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उत्तराखंड : जमीन हड़पने पर यूपी के पूर्व मंत्री को पांच साल की कैद

फर्जी वसीयत बनाने और करोड़ों रुपये की जमीन पर कब्जा करने के मामले में कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री ठाकुर प्रेम प्रकाश को पांच साल कैद की सजा सुनाई है.

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उत्तराखंड : जमीन हड़पने पर यूपी के पूर्व मंत्री को पांच साल की कैद
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Published : Mar 3, 2020, 9:34 PM IST

रुद्रपुर : फर्जी वसीयत बनाने और करोड़ों रुपए की जमीन पर कब्जा करने के मामले में जिला कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री ठाकुर प्रेम प्रकाश को पांच साल कैद की सजा सुनाई है. सिविल जज सीनियर डिवीजन द्वारा मामले में कुल नौ दोषियों को सजा सुनाई गई है. कोर्ट ने मामले के मुख्य आरोपी ठाकुर प्रेम प्रकाश को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है जबकि आठ अन्य आरोपियों को अंतरिम जमानत दे दी है.

उत्तर प्रदेश के पूर्व दबंग मंत्री ठाकुर प्रेम प्रकाश सहित नौ लोगों पर फर्जी वसीयत के जरिए करीब 32 एकड़ जमीन पर कब्जा किए जाने का आरोप है. कब्जा की गई जमीन की कीमत 10 करोड़ रुपये की आसपास की बताई जा रही है. 2014 में प्रेम प्रकाश सिंह, पत्नी गीता, पुत्र शिववर्धन, पुत्र वधू निधि सिंह, पूर्व शासकीय अधिवक्ता स्वतंत्र बहादुर सिंह समेत नौ लोगों पर साढ़े 32 एकड़ भूमि की फर्जी वसीयत के जरिये अपने नाम करने के आरोप में कोर्ट में केस चल रहा था.

जमीन हड़पने पर यूपी के पूर्व मंत्री को पांच साल की कैद.

ये भी पढ़ें : पलवल: गर्भपात करवाने वाली फर्जी महिला डॉक्टर का पर्दाफाश

कोर्ट ने मामले में मुख्य आरोपी ठाकुर प्रेम प्रकाश को अलग-अलग धाराओं में पांच साल की सजा और साढ़े तीन हजार का जुर्माना लगाया है. अन्य दोषियों में पूर्व शासकीय अधिवक्ता स्वतंत्र बहादुर सिंह को तीन साल की सजा और एक हजार का जुर्माना, फर्जी वसीयत पर गवाही देने पर गवाह प्रेम और नवनीत को तीन साल की सजा के साथ दो हजार का जुर्माना, पूर्व मंत्री पुत्र शिववर्धन सिंह को तीन साल की सजा और 500-500 रुपये का जुर्माना सहित निधि सिंह, मंजु लता सिंह, शिखा एवं गीता को दो दो वर्ष की सजा के साथ दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.

यूपी सरकार ने की थी जमीन आवंटित
आजाद हिन्द फौज के सिपाही रामअवध सिंह आजादी के बाद पुलिस में भर्ती हुए और डिप्टी एसपी के पद से रिटायर हुए. स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को देखते हुए तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें कृषि कार्य के लिए रुद्रपुर के बागवाला गांव में 32.5 एकड़ भूमि आवंटित की थी. रामअवध की एकमात्र संतान उनकी पुत्री प्रभावती हैं. 10 जून 1999 को रामअवध की मृत्यु के बाद प्रभावती ही चल-अचल संपत्ति की उत्तराधिकारी बन गईं.

प्रभावती का विवाह आजमगढ़ की तहसील बूढ़नपुर के सिहौरा गांव में हुई, इसलिए वह रुद्रपुर में जमीन की देखभाल नहीं कर सकीं. ऐसे में फर्जी वसीयतनामा तैयार कर उक्त जमीन को ठाकुर प्रेम प्रकाश सिंह ने अपने नाम करा लिया.

डीआईजी के पास पहुंचा मामला
पता लगने के बाद प्रभावती ने कई जगह शिकायती पत्र दिए, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद पूरा मामला डीआईजी के पास पहुंचा. 3 मई 2014 को डीआईजी के आदेश पर IPC की धारा- 420, 467, 468, 471, 506, 504 के तहत ठाकुर प्रेम प्रकाश सहित नौ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. 17 जून 2016 को पुलिस ने मामले की चार्जशीट कोर्ट में पेश की थी.

रुद्रपुर : फर्जी वसीयत बनाने और करोड़ों रुपए की जमीन पर कब्जा करने के मामले में जिला कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री ठाकुर प्रेम प्रकाश को पांच साल कैद की सजा सुनाई है. सिविल जज सीनियर डिवीजन द्वारा मामले में कुल नौ दोषियों को सजा सुनाई गई है. कोर्ट ने मामले के मुख्य आरोपी ठाकुर प्रेम प्रकाश को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है जबकि आठ अन्य आरोपियों को अंतरिम जमानत दे दी है.

उत्तर प्रदेश के पूर्व दबंग मंत्री ठाकुर प्रेम प्रकाश सहित नौ लोगों पर फर्जी वसीयत के जरिए करीब 32 एकड़ जमीन पर कब्जा किए जाने का आरोप है. कब्जा की गई जमीन की कीमत 10 करोड़ रुपये की आसपास की बताई जा रही है. 2014 में प्रेम प्रकाश सिंह, पत्नी गीता, पुत्र शिववर्धन, पुत्र वधू निधि सिंह, पूर्व शासकीय अधिवक्ता स्वतंत्र बहादुर सिंह समेत नौ लोगों पर साढ़े 32 एकड़ भूमि की फर्जी वसीयत के जरिये अपने नाम करने के आरोप में कोर्ट में केस चल रहा था.

जमीन हड़पने पर यूपी के पूर्व मंत्री को पांच साल की कैद.

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कोर्ट ने मामले में मुख्य आरोपी ठाकुर प्रेम प्रकाश को अलग-अलग धाराओं में पांच साल की सजा और साढ़े तीन हजार का जुर्माना लगाया है. अन्य दोषियों में पूर्व शासकीय अधिवक्ता स्वतंत्र बहादुर सिंह को तीन साल की सजा और एक हजार का जुर्माना, फर्जी वसीयत पर गवाही देने पर गवाह प्रेम और नवनीत को तीन साल की सजा के साथ दो हजार का जुर्माना, पूर्व मंत्री पुत्र शिववर्धन सिंह को तीन साल की सजा और 500-500 रुपये का जुर्माना सहित निधि सिंह, मंजु लता सिंह, शिखा एवं गीता को दो दो वर्ष की सजा के साथ दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.

यूपी सरकार ने की थी जमीन आवंटित
आजाद हिन्द फौज के सिपाही रामअवध सिंह आजादी के बाद पुलिस में भर्ती हुए और डिप्टी एसपी के पद से रिटायर हुए. स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को देखते हुए तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें कृषि कार्य के लिए रुद्रपुर के बागवाला गांव में 32.5 एकड़ भूमि आवंटित की थी. रामअवध की एकमात्र संतान उनकी पुत्री प्रभावती हैं. 10 जून 1999 को रामअवध की मृत्यु के बाद प्रभावती ही चल-अचल संपत्ति की उत्तराधिकारी बन गईं.

प्रभावती का विवाह आजमगढ़ की तहसील बूढ़नपुर के सिहौरा गांव में हुई, इसलिए वह रुद्रपुर में जमीन की देखभाल नहीं कर सकीं. ऐसे में फर्जी वसीयतनामा तैयार कर उक्त जमीन को ठाकुर प्रेम प्रकाश सिंह ने अपने नाम करा लिया.

डीआईजी के पास पहुंचा मामला
पता लगने के बाद प्रभावती ने कई जगह शिकायती पत्र दिए, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद पूरा मामला डीआईजी के पास पहुंचा. 3 मई 2014 को डीआईजी के आदेश पर IPC की धारा- 420, 467, 468, 471, 506, 504 के तहत ठाकुर प्रेम प्रकाश सहित नौ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. 17 जून 2016 को पुलिस ने मामले की चार्जशीट कोर्ट में पेश की थी.

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