नई दिल्लीः पश्चिम बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड के मंत्रियों ने एनईईटी और जेईई परीक्षाओं पर आदेश की समीक्षा की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना महामारी के बीच एनईईटी और जेईई परीक्षाएं स्थगित करने से इनकार कर दिया था.
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुआई वाली पीठ ने आदेश दिया था कि परीक्षाओं को स्थगित नहीं किया जा सकता है क्योंकि एक वर्ष की हानि छात्रों के लिए संकट का कारण बनेगी और क्योंकि कोविड के अगले वर्ष भी रहने की उम्मीद है, इसलिए छात्रों को नुकसान से बचाने के लिए शिक्षा को जारी रखना होगा.
गैर-भाजपा शासित राज्यों के मंत्रियों ने परीक्षाओं को छह से आठ सप्ताह के लिए स्थगित करने की मांग की है, ताकि छात्रों को परीक्षा केंद्र तक पहुंचने के लिए विशेष बसें, ट्रेनें और उड़ानें उपलब्ध हो सकें. वे प्रत्येक जिले में एक परीक्षा केंद्र चाहते हैं ताकि सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन किया जा सके.
एनईईटी/ जेईई परीक्षा के लिए आने वाले उम्मीदवारों की एक बड़ी संख्या छोटे शहरों और गांवों से आती है. कुछ छात्र बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से भी आते हैं. इन लोगों को बड़े शहरों के छात्रों के मुकाबले ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इन हालात में कोरोना संक्रमण के और अधिक बढ़ने का खतरा है.
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याचिका को मोलॉय घटक (टीएमसी, पश्चिम बंगाल), रामेश्वर उरांव (झारखंड कांग्रेस), रघु शर्मा (राजस्थान कांग्रेस), अमरजीत भगत (छत्तीसगढ़ कांग्रेस), बलबीर सिंह सिद्धू (पंजाब कांग्रेस) और उदय रवींद्र सामंत (शिवसेना) ने संयुक्त रूप से दायर किया है.