नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे में बदल गई थी. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 10 हजार पन्नों की चार्जशीट दायर की है. चार्जशीट में कई चर्चित हस्तियों के नाम भी सामने आए हैं. हालांकि, कुछ लोगों का नाम आरोपी के रूप में दर्ज नहीं किया गया है.
जांच में दिल्ली पुलिस की भूमिका को लेकर विपक्षी दलों ने सवाल खड़े किए हैं. इन्हीं में से कुछ नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिला.
इसके साथ ही विपक्षी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा जांच पर गंभीर चिंता जताते हुए राष्ट्रपति कोविंद को एक ज्ञापन सौंपा.
कांग्रेस नेता अहमद पटेल, सीपीआई नेता डी राजा, माकपा नेता सीताराम येचुरी, द्रमुक की कनिमोझी और राजद के मनोज झा द्वारा सौंपे गए ज्ञापन ने हिंसा के दौरान दिल्ली पुलिस द्वारा निभाई गई भूमिका पर सवाल उठाया. और आरोप लगयाा कि पुलिस सीएए, एनआरसी के विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले कार्यकर्ताओं को झूठा फंसाने का प्रयास किया जा रहा है. साथ ही पुलिस उनका उत्पीड़न कर रही है.
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कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा कि जिस तरह से चार्जशीट पेश की गई है, उससे पता चलता है कि इसमें गहरी साजिश है. जिन लोगों को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, उन्हें सुरक्षा दी गई है. वहीं जो लोग औरों की मदद करने की कोशिश कर रहे थे, उन्हें आरोपी बनाया जा रहा है.
बता दें कि राष्ट्रपति से भेंट के बाद डीएमके सांसद कनिमोझी ने बताया, 'हमने राष्ट्रपति के समक्ष एक उचित और निष्पक्ष जांच की बात रखी है. उन्होंने कहा कि दिल्ली के दंगों को सीएए के विरोध से जोड़ा जा रहा है.
कनिमोझी ने बताया कि राजनेताओं, कार्यकर्ताओं, अर्थशास्त्रियों, आम जनता और छात्रों को लक्षित किया जा रहा है. इस संबंध में प्रतिनिधिमंडल ने अपनी चिंताओं से राष्ट्रपति को अवगत कराया है.