नई दिल्ली : तमाम विवादों विरोध प्रदर्शनों और घटनाओं के बाद बहरहाल जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में शांति व्यवस्था बरकरार है, लेकिन छात्रों के बीच मॉनसून एंड सेमेस्टर की परीक्षा को लेकर भ्रम और असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है.
दरअसल, बहुतयात छात्रों ने जेएनयू रजिस्टरार के द्वारा नोटिस जारी किए जाने के बाद रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी की और ऑनलाइन परीक्षा दी, जिनके परिणाम भी आ चुके हैं. लेकिन अब उन्हें दोबारा रजिस्ट्रेशन करके परीक्षा देने का दबाव जेएनयू शिक्षक संगठन द्वारा बनाया जा रहा है.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इस बाबत जेएनयू के कुलपति को एक ज्ञापन भी सौंपा है और उनसे मांग की है कि इसके खिलाफ कार्रवाई की जाए. साथ ही जिन छात्रों ने पहले ही ऑनलाइन परीक्षा दी थी, उन्हें दोबारा परीक्षा में शामिल होने के लिए बाध्य न किया जाए.
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ईटीवी भारत ने इस विषय पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी से बातचीत की.
निधि ने आरोप लगाते हुए कहा कि राजनीति से प्रेरित कुछ शिक्षक सहित कुछ लोगों ने, जो जेएनयू में सामान्य पठन-पाठन की प्रक्रिया को सुचारु रूप से नहीं चलने देना चाहते, न्यायालय के निर्णय को गलत तरीके से पेश करते हुए छात्रों को दोबारा परीक्षा में शामिल होने के लिए दबाव बनाने का काम किया है.
बतौर निधि त्रिपाठी, न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय में कहीं भी ऐसा नहीं कहा गया था और न्यायालय का सिर्फ यह कहना था कि बोर्ड ऑफ स्टडीज यह निर्णय ले कि उसका इस पर क्या कहना है और बोर्ड ऑफ स्टडीज अपनी मीटिंग्स के मिनट्स भी न्यायालय को सौंपे.
लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया और न्यायालय के निर्णय को तोड़ मरोड़ कर अलग तरीके से ही बताया जा रहा है. अब इस बाबत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों ने जेएनयू के कुलपति को ज्ञापन सौंपा है. ऐसे में देखना होगा कि कुलपति इस पूरे मामले पर क्या कार्रवाई करते हैं.