौती’ है और यह तब तक चुनौती रहेगी जब तक वह सामान्य व्यवहार नहीं करता और सीमापार आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता

उन्होंने कहा, ‘अनुच्छेद 370 द्विपक्षीय मुद्दा नहीं है, यह हमारा आंतरिक मुद्दा है. ’उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है अंतरराष्ट्रीय समुदाय अनुच्छेद 370 पर हमारी स्थिति को समझता है.'

विदेश मंत्री ने कहा कि मुद्दा सीमा पार आतंकवाद का है और किसी तरह की बातचीत के लिये वार्ता की मेज पर पहला विषय आतंकवाद का होगा.

उन्होंने कहा कि एक सीमा के बाद इस बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है कि कश्मीर पर लोग क्या कहेंगे. उन्होंने जोर दिया कि आंतरिक मामलों पर भारत की स्थिति मजबूत रही है और मजबूत रहेगी.

कुछ देशों एवं मानवाधिकार संगठनों की ओर से कश्मीर की स्थिति पर चिंता व्यक्त करने के बारे में एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोग समझते हैं कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करने का भारत का कारण क्या था.

पढ़ें: विदेश मंत्री एस जयशंकर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और सरदार सरोवार बांध देखने पहुंचे

उन्होंने कहा, ‘यह अस्थायी प्रावधान था जिसका घटनाक्रमों के विश्लेषण में उपयोग नहीं होता है. यह प्रावधान वास्तव में निष्क्रिय हो गया है. इसका इस्तेमाल कुछ लोग अपने फायदे के लिये कर रहे थे. ’उन्होंने कहा कि इससे विकास बाधित हो रहा था और अलगाववाद को बढ़ावा मिल रहा था. अलगाववाद का इस्तेमाल पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद के लिये कर रहा था.

इमरान खान के भारत से बातचीत करने का कोई मतलब नहीं होने की टिप्पणी के बारे में एक सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान की समस्या यह है कि वह आतंकवाद पर केवल बात करता है, करता कुछ नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘वास्तविक समस्या आतंकवाद को खत्म करने की है जो उसने :पाक: सृजित किया है. मुझे कोई एक ऐसा देश बतायें जिसका पड़ोसी देश उसके खिलाफ खुले तौर पर आतंकवाद को बढ़ावा देता हो और उसके बाद वह उसके साथ बातचीत करता हो.

’जयशंकर ने कहा कि हमारा रूख पूरी तरह से सामान्य और तार्किक है.'

विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) भारत का हिस्सा है और उम्मीद करते हैं कि एक दिन भारत के भौतिक अधिकार क्षेत्र में होगा.

जयशंकर ने संवाददाताओं से कहा, ‘पीओके पर हमारा रुख रहा है और हमेशा रहेगा कि यह भारत का हिस्सा है और हम उम्मीद करते हैं कि एक दिन यह हमारे भौतिक अधिकार क्षेत्र में होगा.’

गौरतलब है कि सरकार का कहना रहा है कि पाकिस्तान से अब बातचीत पीओके पर होगी और कश्मीर पर नहीं होगी. ऐसा बयान उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह आदि भी पहले दे चुके हैं.

दक्षिण एशियाई देशों के संगठन सार्क का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि सार्क के बारे में हमारा संदेश यह है कि समूह के भविष्य के लिये हमें कारोबार की जरूरत है जो विशेष दर्जे पर आधारित हो, सम्पर्क की जरूरत है और आतंकवाद मुक्त माहौल की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि इन विषयों पर ध्यान दें तब कौन सार्क को बढ़ावा दे रहा है और कौन रुकावट खड़ी कर रहा है, यह पूरी तरह से स्पष्ट हो जाएगा.

मानवाधिकारों के रिकार्ड को लेकर पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि एक ऐसा देश जहां अल्पसंख्यको की संख्या इतनी कम हो गई है कि उन्होंने इनकी संख्या सार्वजनिक करना बंद कर दिया है.

चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना के संबंध में उन्होंने कहा कि इस पर हमारे रूख में कोई बदलाव नहीं आया है क्योंकि हम पूरे कश्मीर को अपना हिस्सा मानते हैं.

चीन और भारत के सैनिकों के बीच झड़प की खबर के बारे में एक प्रश्न पर उन्होंने कहा कि उनके बीच झड़प नहीं हुई बल्कि इसे आमने-सामने आना कहा जाता सकता है जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर अपनी अपनी समझ के कारण होती है. इसे स्थापित तंत्र की मदद से सुलझा लिया गया. ऐसी घटनाएं अतीत में भी हुई हैं.

पढ़ें- जानें, क्या है हाउडी मोदी और कहां लोगों को संबोधित करेंगे पीएम

चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की यात्रा के बारे में उन्होंने कहा कि इसकी तिथि के लिये अभी कुछ संयम रखें. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अफगानिस्तान को लेकर की गई उस टिप्पणी को भी याद किया जिसमें उन्होंने कहा था कि यह सूचना प्रौद्योगिकी बनाम अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का विषय है और किस प्रकार से दो आईटी के अलग-अलग माने हैं. एक का संदर्भ भारत से है जो आईटी पेशेवरों के संबंध में है, जबकि दूसरा पाकिस्तान के संदर्भ में है.

विदेश मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री भारतीय समुदाय को संबोधित करते रहे हैं और इस क्रम में साल 2014 में उन्होंने न्यूयार्क में मैडिसन स्क्वायर में तथा 2015 में सैन जोस में उन्होंने संबोधन दिया था.

यह पूछे जाने पर कि एक मंच पर मोदी और ट्रंप के साथ होने का पाकिस्तान को क्या संदेश जायेगा, विदेश मंत्री ने कहा कि यह आकलन पाकिस्तान को करना है.

(एक्सट्रा इनपुट- पीटीआई)

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पीओके को भारतीय हिस्सा बताते हुए एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि पीओके एक दिन भारत का भौगोलिक हिस्सा होगा. जयशंकर ने कहा कि जबतक पड़ोसी देश आतंकवाद को बढ़ावा देना नहीं रोकेगा तबतक उससे बातचीत नहीं होगी.

जयशंकर ने कहा कहा कि एक सीमा के बाद इस बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है कि कश्मीर पर लोग क्या कहेंगे क्योंकि यह भारत का आंतरिक मामला है और अपने आंतरिक मामलों में भारत की स्थिति मजबूत रही है और मजबूत रहेगी.जम्मू-कश्मीर से आर्टीकल 370 हटाने को आतंरिक मुद्दा बताते हुए जयशंकर ने कहा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा है और हमें उम्मीद है कि एक दिन उसपर हमारा अधिकार होगा.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा POK जल्द होगा भारत का हिस्सा

इस बयान को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के भारत के फैसले की पृष्ठभूमि में जारी चर्चा के मद्देनजर अहम माना जा रहा है.

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में विदेश मंत्री के तौर पर कार्यभार संभालने के बाद अपने पहले संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयशंकर ने अपने मंत्रालय के कामकाज के 100 दिनों की उपलब्धियां भी गिनाई.

जयशंकर ने कहा कि भारत ‘पड़ोस प्रथम’की नीति को आगे बढ़ा रहा है लेकिन उसके समक्ष एक पड़ोसी की ‘अलग तरह की चुनौती’ है और यह तब तक चुनौती रहेगी जब तक वह सामान्य व्यवहार नहीं करता और सीमापार आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता

उन्होंने कहा, ‘अनुच्छेद 370 द्विपक्षीय मुद्दा नहीं है, यह हमारा आंतरिक मुद्दा है. ’उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है अंतरराष्ट्रीय समुदाय अनुच्छेद 370 पर हमारी स्थिति को समझता है.'

विदेश मंत्री ने कहा कि मुद्दा सीमा पार आतंकवाद का है और किसी तरह की बातचीत के लिये वार्ता की मेज पर पहला विषय आतंकवाद का होगा.

उन्होंने कहा कि एक सीमा के बाद इस बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है कि कश्मीर पर लोग क्या कहेंगे. उन्होंने जोर दिया कि आंतरिक मामलों पर भारत की स्थिति मजबूत रही है और मजबूत रहेगी.

कुछ देशों एवं मानवाधिकार संगठनों की ओर से कश्मीर की स्थिति पर चिंता व्यक्त करने के बारे में एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोग समझते हैं कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करने का भारत का कारण क्या था.

पढ़ें: विदेश मंत्री एस जयशंकर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और सरदार सरोवार बांध देखने पहुंचे

उन्होंने कहा, ‘यह अस्थायी प्रावधान था जिसका घटनाक्रमों के विश्लेषण में उपयोग नहीं होता है. यह प्रावधान वास्तव में निष्क्रिय हो गया है. इसका इस्तेमाल कुछ लोग अपने फायदे के लिये कर रहे थे. ’उन्होंने कहा कि इससे विकास बाधित हो रहा था और अलगाववाद को बढ़ावा मिल रहा था. अलगाववाद का इस्तेमाल पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद के लिये कर रहा था.

इमरान खान के भारत से बातचीत करने का कोई मतलब नहीं होने की टिप्पणी के बारे में एक सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान की समस्या यह है कि वह आतंकवाद पर केवल बात करता है, करता कुछ नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘वास्तविक समस्या आतंकवाद को खत्म करने की है जो उसने :पाक: सृजित किया है. मुझे कोई एक ऐसा देश बतायें जिसका पड़ोसी देश उसके खिलाफ खुले तौर पर आतंकवाद को बढ़ावा देता हो और उसके बाद वह उसके साथ बातचीत करता हो.

’जयशंकर ने कहा कि हमारा रूख पूरी तरह से सामान्य और तार्किक है.'

विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) भारत का हिस्सा है और उम्मीद करते हैं कि एक दिन भारत के भौतिक अधिकार क्षेत्र में होगा.

जयशंकर ने संवाददाताओं से कहा, ‘पीओके पर हमारा रुख रहा है और हमेशा रहेगा कि यह भारत का हिस्सा है और हम उम्मीद करते हैं कि एक दिन यह हमारे भौतिक अधिकार क्षेत्र में होगा.’

गौरतलब है कि सरकार का कहना रहा है कि पाकिस्तान से अब बातचीत पीओके पर होगी और कश्मीर पर नहीं होगी. ऐसा बयान उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह आदि भी पहले दे चुके हैं.

दक्षिण एशियाई देशों के संगठन सार्क का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि सार्क के बारे में हमारा संदेश यह है कि समूह के भविष्य के लिये हमें कारोबार की जरूरत है जो विशेष दर्जे पर आधारित हो, सम्पर्क की जरूरत है और आतंकवाद मुक्त माहौल की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि इन विषयों पर ध्यान दें तब कौन सार्क को बढ़ावा दे रहा है और कौन रुकावट खड़ी कर रहा है, यह पूरी तरह से स्पष्ट हो जाएगा.

मानवाधिकारों के रिकार्ड को लेकर पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि एक ऐसा देश जहां अल्पसंख्यको की संख्या इतनी कम हो गई है कि उन्होंने इनकी संख्या सार्वजनिक करना बंद कर दिया है.

चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना के संबंध में उन्होंने कहा कि इस पर हमारे रूख में कोई बदलाव नहीं आया है क्योंकि हम पूरे कश्मीर को अपना हिस्सा मानते हैं.

चीन और भारत के सैनिकों के बीच झड़प की खबर के बारे में एक प्रश्न पर उन्होंने कहा कि उनके बीच झड़प नहीं हुई बल्कि इसे आमने-सामने आना कहा जाता सकता है जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर अपनी अपनी समझ के कारण होती है. इसे स्थापित तंत्र की मदद से सुलझा लिया गया. ऐसी घटनाएं अतीत में भी हुई हैं.

पढ़ें- जानें, क्या है हाउडी मोदी और कहां लोगों को संबोधित करेंगे पीएम

चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की यात्रा के बारे में उन्होंने कहा कि इसकी तिथि के लिये अभी कुछ संयम रखें. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अफगानिस्तान को लेकर की गई उस टिप्पणी को भी याद किया जिसमें उन्होंने कहा था कि यह सूचना प्रौद्योगिकी बनाम अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का विषय है और किस प्रकार से दो आईटी के अलग-अलग माने हैं. एक का संदर्भ भारत से है जो आईटी पेशेवरों के संबंध में है, जबकि दूसरा पाकिस्तान के संदर्भ में है.

विदेश मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री भारतीय समुदाय को संबोधित करते रहे हैं और इस क्रम में साल 2014 में उन्होंने न्यूयार्क में मैडिसन स्क्वायर में तथा 2015 में सैन जोस में उन्होंने संबोधन दिया था.

यह पूछे जाने पर कि एक मंच पर मोदी और ट्रंप के साथ होने का पाकिस्तान को क्या संदेश जायेगा, विदेश मंत्री ने कहा कि यह आकलन पाकिस्तान को करना है.

(एक्सट्रा इनपुट- पीटीआई)

Intro:New Delhi: Lashing out at Pakistan's lacklustre attitude to tackle the menace of terrorism emanating from their soil, External Affairs Minister Dr. S Jaishankar claimed that Pakistan hasn't done anything to dismantle terror outfits on its soil.


Body:In an hour long press conference on the 100 days of Modi government's foreign policy, External Affairs Minister claimed, 'We have a challenge with one neighbour and until that neighbour becomes normal it will continue to be like it.'

Blaming Pakistan for sponsoring terrorism, Dr. Jaishankar rejected possibility of any bilateral meet between Prime Minister Modi and Pakistan Prime Minister Imran Khan on the sidelines the UNGA session in New York on Septermber 27 where both leaders will deliver a address.

In regards to Article 370, Jaishankar outrightly called it an internal issue of India. He also claimed that international community understands India's position.




Conclusion:Not only this, he called Pakistan of Occupied Kashmir a part of India, Dr. Jaishankar said that he hopes that one day it will come into Indian jurisdiction.

Last Updated : Sep 30, 2019, 11:49 PM IST
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