लखनऊ में पहली बार हो रहे इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन में प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश और इंडिया पवेलियन का अवलोकन भी करेंगे. इंडिया पवेलियन में निजी, लघु एवं मंझोले उद्योगों समेत सार्वजनिक क्षेत्र की मजबूत साझीदारी की झलक खासतौर पर पेश की जाएगी.
उम्मीद जतायी जा रही है कि 'डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन आफ डिफेंस' थीम पर होने वाले इस एक्सपो के परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश 'डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग' और 'एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग' में दुनिया का महत्वपूर्ण स्थल बन जाएगा.
एक्सपो में पहली बार 'भारत-अफ्रीका डिफेंस कॉन्क्लेव' का भी आयोजन किया जाएगा.
रक्षा मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक लखनऊ में आयोजित होने वाला यह एक्सपो प्रदर्शनी लगाने वालों की संख्या, आयोजन क्षेत्र और राजस्व प्राप्ति के हिसाब से भारत की सबसे बड़ी रक्षा प्रदर्शनी होगी.
एक्सपो में 150 से अधिक विदेशी कंपनियों समेत 1000 से ज्यादा आयुध निर्माता कम्पनियां अपने उत्पादों का प्रदर्शन करेंगी. वर्ष 2018 में चेन्नई में हुए एक्सपो में यह संख्या 702 थी.
बहुराष्ट्रीय कम्पनी एमबीडीए उन हथियारों को प्रदर्शित करेगी जो अत्याधुनिक लड़ाकू विमान 'राफेल' में लगाए जाएंगे.
कम्पनी के एक प्रवक्ता ने बताया कि मिसाइल और मिसाइल सिस्टम्स पोर्टफोलियो की पूरी श्रृंखला को यहां प्रदर्शित किया जाएगा. इनमें 'स्काल्प डीप स्ट्राइक' और 'मेटेयोर एयर-टू-एयर' मिसाइल भी शामिल हैं.
एक्सपो में करीब 70 देश भाग लेंगे. लगभग 40 देशों के रक्षा मंत्रियों ने इसमें शिरकत के लिये सहमति दी है.
चेन्नई में एक्सपो का आयोजन 80 एकड़ क्षेत्र में हुआ था लेकिन लखनऊ में यह 200 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में हो रहा है. इसका एक भाग यहां गोमती रिवर फ्रंट पर भी आयोजित किया जाएगा.
इस 11वें डिफेंस एक्सपो के दौरान 19 सेमिनार आयोजित करने की योजना है. इनमें से 15 सेमिनार एसोचैम, सीआईआई और पीएचडी चैम्बर आफ कॉमर्स समेत विभिन्न उद्योग मण्डलों द्वारा आयोजित किये जाएंगे.