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उत्तराखंड : मदद के लिए दर-दर भटक रहीं एसिड अटैक सर्वाइवर रेखा - NALSA norms uttarakhand

देहरादून के ब्रह्मपुरी में रहने वाली एसिड अटैक सर्वाइवर रेखा को उत्तराखंड की राज्यमंत्री रेखा आर्य ने आउटसोर्सिंग के माध्यम से महिला सशक्तिकरण विभाग में इसी साल फरवरी में नौकरी दी थी. मगर नौकरी के मात्र साढ़े सात महीने बाद ही उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया.

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Published : Oct 23, 2020, 7:46 PM IST

देहरादून : देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं. इन्हीं महिला अपराधों में एसिड अटैक अपराध भी शामिल है. जिसके तमाम मामले देखने को मिलते हैं. भले ही केंद्र और राज्य सरकारें एसिड अटैक पीड़ितों के लिए समय-समय पर तमाम तरह की सहूलियत देने की बातें करती हैं, मगर इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

एसिड अटैक सर्वाइवर रेखा की सुनो सरकार

मामला उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रहने वाली एक एसिड अटैक सर्वाइवर का है, जिसे उत्तराखंड सरकार ने नौकरी देने का आश्वासन दिया था. जिसके बाद उन्हें इसी साल फरवरी महीने से नौकरी मिल भी गई. मगर फिर भी यह एसिड अटैक सर्वाइवर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है.

बता दें कि देहरादून के ब्रह्मपुरी में रहने वाली एसिड अटैक सर्वाइवर रेखा को राज्यमंत्री रेखा आर्य ने आउटसोर्सिंग के माध्यम से महिला सशक्तिकरण विभाग में इसी साल फरवरी में नौकरी दी थी. मगर नौकरी के मात्र साढ़े सात महीने बाद ही उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया, जिसके बाद से ही यह एसिड अटैक सर्वाइवर मदद के लिए लगातार राज्यमंत्री रेखा आर्य से मदद की गुहार लगा रही हैं.

साल 2007 में हुआ था रेखा पर एसिड अटैक
रेखा पर साल 2007 में उसके ही ससुराल वालों ने एसिड फेंक दिया था. रेखा ने बताया कि उनका ससुराल उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में है. एसिड अटैक की घटना भी सहारनपुर में ही हुई थी. यह मामला होने के बाद वह अपने मायके ब्रह्मपुरी आ गईं, वह अपने बेटे को भी अपने साथ ले आई थीं.

इसके बाद रेखा को तत्कालीन हरीश रावत की सरकार में मुआवजा दिए जाने की भी घोषणा की गई थी, लेकिन मुआवजा नहीं मिल पाया था. इसके बाद भाजपा के शासनकाल में इसी साल फरवरी महीने से रेखा को 181 हेल्पलाइन में नौकरी दे दी गई, जो अब वापस भी ले ली गई है.

नौकरी ने दिया था रेखा को सहारा
ईटीवी भारत से खास बातचीत में एसिड अटैक सर्वाइवर रेखा ने बताया कि 30 जनवरी को उनकी ज्वॉइनिंग हुई थी. उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि राज्य सरकार ने उन्हें जो नौकरी देने का आश्वासन और वादा किया था, वह आउटसोर्सिंग के माध्यम पूरी की जाएगी.

साथ ही रेखा कहती हैं कि वह कैसे भी करके नौकरी के सहारे अपना जीवन बसर कर रही थीं, मगर अब नौकरी छिन जाने से उनकी आर्थिक स्थिति और भी खराब हो गई है.

नौकरी भी गई और तनख्वाह भी नहीं मिली
वहीं, अपना दर्द बयां करते हुए रेखा ने बताया कि ज्वॉइनिंग के मात्र दो महीने तक ही उन्हें तनख्वाह दी गई. इसके बाद से 15 सितंबर तक कोई तनख्वाह उन्हें नहीं मिली है. लंबे समय से वह रुकी हुईं, तनख्वाह का इंतजार कर रही हैं.

रेखा ने बताया कि वह एक छोटे से किराए के मकान में रहती हैं, जहां उनके साथ उनका बेटा भी रहता है. उनका बेटा 12वीं क्लास में पढ़ता है. ऐसे में लगातार बढ़ रहे खर्चे के चलते पिछले तीन महीने से वह कमरे का किराया भी नहीं दे पाई हैं और न ही बच्चे की फीस जमा कर पाई हैं.

अभी तक किसी ने नहीं ली रेखा की सुध
एसिड अटैक सर्वाइवर रेखा ने बताया कि जब राज्यमंत्री रेखा आर्य हरिद्वार तक जाकर हंसी प्रहरी से मुलाकात कर सकती हैं तो वह उनसे क्यों नहीं मिल सकतीं. जबकि उन्हें यह मालूम है कि उनकी नौकरी जा चुकी है.

उन्होंने कहा कि जिस तरह से राज्य सरकार यह दावा करती है कि एसिड अटैक पीड़ितों को नौकरी और आर्थिक सहायता दी जाएगी, मगर ऐसे नौकरी देकर छीन लेना कहां का न्याय है.

रेखा के सामने अब अपने बच्चे से साथ ही घर खर्च चलाने जैसी जिम्मेदारियां हैं, जिन्हें वह कैसे पूरा करेंगी यह उनकी समझ में भी नहीं आ रहा है.

राज्य सरकार से की मदद की अपील
रेखा ने बताया कि बीते दिनों महिला कल्याण मंत्री रेखा आर्य ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश की सभी एसिड अटैक पीड़ित महिलाओं से संपर्क किया था, जिसमें उन्होंने सभी से उनका हाल-चाल जाना था. रेखा बताती हैं कि अभी तक राज्यमंत्री से उनका संपर्क नहीं हो पाया है और न ही उनकी सुध लेने के लिए कोई पहुंचा है. रेखा ने ईटीवी भारत से जरिए राज्यमंत्री रेखा आर्य से मदद की गुहार लगाई है.

पढ़ें- उप्र : घर में सो रहीं तीन दलित बहनों पर फेंका तेजाब

पीड़ित महिलाओं संबंधी प्रतिकार योजना को राज्य में मिल चुकी है मंजूरी
उत्तराखंड के भीतर लगातार बढ़ रहे महिला अपराधों को देखते हुए बीते 13 अगस्त को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में पीड़ित महिलाओं संबंधी प्रतिकार योजना को राज्य में लागू करने की मंजूरी दी गई थी, जिसके तहत तमाम महिला अपराधों के पीड़ित महिलाओं को जीवन गुजर बसर करने के लिए आर्थिक सहयोग दी जाएगी.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने महिलाओं पर होने वाले अपराधों के बढ़ते ग्राफ में महिलाओं को आर्थिक सहयोग करने का सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को एडॉप्ट कर लिया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तर्ज पर उत्तराखंड राज्य के भीतर 'उत्तराखंड यौन अपराध एवं अपराधियों से पीड़ित महिलाओं हेतु प्रतिकार योजना 2020' को प्रदेश में लागू कर दिया है, जिससे राज्य के भीतर यौन अपराध और अपराधियों से पीड़ित महिलाओं को आर्थिक सहयोग मिल सके.

पढ़ें - ...वो जख्म था इतना गहरा कि जिंदगी भर के लिये छोड़ गया निशां

राज्य में पीड़ित महिलाओं के लिए भले ही कई योजनाएं चलाई जा रही हों, सरकारें उनके जीवन को सुधारने के लाख दावे कर लें, मगर रेखा जैसी एसिड अटैक सर्वाइवर्स के हालात के सामने आने के बाद सरकारों के दावों की हवा निकल जाती है.

देहरादून : देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं. इन्हीं महिला अपराधों में एसिड अटैक अपराध भी शामिल है. जिसके तमाम मामले देखने को मिलते हैं. भले ही केंद्र और राज्य सरकारें एसिड अटैक पीड़ितों के लिए समय-समय पर तमाम तरह की सहूलियत देने की बातें करती हैं, मगर इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

एसिड अटैक सर्वाइवर रेखा की सुनो सरकार

मामला उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रहने वाली एक एसिड अटैक सर्वाइवर का है, जिसे उत्तराखंड सरकार ने नौकरी देने का आश्वासन दिया था. जिसके बाद उन्हें इसी साल फरवरी महीने से नौकरी मिल भी गई. मगर फिर भी यह एसिड अटैक सर्वाइवर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है.

बता दें कि देहरादून के ब्रह्मपुरी में रहने वाली एसिड अटैक सर्वाइवर रेखा को राज्यमंत्री रेखा आर्य ने आउटसोर्सिंग के माध्यम से महिला सशक्तिकरण विभाग में इसी साल फरवरी में नौकरी दी थी. मगर नौकरी के मात्र साढ़े सात महीने बाद ही उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया, जिसके बाद से ही यह एसिड अटैक सर्वाइवर मदद के लिए लगातार राज्यमंत्री रेखा आर्य से मदद की गुहार लगा रही हैं.

साल 2007 में हुआ था रेखा पर एसिड अटैक
रेखा पर साल 2007 में उसके ही ससुराल वालों ने एसिड फेंक दिया था. रेखा ने बताया कि उनका ससुराल उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में है. एसिड अटैक की घटना भी सहारनपुर में ही हुई थी. यह मामला होने के बाद वह अपने मायके ब्रह्मपुरी आ गईं, वह अपने बेटे को भी अपने साथ ले आई थीं.

इसके बाद रेखा को तत्कालीन हरीश रावत की सरकार में मुआवजा दिए जाने की भी घोषणा की गई थी, लेकिन मुआवजा नहीं मिल पाया था. इसके बाद भाजपा के शासनकाल में इसी साल फरवरी महीने से रेखा को 181 हेल्पलाइन में नौकरी दे दी गई, जो अब वापस भी ले ली गई है.

नौकरी ने दिया था रेखा को सहारा
ईटीवी भारत से खास बातचीत में एसिड अटैक सर्वाइवर रेखा ने बताया कि 30 जनवरी को उनकी ज्वॉइनिंग हुई थी. उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि राज्य सरकार ने उन्हें जो नौकरी देने का आश्वासन और वादा किया था, वह आउटसोर्सिंग के माध्यम पूरी की जाएगी.

साथ ही रेखा कहती हैं कि वह कैसे भी करके नौकरी के सहारे अपना जीवन बसर कर रही थीं, मगर अब नौकरी छिन जाने से उनकी आर्थिक स्थिति और भी खराब हो गई है.

नौकरी भी गई और तनख्वाह भी नहीं मिली
वहीं, अपना दर्द बयां करते हुए रेखा ने बताया कि ज्वॉइनिंग के मात्र दो महीने तक ही उन्हें तनख्वाह दी गई. इसके बाद से 15 सितंबर तक कोई तनख्वाह उन्हें नहीं मिली है. लंबे समय से वह रुकी हुईं, तनख्वाह का इंतजार कर रही हैं.

रेखा ने बताया कि वह एक छोटे से किराए के मकान में रहती हैं, जहां उनके साथ उनका बेटा भी रहता है. उनका बेटा 12वीं क्लास में पढ़ता है. ऐसे में लगातार बढ़ रहे खर्चे के चलते पिछले तीन महीने से वह कमरे का किराया भी नहीं दे पाई हैं और न ही बच्चे की फीस जमा कर पाई हैं.

अभी तक किसी ने नहीं ली रेखा की सुध
एसिड अटैक सर्वाइवर रेखा ने बताया कि जब राज्यमंत्री रेखा आर्य हरिद्वार तक जाकर हंसी प्रहरी से मुलाकात कर सकती हैं तो वह उनसे क्यों नहीं मिल सकतीं. जबकि उन्हें यह मालूम है कि उनकी नौकरी जा चुकी है.

उन्होंने कहा कि जिस तरह से राज्य सरकार यह दावा करती है कि एसिड अटैक पीड़ितों को नौकरी और आर्थिक सहायता दी जाएगी, मगर ऐसे नौकरी देकर छीन लेना कहां का न्याय है.

रेखा के सामने अब अपने बच्चे से साथ ही घर खर्च चलाने जैसी जिम्मेदारियां हैं, जिन्हें वह कैसे पूरा करेंगी यह उनकी समझ में भी नहीं आ रहा है.

राज्य सरकार से की मदद की अपील
रेखा ने बताया कि बीते दिनों महिला कल्याण मंत्री रेखा आर्य ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश की सभी एसिड अटैक पीड़ित महिलाओं से संपर्क किया था, जिसमें उन्होंने सभी से उनका हाल-चाल जाना था. रेखा बताती हैं कि अभी तक राज्यमंत्री से उनका संपर्क नहीं हो पाया है और न ही उनकी सुध लेने के लिए कोई पहुंचा है. रेखा ने ईटीवी भारत से जरिए राज्यमंत्री रेखा आर्य से मदद की गुहार लगाई है.

पढ़ें- उप्र : घर में सो रहीं तीन दलित बहनों पर फेंका तेजाब

पीड़ित महिलाओं संबंधी प्रतिकार योजना को राज्य में मिल चुकी है मंजूरी
उत्तराखंड के भीतर लगातार बढ़ रहे महिला अपराधों को देखते हुए बीते 13 अगस्त को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में पीड़ित महिलाओं संबंधी प्रतिकार योजना को राज्य में लागू करने की मंजूरी दी गई थी, जिसके तहत तमाम महिला अपराधों के पीड़ित महिलाओं को जीवन गुजर बसर करने के लिए आर्थिक सहयोग दी जाएगी.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने महिलाओं पर होने वाले अपराधों के बढ़ते ग्राफ में महिलाओं को आर्थिक सहयोग करने का सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को एडॉप्ट कर लिया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तर्ज पर उत्तराखंड राज्य के भीतर 'उत्तराखंड यौन अपराध एवं अपराधियों से पीड़ित महिलाओं हेतु प्रतिकार योजना 2020' को प्रदेश में लागू कर दिया है, जिससे राज्य के भीतर यौन अपराध और अपराधियों से पीड़ित महिलाओं को आर्थिक सहयोग मिल सके.

पढ़ें - ...वो जख्म था इतना गहरा कि जिंदगी भर के लिये छोड़ गया निशां

राज्य में पीड़ित महिलाओं के लिए भले ही कई योजनाएं चलाई जा रही हों, सरकारें उनके जीवन को सुधारने के लाख दावे कर लें, मगर रेखा जैसी एसिड अटैक सर्वाइवर्स के हालात के सामने आने के बाद सरकारों के दावों की हवा निकल जाती है.

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