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हरियाणा चुनाव परिणाम से केजरीवाल ठिठके, कांग्रेस प्रफुल्लित

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Published : Oct 30, 2019, 4:37 PM IST

हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की वापसी का असर दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी पर भी पड़ सकता है. कयास लगाये जा रहे हैं कि कांग्रेस दिल्ली में भी अच्छा कर सकती है और यह आम आदमी पार्टी के लिए खतरे की घंटी होगी. पढ़ें पूरी खबर...

फाइल फोटो

नई दिल्ली : हरियाणा चुनाव का असर दिल्ली में भी पड़ सकता है. कांग्रेस ने जिस तरीके से यहां वापसी की है, इसे लेकर दिल्ली कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह है. राजनीतिक विश्लेषकों का आकलन है कि दिल्ली में भी कांग्रेस अच्छा कर सकती है. हालांकि, कांग्रेस का मजबूत होना, आम आदमी पार्टी (आप) के लिए खतरे की घंटी हो सकती है.

इसकी मुख्य वजह है AAP द्वारा कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी. दरअसल, पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को भले ही ज्यादा सीटें ( सिर्फ 3 ) नहीं मिली थीं, लेकिन उसका वोट प्रतिशत कम नहीं हुआ था. बीजेपी के परम्परागत वोटरों ने उसका साथ दिया था. AAP को 70 में से 67 सीटें मिली थीं. यानी कांग्रेस का वोट बैंक 'आप' में शिफ्ट हो गया था.

परम्परागत रूप से कांग्रेस 20 फीसदी पूर्वांचली और 14 फीसदी अल्पसंख्यक मतदाताओं पर निर्भर हुआ करती थी. लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में इन दोनों समुदायों ने उसका साथ छोड़ दिया और 'आप' का साथ दिया था.

दूसरी बात ये है कि शीला दीक्षित के निधन और राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच निराशा जैसी स्थिति बन गयी थी. ऐसे में हरियाणा चुनाव परिणाम से कांग्रेस में उत्साह है. कार्यकर्ताओं में उम्मीद जगी है कि उन्हें पूर्वांचली और अल्पसंख्यक मतदाताओं का दोबारा समर्थन मिल सकता है.

आर्थिक रूप से कमजोर पूर्वांचली तबकों के बीच भाजपा द्वारा प्रचारित किये जा रहे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लेकर कई आशंकाएं हैं. उन्हें लगता है कि यदि भाजपा सत्ता में लौटेगी, तो वे उन्हें अपने राज्यों में जाने के लिए मजबूर कर देंगे. अल्पसंख्यक समुदाय भाजपा को लेकर पहले ही सशंकित रहते हैं.

पढ़ें - महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनाव परिणामों के राष्ट्रीय संदेश

ऐसे में कांग्रेस का हरियाणा में बेहतर प्रदर्शन कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए खुशी लेकर आया है. और 'आप' इसी को लेकर आशंकित है.

नई दिल्ली : हरियाणा चुनाव का असर दिल्ली में भी पड़ सकता है. कांग्रेस ने जिस तरीके से यहां वापसी की है, इसे लेकर दिल्ली कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह है. राजनीतिक विश्लेषकों का आकलन है कि दिल्ली में भी कांग्रेस अच्छा कर सकती है. हालांकि, कांग्रेस का मजबूत होना, आम आदमी पार्टी (आप) के लिए खतरे की घंटी हो सकती है.

इसकी मुख्य वजह है AAP द्वारा कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी. दरअसल, पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को भले ही ज्यादा सीटें ( सिर्फ 3 ) नहीं मिली थीं, लेकिन उसका वोट प्रतिशत कम नहीं हुआ था. बीजेपी के परम्परागत वोटरों ने उसका साथ दिया था. AAP को 70 में से 67 सीटें मिली थीं. यानी कांग्रेस का वोट बैंक 'आप' में शिफ्ट हो गया था.

परम्परागत रूप से कांग्रेस 20 फीसदी पूर्वांचली और 14 फीसदी अल्पसंख्यक मतदाताओं पर निर्भर हुआ करती थी. लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में इन दोनों समुदायों ने उसका साथ छोड़ दिया और 'आप' का साथ दिया था.

दूसरी बात ये है कि शीला दीक्षित के निधन और राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच निराशा जैसी स्थिति बन गयी थी. ऐसे में हरियाणा चुनाव परिणाम से कांग्रेस में उत्साह है. कार्यकर्ताओं में उम्मीद जगी है कि उन्हें पूर्वांचली और अल्पसंख्यक मतदाताओं का दोबारा समर्थन मिल सकता है.

आर्थिक रूप से कमजोर पूर्वांचली तबकों के बीच भाजपा द्वारा प्रचारित किये जा रहे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लेकर कई आशंकाएं हैं. उन्हें लगता है कि यदि भाजपा सत्ता में लौटेगी, तो वे उन्हें अपने राज्यों में जाने के लिए मजबूर कर देंगे. अल्पसंख्यक समुदाय भाजपा को लेकर पहले ही सशंकित रहते हैं.

पढ़ें - महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनाव परिणामों के राष्ट्रीय संदेश

ऐसे में कांग्रेस का हरियाणा में बेहतर प्रदर्शन कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए खुशी लेकर आया है. और 'आप' इसी को लेकर आशंकित है.

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