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असम : विधानसभा चुनावों में 'डार्क हॉर्स' बन सकता है क्षेत्रीय मोर्चा, बढ़ेगी दलों की मुसीबत - assam election latest news

गुरुवार को असम में आगामी राज्य विधानसभा चुनावों के लिए एक नया राजनीतिक मोर्चा बन गया है. जो राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के लिए सिरदर्द से कहीं अधिक हो सकता है. इसी विषय पर वरिष्ठ पत्रकार संजीब बरूआ की यह खास रिपोर्ट.

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Published : Feb 5, 2021, 7:22 PM IST

Updated : Feb 5, 2021, 7:39 PM IST

नई दिल्ली : मजबूत क्षेत्रीय आकांक्षाओं, पहचान की राजनीति और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध के आधार पर दो राजनीतिक इकाइयां बैलट की लड़ाई के लिए एकजुट हैं. अप्रैल के मध्य में आने वाले असम चुनावों की लड़ाई दिलचस्प होने वाली है.

इन पार्टियों में से एक नवोदित असोम जाति परिषद (AJP) है जबकि दूसरी रायजोर दल (RD) है. नए मोर्चे में ’डार्क हॉर्स’ के रूप में उभरने की क्षमता है जो चुनावी भविष्यवाणियों को परेशान कर सकती है. हालांकि इसका संभावित समर्थन आधार बहुत दूर-दूर तक हो सकता है लेकिन मूल सवाल यह है कि क्या नया संगठन संख्या के संदर्भ में अपने समर्थन को चुनावी वास्तविकता में बदल सकता है. नए मोर्चे के गठन की राजनीतिक यात्रा असम में व्यापक गड़बड़ी और नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के विरोध से शुरू होती है. जो संसद में 11 दिसंबर 2019 को पारित होने के बाद सीएए बन गया. जबकि CAB के खिलाफ विरोध जनवरी 2019 में शुरू हुआ. CAB के CAA बनने के बाद हिंसा भड़क उठी. सीएए 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से भारत पहुंचे गैर-मुस्लिमों के लिए भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान करता है.

असोम जाति परिषद (AJP)

AJP लूरिनज्योति गोगोई के नेतृत्व में शक्तिशाली ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) द्वारा समर्थित है. यह AASU की व्यापक-आधारित संगठनात्मक शक्ति है और ब्रह्मपुत्र घाटी में फैली हुई है. लगभग सभी असोम गण परिषद (AGP) के अधिकांश सदस्यों और समर्थकों को अपनी ओर खींचने के लिए AJP असमिया-क्षेत्रवादियों के समर्थन को भुनाने की उम्मीद करता है. यह राज्य में कम या अधिक लेकिन एक सर्वव्यापी राजनीतिक बल रहा है. लुरिनज्योति एएएसयू के पूर्व महासचिव हैं, जो छात्र संगठन है. जिसने 1979 से 1985 तक छह साल लंबे विदेश-विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया था. एजेपी की एक प्रमुख लेकिन अप्रयुक्त ताकत यह तथ्य है कि इसके कई समर्थक राज्य के राजनीतिक आख्यानों से अलग दृष्टिकोण रखते हैं. साथ ही युवा और तकनीक प्रेमी हैं. उनके लिए ऊपरी और निचले असम की पारंपरिक राजनीतिक भौगोलिक या जातिगत समीकरण में नहीं हैं बल्कि एक राजनीतिक विचारधारा है. जो मजबूत संघवाद की जड़ में केंद्रीय शक्तियों तक सीमित है.

रायजोर दल (आरडी)

दूसरी ओर किसान नेता और आरटीआई कार्यकर्ता अखिल गोगोई के नेतृत्व में रायजोर दल (आरडी) कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) की राजनीतिक पार्टी है. अखिल गोगोई को इस बात का श्रेय जाता है कि पहली बार उन्होंने किसानों को एक छतरी के नीचे संगठित किया है. अन्यथा यह निर्वाचन क्षेत्र राजनीतिक रूप से बड़े पैमाने पर उपेक्षित रहा है क्योंकि असम एक प्रमुख कृषि राज्य होने के बावजूद एकजुट संगठनात्मक उपस्थिति की कमी है. वर्षों से केएमएसएस ने असम में अपने विरोधी आंदोलन और आरटीआई सक्रियता के आधार पर स्वयं के लिए समर्थन आधार को बढ़ाया है. सामान्य रूप से किसानों के अलावा पार्टी के पास पश्चिम असम में महत्वपूर्ण बंगाली भाषी मुसलमानों के बीच पर्याप्त सद्भावना है. जो बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व वाले ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIFF) के अब तक समर्पित वोट बैंक में कटौती करेगा. तथ्य यह है कि केएमएसएस ने सीएए का विरोध किया और बंगाली भाषी मुसलमानों के बीच अपने राजनीतिक पदचिह्न को मजबूत किया. इसके अलावा एक विचार यह भी है कि अखिल गोगोई का झुकाव प्रशासन द्वारा पीड़ितों की ओर हो सकता है. जिसने राज्य में कई जगहों पर सार्वजनिक सभाओं और विरोध प्रदर्शनों में अभिव्यक्ति पाई है. दूसरे शब्दों में एजेपी की तरह आरजे के वोटों में कितनी बढ़ोतरी होती है, यह प्राथमिक सवाल है.

अन्य टाई-अप

गौरतलब है कि AJP का पहले से ही एक स्वायत्त राज्य मांग समिति (ASDC) के साथ गठबंधन है, जो एक आदिवासी पार्टी है. इनका कार्बी जनजाति के बीच बोलबाला है. नया राजनीतिक मोर्चा बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (BPF) के साथ पश्चिमी असम के बोडो बहुल क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक ताकत के साथ उभर रहा है. जबकि कांग्रेस की चुनावी संभावनाएं पहले से बहुत कम हो गई हैं. माना जाता है कि एआईयूडीएफ महत्वपूर्ण बढ़त तक पहुंच गया है. कांग्रेस एआईयूडीएफ, सीपीआई-मार्क्सवादी, सीपीआई और सीपीआई (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेगी.

यह भी पढ़ें-50 प्रतिशत कुपोषित बच्चे भारत में फिर भी बजट में कम हुआ पोषण पर आंवटन

2016 असम चुनाव

2016 के राज्य चुनावों में भाजपा ने राज्य की कुल 126 सीटों में से 60 सीटों पर जीत हासिल की. इसके सहयोगी दल ने 14 पर कब्जा किया जबकि बीपीएफ ने 12 में जीत हासिल की. ​​दूसरी ओर कांग्रेस ने 26 में जीत हासिल की. 13 एआईयूडीएफ ने और एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार ने जीता था.

नई दिल्ली : मजबूत क्षेत्रीय आकांक्षाओं, पहचान की राजनीति और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध के आधार पर दो राजनीतिक इकाइयां बैलट की लड़ाई के लिए एकजुट हैं. अप्रैल के मध्य में आने वाले असम चुनावों की लड़ाई दिलचस्प होने वाली है.

इन पार्टियों में से एक नवोदित असोम जाति परिषद (AJP) है जबकि दूसरी रायजोर दल (RD) है. नए मोर्चे में ’डार्क हॉर्स’ के रूप में उभरने की क्षमता है जो चुनावी भविष्यवाणियों को परेशान कर सकती है. हालांकि इसका संभावित समर्थन आधार बहुत दूर-दूर तक हो सकता है लेकिन मूल सवाल यह है कि क्या नया संगठन संख्या के संदर्भ में अपने समर्थन को चुनावी वास्तविकता में बदल सकता है. नए मोर्चे के गठन की राजनीतिक यात्रा असम में व्यापक गड़बड़ी और नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के विरोध से शुरू होती है. जो संसद में 11 दिसंबर 2019 को पारित होने के बाद सीएए बन गया. जबकि CAB के खिलाफ विरोध जनवरी 2019 में शुरू हुआ. CAB के CAA बनने के बाद हिंसा भड़क उठी. सीएए 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से भारत पहुंचे गैर-मुस्लिमों के लिए भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान करता है.

असोम जाति परिषद (AJP)

AJP लूरिनज्योति गोगोई के नेतृत्व में शक्तिशाली ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) द्वारा समर्थित है. यह AASU की व्यापक-आधारित संगठनात्मक शक्ति है और ब्रह्मपुत्र घाटी में फैली हुई है. लगभग सभी असोम गण परिषद (AGP) के अधिकांश सदस्यों और समर्थकों को अपनी ओर खींचने के लिए AJP असमिया-क्षेत्रवादियों के समर्थन को भुनाने की उम्मीद करता है. यह राज्य में कम या अधिक लेकिन एक सर्वव्यापी राजनीतिक बल रहा है. लुरिनज्योति एएएसयू के पूर्व महासचिव हैं, जो छात्र संगठन है. जिसने 1979 से 1985 तक छह साल लंबे विदेश-विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया था. एजेपी की एक प्रमुख लेकिन अप्रयुक्त ताकत यह तथ्य है कि इसके कई समर्थक राज्य के राजनीतिक आख्यानों से अलग दृष्टिकोण रखते हैं. साथ ही युवा और तकनीक प्रेमी हैं. उनके लिए ऊपरी और निचले असम की पारंपरिक राजनीतिक भौगोलिक या जातिगत समीकरण में नहीं हैं बल्कि एक राजनीतिक विचारधारा है. जो मजबूत संघवाद की जड़ में केंद्रीय शक्तियों तक सीमित है.

रायजोर दल (आरडी)

दूसरी ओर किसान नेता और आरटीआई कार्यकर्ता अखिल गोगोई के नेतृत्व में रायजोर दल (आरडी) कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) की राजनीतिक पार्टी है. अखिल गोगोई को इस बात का श्रेय जाता है कि पहली बार उन्होंने किसानों को एक छतरी के नीचे संगठित किया है. अन्यथा यह निर्वाचन क्षेत्र राजनीतिक रूप से बड़े पैमाने पर उपेक्षित रहा है क्योंकि असम एक प्रमुख कृषि राज्य होने के बावजूद एकजुट संगठनात्मक उपस्थिति की कमी है. वर्षों से केएमएसएस ने असम में अपने विरोधी आंदोलन और आरटीआई सक्रियता के आधार पर स्वयं के लिए समर्थन आधार को बढ़ाया है. सामान्य रूप से किसानों के अलावा पार्टी के पास पश्चिम असम में महत्वपूर्ण बंगाली भाषी मुसलमानों के बीच पर्याप्त सद्भावना है. जो बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व वाले ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIFF) के अब तक समर्पित वोट बैंक में कटौती करेगा. तथ्य यह है कि केएमएसएस ने सीएए का विरोध किया और बंगाली भाषी मुसलमानों के बीच अपने राजनीतिक पदचिह्न को मजबूत किया. इसके अलावा एक विचार यह भी है कि अखिल गोगोई का झुकाव प्रशासन द्वारा पीड़ितों की ओर हो सकता है. जिसने राज्य में कई जगहों पर सार्वजनिक सभाओं और विरोध प्रदर्शनों में अभिव्यक्ति पाई है. दूसरे शब्दों में एजेपी की तरह आरजे के वोटों में कितनी बढ़ोतरी होती है, यह प्राथमिक सवाल है.

अन्य टाई-अप

गौरतलब है कि AJP का पहले से ही एक स्वायत्त राज्य मांग समिति (ASDC) के साथ गठबंधन है, जो एक आदिवासी पार्टी है. इनका कार्बी जनजाति के बीच बोलबाला है. नया राजनीतिक मोर्चा बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (BPF) के साथ पश्चिमी असम के बोडो बहुल क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक ताकत के साथ उभर रहा है. जबकि कांग्रेस की चुनावी संभावनाएं पहले से बहुत कम हो गई हैं. माना जाता है कि एआईयूडीएफ महत्वपूर्ण बढ़त तक पहुंच गया है. कांग्रेस एआईयूडीएफ, सीपीआई-मार्क्सवादी, सीपीआई और सीपीआई (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेगी.

यह भी पढ़ें-50 प्रतिशत कुपोषित बच्चे भारत में फिर भी बजट में कम हुआ पोषण पर आंवटन

2016 असम चुनाव

2016 के राज्य चुनावों में भाजपा ने राज्य की कुल 126 सीटों में से 60 सीटों पर जीत हासिल की. इसके सहयोगी दल ने 14 पर कब्जा किया जबकि बीपीएफ ने 12 में जीत हासिल की. ​​दूसरी ओर कांग्रेस ने 26 में जीत हासिल की. 13 एआईयूडीएफ ने और एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार ने जीता था.

Last Updated : Feb 5, 2021, 7:39 PM IST
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