नई दिल्ली : आगामी 26 नवम्बर को संविधान दिवस की 70वीं वर्षगांठ मनायी जाएगी. इसके लिए एनडीए सरकार ने लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए सालभर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है. मंत्रालयों को भी कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश दिया गया है.
ईटीवी भारत ने संविधान के प्रति जागरूकता को लेकर संविधान के जानकार डॉ. परंताप दास से बात की. प्रो. दास ने कहा कि गांवों में आम, मासूम और अनपढ़ लोग रहते हैं, जो कानूनों को समझने में समस्याओं का सामना कर रहे हैं.
प्नो. दास ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि पहले तो दलितों को अनुसूचित जाति के लिए बने आयोग की जानकारी भी नहीं थी.
उन्होंने कहा कि कानून और न्याय मंत्रालय दृश्य और चित्रात्मक प्रस्तुति के माध्यम से कानूनों की व्याख्या करके अपना काम कर रहा है .
उन्होंने आगे कहा कि कानून विश्वविद्यालयों और लोगों को कानूनों को समझाने और उन्हें उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए भी कदम उठाने चाहिए.
इतना ही नहीं प्रो. दास ने सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर कहा कि यद्यपि इसके लिए जम्मू और कश्मीर सरकार की अनुमति आवश्यक है, फिर भी केंद्र सरकार अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के
लिए कानून के दायरे में थी क्योंकि पिछले एक साल से इस क्षेत्र में सरकार काम नहीं कर रही थी.
पूर्व CJI रंजन गोगोई द्वारा CJI को RTI अधिनियम के दायरे में लाने पर हाल के फैसले पर टिप्पणी करते हुए प्रो. दास ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक निर्णय है.
कॉलेजियम की पारदर्शिता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'हमारे देश के नागरिकों को यह जानने का पूरा अधिकार है कि न्यायाधीशों का चयन कैसे किया जाता है.'
कर्नाटक के अयोग्य विधायकों के मामले में पर दास ने कहा, 'अगर आप हमेशा चुनौती देते हैं कि स्पीकर के फैसलों पर काम नहीं होगा. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि स्पीकर की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती है, लेकिन कम से कम उस पद की गरिमा बनाए रखे, जिसकी व्याख्या संविधान में दी गयी है.'
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बता दें कि भारत ने 26 नवम्बर, 1949 को अपना संविधान अपनाया था, जिसे लागू हुए 69 वर्ष पूरे हो रहे हैं. वर्ष 2015 में सरकार ने इसे संविधान दिवस के रूप में घोषित किया, इससे पहले इसे राष्ट्रीय दिवस दिवस के रूप में मनाया जाता था.