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लिपुलेख विवाद : नेपाल ने सीमा पर तैनात की आर्म्ड पुलिस फोर्स

लिपुलेख सड़क बनने के बाद कालापानी पर नजर रखने के लिए नेपाल ने छांगरु में बीओपी बना दी है. इस बीओपी में सशस्त्र प्रहरी और नेपाल प्रहरी के 34 जवान तैनात किये गए हैं. कालापानी में भारतीय गतिविधियों की निगरानी करने के लिए नेपाल सरकार ने स्थायी तौर पर जवानों की तैनाती की है.

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धारचूला तहसील में काली नदी
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Published : May 16, 2020, 12:59 PM IST

Updated : May 16, 2020, 8:45 PM IST

पिथौरागढ़ : चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क बनने के बाद नेपाली सुरक्षा तंत्र बॉर्डर पर अलर्ट हो गया है. पिथौरागढ़ की धारचूला तहसील में काली नदी के पार छांगरु में विवादित क्षेत्र कालापानी पर कड़ी नजर रखने के लिए नेपाल ने बीओपी (बॉर्डर ऑब्जरवेशन पोस्ट) बना दी है. इस बीओपी में सशस्त्र प्रहरी और नेपाल प्रहरी के 34 जवान तैनात किये गए हैं.

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही भारत सरकार ने चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क का उद्घाटन किया था. इसके बाद से ही नेपाल में कई जगह प्रदर्शन हो रहे हैं. इसी को देखते हुए नेपाल सरकार ने छांगरु में बॉर्डर ऑब्जरवेशन पोस्ट बनाई है. इसके साथ ही बॉर्डर एरिया में नेपाल एक और चेकपोस्ट बनाने जा रहा है.

इस बीओपी में तैनात होने वाले सुरक्षा कर्मियों को हेलीकॉप्टर की मदद से पहुंचाया जा रहा है. चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क को लेकर नेपाल सरकार ने अपना विरोध जताया है. वहीं, पिथौरागढ़ जिलाधिकारी विजय कुमार जोगदंडे ने कहा कि नेपाल की तरफ से उन्हें अभी तक आधिकारिक रूप से बीओपी बनाने की जानकारी नहीं दी गई है.

बता दें कि भारत और नेपाल के संबंध अतीत से ही सौहार्दपूर्ण रहे हैं. दोनों देशों की संस्कृति रीति-रिवाज में काफी समानता है. भारत के साथ 'रोटी-बेटी' के संबंधों का दंभ भरने वाले नेपाल ने चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क बनने के बाद नेपाली सुरक्षा तंत्र बॉर्डर पर अलर्ट कर दिया है.

गौरतलब है कि नेपाल और भारत के संबंधों का इतिहास काफी पुराना है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता है. भारत ने हमेशा नेपाल का हित चाहा है. उसका हर मुश्किल घड़ी में साथ दिया है. दोनों देशों के बीच अतीत से ही अच्छे संबंध रहे हैं. वहीं दोनों देशों के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत एक जैसी है. कुछ घटनाओं को छोड़ दिया जाए तो दोनों देशों के संबंधों में कभी भी खटास नहीं आई है. दोनों देशों के बीच काली नदी को सीमा रेखा माना जाता है.

पढ़ें-आर्थिक पैकेज: तीसरी किश्त में कृषि सेक्टर पर फोकस, CM बोले- किसानों होंगे खुशहाल

लेकिन जिस तरह भारत के कालापानी को नक्शे में दर्शाए जाने के बाद नेपाल ने प्रतिक्रिया दी थी, उसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है. इसके बाद विवाद सुलझाने के लिए दोनों देशों के राजनीतिज्ञों ने कूटनीतिक हल के प्रयास तेज कर दिए थे. लेकिन पिथौरागढ़ में चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क बनने के बाद जिस तरह से नेपाल ने बीओपी की तैनाती की है, यह इस तरह का पहला मामला है.

पढ़ें-उत्तराखंड में भी 12 घंटे काम करेंगे श्रमिक, मिलेगा ओवरटाइम

चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क को लेकर नेपाल सरकार ने अपना विरोध जताया है. वहीं, पिथौरागढ़ जिलाधिकारी विजय कुमार जोगदंडे ने कहा कि नेपाल की तरफ से उन्हें अभी तक आधिकारिक रूप से बीओपी बनाने की जानकारी नहीं दी गई है.

बता दें कि लिपुलेख सड़क बनने के बाद कालापानी पर नजर रखने के लिए नेपाल ने छांगरू में बीओपी बना दी है. इस बीओपी में सशस्त्र प्रहरी और नेपाल प्रहरी के 34 जवान तैनात किये गए हैं. कालापानी में भारतीय गतिविधियों की निगरानी करने के लिए नेपाल सरकार ने स्थायी तौर पर जवानों की तैनाती की है. इससे साफ है कि नेपाल ने अब अपनी रणनीति बदल दी है, जिस पर भारत को गंभीरता से आगे बढ़ना होगा.

पिथौरागढ़ : चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क बनने के बाद नेपाली सुरक्षा तंत्र बॉर्डर पर अलर्ट हो गया है. पिथौरागढ़ की धारचूला तहसील में काली नदी के पार छांगरु में विवादित क्षेत्र कालापानी पर कड़ी नजर रखने के लिए नेपाल ने बीओपी (बॉर्डर ऑब्जरवेशन पोस्ट) बना दी है. इस बीओपी में सशस्त्र प्रहरी और नेपाल प्रहरी के 34 जवान तैनात किये गए हैं.

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही भारत सरकार ने चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क का उद्घाटन किया था. इसके बाद से ही नेपाल में कई जगह प्रदर्शन हो रहे हैं. इसी को देखते हुए नेपाल सरकार ने छांगरु में बॉर्डर ऑब्जरवेशन पोस्ट बनाई है. इसके साथ ही बॉर्डर एरिया में नेपाल एक और चेकपोस्ट बनाने जा रहा है.

इस बीओपी में तैनात होने वाले सुरक्षा कर्मियों को हेलीकॉप्टर की मदद से पहुंचाया जा रहा है. चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क को लेकर नेपाल सरकार ने अपना विरोध जताया है. वहीं, पिथौरागढ़ जिलाधिकारी विजय कुमार जोगदंडे ने कहा कि नेपाल की तरफ से उन्हें अभी तक आधिकारिक रूप से बीओपी बनाने की जानकारी नहीं दी गई है.

बता दें कि भारत और नेपाल के संबंध अतीत से ही सौहार्दपूर्ण रहे हैं. दोनों देशों की संस्कृति रीति-रिवाज में काफी समानता है. भारत के साथ 'रोटी-बेटी' के संबंधों का दंभ भरने वाले नेपाल ने चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क बनने के बाद नेपाली सुरक्षा तंत्र बॉर्डर पर अलर्ट कर दिया है.

गौरतलब है कि नेपाल और भारत के संबंधों का इतिहास काफी पुराना है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता है. भारत ने हमेशा नेपाल का हित चाहा है. उसका हर मुश्किल घड़ी में साथ दिया है. दोनों देशों के बीच अतीत से ही अच्छे संबंध रहे हैं. वहीं दोनों देशों के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत एक जैसी है. कुछ घटनाओं को छोड़ दिया जाए तो दोनों देशों के संबंधों में कभी भी खटास नहीं आई है. दोनों देशों के बीच काली नदी को सीमा रेखा माना जाता है.

पढ़ें-आर्थिक पैकेज: तीसरी किश्त में कृषि सेक्टर पर फोकस, CM बोले- किसानों होंगे खुशहाल

लेकिन जिस तरह भारत के कालापानी को नक्शे में दर्शाए जाने के बाद नेपाल ने प्रतिक्रिया दी थी, उसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है. इसके बाद विवाद सुलझाने के लिए दोनों देशों के राजनीतिज्ञों ने कूटनीतिक हल के प्रयास तेज कर दिए थे. लेकिन पिथौरागढ़ में चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क बनने के बाद जिस तरह से नेपाल ने बीओपी की तैनाती की है, यह इस तरह का पहला मामला है.

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चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क को लेकर नेपाल सरकार ने अपना विरोध जताया है. वहीं, पिथौरागढ़ जिलाधिकारी विजय कुमार जोगदंडे ने कहा कि नेपाल की तरफ से उन्हें अभी तक आधिकारिक रूप से बीओपी बनाने की जानकारी नहीं दी गई है.

बता दें कि लिपुलेख सड़क बनने के बाद कालापानी पर नजर रखने के लिए नेपाल ने छांगरू में बीओपी बना दी है. इस बीओपी में सशस्त्र प्रहरी और नेपाल प्रहरी के 34 जवान तैनात किये गए हैं. कालापानी में भारतीय गतिविधियों की निगरानी करने के लिए नेपाल सरकार ने स्थायी तौर पर जवानों की तैनाती की है. इससे साफ है कि नेपाल ने अब अपनी रणनीति बदल दी है, जिस पर भारत को गंभीरता से आगे बढ़ना होगा.

Last Updated : May 16, 2020, 8:45 PM IST
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