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हमारा संवैधानिक संघीय ढांचा अनेकता में एकता की गारंटी है: नकवी

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि हमारा संवैधानिक ढांचा अनेकता में एकता की गांरटी है. उन्होंने कहा कि अधिकार और कर्तव्य दोनों एक-दूसरे से अलग नहीं हो सकते. जानें क्या कुछ कहा नकवी ने..

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मुख्तार अब्बास नकवी
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Published : Jan 18, 2020, 12:00 AM IST

लखनऊ : केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने यहां कहा कि हमारा संवैधानिक संघीय ढांचा अनेकता में एकता की गारंटी है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से मौलिक अधिकारों के सम्बन्ध में हम जागरूक रहते हैं, उसी तरह से मूल कर्तव्यों के प्रति भी हमें जिम्मेदारी समझनी होगी. नागरिकों के मौलिक अधिकार, मौलिक कर्तव्यों के निर्वहन पर आधारित हैं, क्योंकि अधिकार और कर्तव्य दोनों एक-दूसरे से अलग नहीं हो सकते. नागरिकों द्वारा राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है.

विधान भवन लखनऊ में आयोजित राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत क्षेत्र के सातवें सम्मेलन के दौरान 'जन प्रतिनिधियों का ध्यान विधायी कार्यों की ओर बढ़ाना' विषय पर अपने सम्बोधन में नकवी ने कहा कि संविधान संसद, विधानमंडल की शक्तियां और विशेषाधिकार को अनुच्छेद 105 में स्पष्ट करता है, वहीं उससे पहले अनुच्छेद 51ए मूल कर्तव्यों की भी जिम्मेदारी देता है.

नकवी ने कहा, 'भारतीय संविधान ने मूल कर्तव्यों के प्रति भी जिम्मेदारी तय की है. संविधान के अनुच्छेद 51 A में स्पष्ट कहा है कि भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे... भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे... प्राणि मात्र के प्रति दयाभाव रखे; वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे तथा सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे.'

नकवी ने कहा कि जीवन, स्वतंत्रता, समानता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित मौलिक अधिकारों को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है, लेकिन नागरिकों जिनमें चुने प्रतिनिधि शामिल हैं, द्वारा राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को गंभीरता से लेने की जरुरत है.

ये भी पढ़ें- CAA के नाम पर लोगों को गुमराह कर रही हैं विपक्षी पार्टियां : नकवी

उन्होंने कहा कि कर्तव्यों और जिम्मेदारियों दोनों से पात्रता आती है. उन्होंने कहा कि यदि प्रत्येक नागरिक अपने कर्तव्य का पालन करता है तो अधिकारों का उपयोग करने के लिए उचित माहौल बनेगा. उन्होंने जनप्रतिनिधियों से कहा कि कर्त्तव्य के प्रति ईमानदारी की नजीर बनना चाहिए.

नकवी ने कहा कि भारत न केवल सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में उभरा है, बल्कि जीवंत, बहुल संस्कृति, संसदीय प्रणाली के रूप में फला-फूला और मजबूत हुआ है, जिसमें संविधान प्रत्येक समाज के अधिकारों की रक्षा करता है.

लखनऊ : केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने यहां कहा कि हमारा संवैधानिक संघीय ढांचा अनेकता में एकता की गारंटी है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से मौलिक अधिकारों के सम्बन्ध में हम जागरूक रहते हैं, उसी तरह से मूल कर्तव्यों के प्रति भी हमें जिम्मेदारी समझनी होगी. नागरिकों के मौलिक अधिकार, मौलिक कर्तव्यों के निर्वहन पर आधारित हैं, क्योंकि अधिकार और कर्तव्य दोनों एक-दूसरे से अलग नहीं हो सकते. नागरिकों द्वारा राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है.

विधान भवन लखनऊ में आयोजित राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत क्षेत्र के सातवें सम्मेलन के दौरान 'जन प्रतिनिधियों का ध्यान विधायी कार्यों की ओर बढ़ाना' विषय पर अपने सम्बोधन में नकवी ने कहा कि संविधान संसद, विधानमंडल की शक्तियां और विशेषाधिकार को अनुच्छेद 105 में स्पष्ट करता है, वहीं उससे पहले अनुच्छेद 51ए मूल कर्तव्यों की भी जिम्मेदारी देता है.

नकवी ने कहा, 'भारतीय संविधान ने मूल कर्तव्यों के प्रति भी जिम्मेदारी तय की है. संविधान के अनुच्छेद 51 A में स्पष्ट कहा है कि भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे... भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे... प्राणि मात्र के प्रति दयाभाव रखे; वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे तथा सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे.'

नकवी ने कहा कि जीवन, स्वतंत्रता, समानता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित मौलिक अधिकारों को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है, लेकिन नागरिकों जिनमें चुने प्रतिनिधि शामिल हैं, द्वारा राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को गंभीरता से लेने की जरुरत है.

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उन्होंने कहा कि कर्तव्यों और जिम्मेदारियों दोनों से पात्रता आती है. उन्होंने कहा कि यदि प्रत्येक नागरिक अपने कर्तव्य का पालन करता है तो अधिकारों का उपयोग करने के लिए उचित माहौल बनेगा. उन्होंने जनप्रतिनिधियों से कहा कि कर्त्तव्य के प्रति ईमानदारी की नजीर बनना चाहिए.

नकवी ने कहा कि भारत न केवल सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में उभरा है, बल्कि जीवंत, बहुल संस्कृति, संसदीय प्रणाली के रूप में फला-फूला और मजबूत हुआ है, जिसमें संविधान प्रत्येक समाज के अधिकारों की रक्षा करता है.

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 15:10 HRS IST




             
  • हमारा संवैधानिक संघीय ढांचा "अनेकता में एकता" की गारंटी है: मुख्तार नकवी



लखनऊ, 17 जनवरी :भाषा: केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने शुक्रवार को यहाँ कहा कि हमारा संवैधानिक संघीय ढांचा "अनेकता में एकता" की गारंटी है।



उन्होंने कहा कि जिस तरह से मौलिक अधिकारों के सम्बन्ध में हम जागरूक रहते हैं, उसी तरह से मूल कर्तव्यों के प्रति भी हमें जिम्मेदारी समझनी होगी। नागरिकों के मौलिक अधिकार, मौलिक कर्तव्यों के निर्वहन पर आधारित हैं, क्योंकि अधिकार और कर्तव्य दोनों एक-दूसरे से अलग नहीं हो सकते। नागरिकों द्वारा राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।



विधान भवन लखनऊ में आयोजित राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत क्षेत्र के सातवें सम्मेलन के दौरान 'जन प्रतिनिधियों का ध्यान विधायी कार्यों की ओर बढ़ाना' विषय पर अपने सम्बोधन में नकवी ने कहा कि संविधान संसद, विधानमंडल की "शक्तियां और विशेषाधिकार’’ को अनुच्छेद 105 में स्पष्ट करता है, वहीँ उससे पहले अनुच्छेद 51ए मूल कर्तव्यों की भी जिम्मेदारी देता है।



नकवी ने कहा, ‘‘ भारतीय संविधान ने मूल कर्तव्यों के प्रति भी जिम्मेदारी तय की है। संविधान के अनुच्छेद 51 A में स्पष्ट कहा है कि भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे... भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे... प्राणि मात्र के प्रति दयाभाव रखे; वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे तथा सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे।’’



नकवी ने कहा कि जीवन, स्वतंत्रता, समानता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित मौलिक अधिकारों को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है, लेकिन नागरिकों जिनमें चुने प्रतिनिधि शामिल हैं, द्वारा राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को गंभीरता से लेने की जरुरत है।



उन्होंने कहा कि कर्तव्यों और जिम्मेदारियों दोनों से पात्रता आती है। उन्होंने कहा कि यदि प्रत्येक नागरिक अपने कर्तव्य का पालन करता है तो अधिकारों का उपयोग करने के लिए उचित माहौल बनेगा। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से कहा कि कर्त्तव्य के प्रति ईमानदारी की नजीर बनना चाहिए।



नकवी ने कहा कि भारत न केवल सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में उभरा है, बल्कि जीवंत, बहुल संस्कृति, संसदीय प्रणाली के रूप में फला-फूला और मजबूत हुआ है, जिसमें संविधान प्रत्येक समाज के अधिकारों की रक्षा करता है।


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