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छत्तीसगढ़ : नक्सलियों का खूनी खेल, एक महीने में 15 लोगों की हत्या

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलियों की ओर से ग्रामीणों की हत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. पिछले एक महीने में नक्सलियों ने अब तक 15 लोगों को मौत के घाट उतार दिया है. पढ़ें यह रिपोर्ट...

नक्सलियों का खूनी खेल
नक्सलियों का खूनी खेल
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Published : Sep 26, 2020, 10:57 PM IST

बीजापुर : छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की ओर से ग्रामीणों की हत्या करने का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. कुटुरु में एक सहायक आरक्षक की हत्या के बाद नक्सली लगातार आम लोगों को मौत के घाट उतार रहे हैं. नक्सली ग्रामीणों को कहीं पुलिस मुखबिर होने के नाम से मार रहे हैं, तो कहीं रोड बनाने पर ठेकेदारों की हत्या कर रहे हैं. नक्सलियों ने पिछले एक महीने में जिले में कई ग्रामीणों को मौत के घाट उतार दिया है.

नक्सलियों का खूनी खेल

पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, नक्सलियों ने एक महीने में अब तक 15 लोगों की हत्या कर दी है. सूत्रों के मुताबिक, नक्सलियों ने पांच दिन पहले उसूर ब्लॉक के पामेड़ इलाके में सात से आठ गांव के 16 लोगों की पुलिस मुखबिर होने के शक में हत्या कर दी थी. घटना के बाद क्षेत्र में दहशत का माहौल है. जिसके चलते लोग गांव से बाहर नहीं जा पा रहे हैं.

मुखबिरी के शक में ग्रामीणों की हत्या
जानकारी के मुताबिक, बीते पांच दिनों में नक्सलियों ने पामेड़ थाना इलाके के पामेड़, कंवरगट्टा, भट्टीगुड़ा और पुसबाका के 16 ग्रामीणों को पुलिस मुखबिर होने के शक में मार दिया. साथ ही यह मामला बाहर न पहुंचे इसके लिए नक्सलियों ने ग्रामीणों के मोबाइल भी छीन लिए. बताया जा रहा है कि धर्मावरम और पामेड़ के बीच नाव से तालपेरू नदी पार करते वक्त इन 16 ग्रामीणों की हत्या कर दी गई थी.

इसकी सूचना अभी तक बीजापुर के पामेड़ थाने तक नहीं पहुंची है. हालांकि, तेलंगाना पुलिस सूत्र इस बात की पुष्टि कर रहे हैं. यह भी बताया जा रहा है कि मामले की सच्चाई का पता लगाने के लिए तेलंगाना के चेरला से मीडियाकर्मी पामेड़ की ओर रवाना हुए हैं.

तेलंगाना पुलिस ने नक्सलियों को उतारा मौत के घाट
बता दें कि छत्तीसगढ़ बाॅर्डर पर कुछ दिनों पहले तेलंगाना पुलिस ने चार नक्सलियों को मार गिराया था. इससे नक्सली बौखलाए हुए हैं. नक्सलियों ने तेलंगाना के कुछ इलाकों में इसे लेकर बंद का आह्वान भी किया है. इस बारे में पुलिस अधिकारी का कहना है कि पामेड़ क्षेत्र में 16 ग्रामीणों की हत्या को लेकर फिलहाल पुलिस के पास कोई जानकारी नहीं है. ग्रामीणों में दहशत फैलाने के लिए नक्सली ऐसी घटनाओं को अंजाम देते रहे हैं.

सूत्रों की मानें तो पामेड़ एरिया कमेटी के पूर्व एरिया कमांडर को भी मार दिया गया है. उस पर संगठन के साथ गद्दारी का आरोप भी लगा था और वह फिलहाल गांव में ही रह रहा था.

नक्सलियों की बौखलाहट है हत्या का कारण: ताम्रध्वज साहू
बता दें कि बीजापुर जिले के कुटरू साप्ताहिक बाजार में सहायक आरक्षक की हत्या से शुरू हुआ सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. हत्याओं के पीछे नक्सलियों की रणनीति क्या है, पुलिस भी इसे नहीं समझ पाई है. बीजापुर में बढ़ती नक्सली हत्याओं पर राज्य ही नहीं, बल्कि केंद्र भी संज्ञान लेने को मजबूर है. राज्य के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने अपने बयान में हत्याओं के लिए नक्सलियों की बौखलाहट और पतन को कारण बताया है. जबकि पुलिस खुफिया तंत्र इसके पीछे आपसी विवाद को भी वजह मान रहा है. हालांकि, नक्सलियों की तरफ से हत्याओं के बाद पुलिस मुखबिर होने के आरोप लगाए जा रहे हैं.

सलवा जुडूम के बाद से बढ़ी हत्या की घटनाएं
आंकड़ों पर नजर डालें, तो जुडूम के शुरुआती दौर में जितनी हत्याएं हुई हैं, सालों बाद नक्सली पुरानी हिंसा की नीति पर बढ़ते दिख रहे हैं. पुलिस के मुताबिक, नक्सलियों ने महज मुखबिरी के नाम पर 294 ग्रामीणों की हत्या की है. साल 2005 में सलवा जुडूम की शुरुआत के बाद ग्रामीणों का बड़ा हिस्सा सरकार की ओर से बसाए गए राहत शिविरों में आकर रहने लगा. राहत शिविरों में रहने वाले ग्रामीणों को भी सलवा जुडूम कार्यकर्ता बताकर 272 ग्रामीणों की हत्या की गई. मुखबिरी का आरोप लगाकर पांच ठेकेदारों को भी मौत के घाट उतारा गया.

साल 2006 से अब तक ग्रामीणों की हत्या:

साल ग्रामीणों की हत्या
2006 03
2007 19
2008 43
2009 39
2010 53
2011 37
2012 20
2013 10
2014 15
2015 12
2016 11
2017 06
2018 10
2019 09
2020 07 (जुलाई महीने तक)

बीजापुर : छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की ओर से ग्रामीणों की हत्या करने का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. कुटुरु में एक सहायक आरक्षक की हत्या के बाद नक्सली लगातार आम लोगों को मौत के घाट उतार रहे हैं. नक्सली ग्रामीणों को कहीं पुलिस मुखबिर होने के नाम से मार रहे हैं, तो कहीं रोड बनाने पर ठेकेदारों की हत्या कर रहे हैं. नक्सलियों ने पिछले एक महीने में जिले में कई ग्रामीणों को मौत के घाट उतार दिया है.

नक्सलियों का खूनी खेल

पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, नक्सलियों ने एक महीने में अब तक 15 लोगों की हत्या कर दी है. सूत्रों के मुताबिक, नक्सलियों ने पांच दिन पहले उसूर ब्लॉक के पामेड़ इलाके में सात से आठ गांव के 16 लोगों की पुलिस मुखबिर होने के शक में हत्या कर दी थी. घटना के बाद क्षेत्र में दहशत का माहौल है. जिसके चलते लोग गांव से बाहर नहीं जा पा रहे हैं.

मुखबिरी के शक में ग्रामीणों की हत्या
जानकारी के मुताबिक, बीते पांच दिनों में नक्सलियों ने पामेड़ थाना इलाके के पामेड़, कंवरगट्टा, भट्टीगुड़ा और पुसबाका के 16 ग्रामीणों को पुलिस मुखबिर होने के शक में मार दिया. साथ ही यह मामला बाहर न पहुंचे इसके लिए नक्सलियों ने ग्रामीणों के मोबाइल भी छीन लिए. बताया जा रहा है कि धर्मावरम और पामेड़ के बीच नाव से तालपेरू नदी पार करते वक्त इन 16 ग्रामीणों की हत्या कर दी गई थी.

इसकी सूचना अभी तक बीजापुर के पामेड़ थाने तक नहीं पहुंची है. हालांकि, तेलंगाना पुलिस सूत्र इस बात की पुष्टि कर रहे हैं. यह भी बताया जा रहा है कि मामले की सच्चाई का पता लगाने के लिए तेलंगाना के चेरला से मीडियाकर्मी पामेड़ की ओर रवाना हुए हैं.

तेलंगाना पुलिस ने नक्सलियों को उतारा मौत के घाट
बता दें कि छत्तीसगढ़ बाॅर्डर पर कुछ दिनों पहले तेलंगाना पुलिस ने चार नक्सलियों को मार गिराया था. इससे नक्सली बौखलाए हुए हैं. नक्सलियों ने तेलंगाना के कुछ इलाकों में इसे लेकर बंद का आह्वान भी किया है. इस बारे में पुलिस अधिकारी का कहना है कि पामेड़ क्षेत्र में 16 ग्रामीणों की हत्या को लेकर फिलहाल पुलिस के पास कोई जानकारी नहीं है. ग्रामीणों में दहशत फैलाने के लिए नक्सली ऐसी घटनाओं को अंजाम देते रहे हैं.

सूत्रों की मानें तो पामेड़ एरिया कमेटी के पूर्व एरिया कमांडर को भी मार दिया गया है. उस पर संगठन के साथ गद्दारी का आरोप भी लगा था और वह फिलहाल गांव में ही रह रहा था.

नक्सलियों की बौखलाहट है हत्या का कारण: ताम्रध्वज साहू
बता दें कि बीजापुर जिले के कुटरू साप्ताहिक बाजार में सहायक आरक्षक की हत्या से शुरू हुआ सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. हत्याओं के पीछे नक्सलियों की रणनीति क्या है, पुलिस भी इसे नहीं समझ पाई है. बीजापुर में बढ़ती नक्सली हत्याओं पर राज्य ही नहीं, बल्कि केंद्र भी संज्ञान लेने को मजबूर है. राज्य के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने अपने बयान में हत्याओं के लिए नक्सलियों की बौखलाहट और पतन को कारण बताया है. जबकि पुलिस खुफिया तंत्र इसके पीछे आपसी विवाद को भी वजह मान रहा है. हालांकि, नक्सलियों की तरफ से हत्याओं के बाद पुलिस मुखबिर होने के आरोप लगाए जा रहे हैं.

सलवा जुडूम के बाद से बढ़ी हत्या की घटनाएं
आंकड़ों पर नजर डालें, तो जुडूम के शुरुआती दौर में जितनी हत्याएं हुई हैं, सालों बाद नक्सली पुरानी हिंसा की नीति पर बढ़ते दिख रहे हैं. पुलिस के मुताबिक, नक्सलियों ने महज मुखबिरी के नाम पर 294 ग्रामीणों की हत्या की है. साल 2005 में सलवा जुडूम की शुरुआत के बाद ग्रामीणों का बड़ा हिस्सा सरकार की ओर से बसाए गए राहत शिविरों में आकर रहने लगा. राहत शिविरों में रहने वाले ग्रामीणों को भी सलवा जुडूम कार्यकर्ता बताकर 272 ग्रामीणों की हत्या की गई. मुखबिरी का आरोप लगाकर पांच ठेकेदारों को भी मौत के घाट उतारा गया.

साल 2006 से अब तक ग्रामीणों की हत्या:

साल ग्रामीणों की हत्या
2006 03
2007 19
2008 43
2009 39
2010 53
2011 37
2012 20
2013 10
2014 15
2015 12
2016 11
2017 06
2018 10
2019 09
2020 07 (जुलाई महीने तक)
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