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नोबेल शांति पुरस्कार 2020 की घोषणा, वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को मिला सम्मान

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Published : Oct 9, 2020, 2:48 PM IST

Updated : Oct 10, 2020, 7:11 PM IST

2020 के नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा कर दी गई है. विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. पढ़ें पूरी खबर...

Nobel Peace Prize 2020
Nobel Peace Prize 2020

स्टॉकहोम : स्वीडिश एकेडमी ने शांति के नोबेल पुरस्कार की घोषणा कर दी है. विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. एकेडमी ने गुरुवार को साहित्य के नोबेल पुरस्कार की घोषणा की थी. अमेरिकी कवि लुईस ग्लूक को 2020 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया है.

वैश्विक स्तर पर भूख से लड़ने और खाद्य सुरक्षा के प्रयासों के लिए संयुक्त राष्ट्र के इस कार्यक्रम को यह सम्मान देने की शुक्रवार को घोषणा की गई. विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूईपी) ने पिछले साल दुनिया के 88 देशों के करीब 10 करोड़ लोगों को सहायता उपलब्ध कराई.

डब्ल्यूईपी के प्रमुख डेविड ब्यासले ने नाइजर से एसोसिएट प्रेस से बात करते हुए कहा कि मैं मानता हूं कि मेरे जीवन में पहली बार है जब मैं निशब्द हूं. उन्होंने कहा कि यह बहुत ही स्तब्ध करने वाला और चकित करने वाला है. ब्यासले ने बताया कि नोबेले पुरस्कार मिलने की जानकारी उन्हें डब्ल्यूईपी के मीडिया अधिकारी से मिली.

नोबेल समिति ने कहा कि कोरोना वायरस की महामारी के चलते दुनियाभर में भूखे लोगों की संख्या में लाखों का इजाफा हुआ है. समिति ने सरकारों से आह्वान किया कि वे विश्व खाद्य कार्यक्रम और अन्य सहायता संगठनों को वित्तीय मदद सुनिश्चित करें ताकि वे उन्हें भोजन मुहैया करा सकें.

ओस्लो में नोबेल समिति की अध्यक्ष बेरिट रेइस एंडरसन ने नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा कि इस साल के सम्मान के साथ हमारी (समिति) इच्छा दुनिया का ध्यान उन लाखों लोगों की ओर आकर्षित कराने की है जो भूख की पीड़ा सह रहे हैं या उनके समक्ष इसका खतरा है.

उन्होंने कहा कि विश्व खाद्य कार्यक्रम ने खाद्य सुरक्षा को शांति की कुंजी बनाने के लिए बहुस्तरीय सहयोग में अहम भूमिका निभाई है. बेरिट ने कहा कि विश्व खाद्य कार्यक्रम राष्ट्रों में भाईचारा बढ़ाने के लिए रोजाना कार्य कर रहा है जिस (लक्ष्य) का उल्लेख अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी वसीयत में किया है.

यह भी पढ़ें- रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार, दो महिला वैज्ञानिकों को मिला सम्मान

गौरतलब है कि इस साल भी शांति नोबेल पुरस्कार के कई दावेदार थे. एक फरवरी को नामांकन की अंतिम तारीख तक 211 हस्तियों और 107 संगठनों को नामांकित किया गया था.

साल 2016 में गायक-गीतकार बॉब डेलान को यह पुरस्कार मिला था. ग्लूक अभी येल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर पद पर कार्यरत हैं. ग्लूक ने साल 1993 में साहित्य क प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार जीता था.

इससे पहले साल 1993 में टोनी मॉरिसन को साहित्य का नोबेल पुरस्कार की मिला था. मॉरिसन यह पुरस्कार जीतने वालीं अमेरिकी-अफ्रीकी मूल की पहली महिला थीं.

साल 2018 में यौन शोषण के आरोपों के बाद पुरस्कार को स्थगित कर दिया गया था. इसके लिए स्वीडिश एकेडमी को भी आलोचना का सामना करना पड़ा था.

स्वीडिश एकेडमी ने 2019 में दोनों साल के लिए साहित्य के नोबेल पुरस्कार की घोषणा की थी. साल 2018 के पुरस्कार के लिए पोलैंड के ओल्गा टोकरुक और 2019 के लिए ऑस्ट्रिया के पीटर हैंडके को पुरस्कार दिया गया था.

हैंडके को साहित्य का नोबेल पुस्कार देने पर विवाद हो गया था. एकेडमी के इस फैसले के खिलाफ जगह-जगह प्रदर्शन हुए थे. हैंडके को 1990 के बाल्कन युद्धों के दौरान सर्बिया का समर्थक माना जाता था. नोबेल की घोषणा के बाद उन्हें सर्बियाई युद्ध अपराधों के लिए माफी मांगने को कहा गया था.

अल्बानिया, बोस्निया और तुर्की सहित कई देशों ने विरोध में नोबेल पुरस्कार समारोह का बहिष्कार किया, और साहित्य पुरस्कार के लिए उम्मीदवारों का नामांकन करने वाली समिति के सदस्य ने इस्तीफा दे दिया था.

स्टॉकहोम : स्वीडिश एकेडमी ने शांति के नोबेल पुरस्कार की घोषणा कर दी है. विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. एकेडमी ने गुरुवार को साहित्य के नोबेल पुरस्कार की घोषणा की थी. अमेरिकी कवि लुईस ग्लूक को 2020 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया है.

वैश्विक स्तर पर भूख से लड़ने और खाद्य सुरक्षा के प्रयासों के लिए संयुक्त राष्ट्र के इस कार्यक्रम को यह सम्मान देने की शुक्रवार को घोषणा की गई. विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूईपी) ने पिछले साल दुनिया के 88 देशों के करीब 10 करोड़ लोगों को सहायता उपलब्ध कराई.

डब्ल्यूईपी के प्रमुख डेविड ब्यासले ने नाइजर से एसोसिएट प्रेस से बात करते हुए कहा कि मैं मानता हूं कि मेरे जीवन में पहली बार है जब मैं निशब्द हूं. उन्होंने कहा कि यह बहुत ही स्तब्ध करने वाला और चकित करने वाला है. ब्यासले ने बताया कि नोबेले पुरस्कार मिलने की जानकारी उन्हें डब्ल्यूईपी के मीडिया अधिकारी से मिली.

नोबेल समिति ने कहा कि कोरोना वायरस की महामारी के चलते दुनियाभर में भूखे लोगों की संख्या में लाखों का इजाफा हुआ है. समिति ने सरकारों से आह्वान किया कि वे विश्व खाद्य कार्यक्रम और अन्य सहायता संगठनों को वित्तीय मदद सुनिश्चित करें ताकि वे उन्हें भोजन मुहैया करा सकें.

ओस्लो में नोबेल समिति की अध्यक्ष बेरिट रेइस एंडरसन ने नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा कि इस साल के सम्मान के साथ हमारी (समिति) इच्छा दुनिया का ध्यान उन लाखों लोगों की ओर आकर्षित कराने की है जो भूख की पीड़ा सह रहे हैं या उनके समक्ष इसका खतरा है.

उन्होंने कहा कि विश्व खाद्य कार्यक्रम ने खाद्य सुरक्षा को शांति की कुंजी बनाने के लिए बहुस्तरीय सहयोग में अहम भूमिका निभाई है. बेरिट ने कहा कि विश्व खाद्य कार्यक्रम राष्ट्रों में भाईचारा बढ़ाने के लिए रोजाना कार्य कर रहा है जिस (लक्ष्य) का उल्लेख अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी वसीयत में किया है.

यह भी पढ़ें- रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार, दो महिला वैज्ञानिकों को मिला सम्मान

गौरतलब है कि इस साल भी शांति नोबेल पुरस्कार के कई दावेदार थे. एक फरवरी को नामांकन की अंतिम तारीख तक 211 हस्तियों और 107 संगठनों को नामांकित किया गया था.

साल 2016 में गायक-गीतकार बॉब डेलान को यह पुरस्कार मिला था. ग्लूक अभी येल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर पद पर कार्यरत हैं. ग्लूक ने साल 1993 में साहित्य क प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार जीता था.

इससे पहले साल 1993 में टोनी मॉरिसन को साहित्य का नोबेल पुरस्कार की मिला था. मॉरिसन यह पुरस्कार जीतने वालीं अमेरिकी-अफ्रीकी मूल की पहली महिला थीं.

साल 2018 में यौन शोषण के आरोपों के बाद पुरस्कार को स्थगित कर दिया गया था. इसके लिए स्वीडिश एकेडमी को भी आलोचना का सामना करना पड़ा था.

स्वीडिश एकेडमी ने 2019 में दोनों साल के लिए साहित्य के नोबेल पुरस्कार की घोषणा की थी. साल 2018 के पुरस्कार के लिए पोलैंड के ओल्गा टोकरुक और 2019 के लिए ऑस्ट्रिया के पीटर हैंडके को पुरस्कार दिया गया था.

हैंडके को साहित्य का नोबेल पुस्कार देने पर विवाद हो गया था. एकेडमी के इस फैसले के खिलाफ जगह-जगह प्रदर्शन हुए थे. हैंडके को 1990 के बाल्कन युद्धों के दौरान सर्बिया का समर्थक माना जाता था. नोबेल की घोषणा के बाद उन्हें सर्बियाई युद्ध अपराधों के लिए माफी मांगने को कहा गया था.

अल्बानिया, बोस्निया और तुर्की सहित कई देशों ने विरोध में नोबेल पुरस्कार समारोह का बहिष्कार किया, और साहित्य पुरस्कार के लिए उम्मीदवारों का नामांकन करने वाली समिति के सदस्य ने इस्तीफा दे दिया था.

Last Updated : Oct 10, 2020, 7:11 PM IST
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