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भारत-चीन लंबित मुद्दों को तेजी से सुलझाने पर सहमत : विदेश मंत्रालय - गलवान घाटी

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में गतिरोध लंबा खींच रहा है. इसी बीच विदेश मंत्रालय ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि भारत और चीन ने मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के तहत लंबित मुद्दों को शीघ्र आधार पर निपटाने पर सहमति जताई है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव
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Published : Aug 20, 2020, 10:48 PM IST

नई दिल्ली : भारत और चीन ने मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के तहत लंबित मुद्दों को तेजी से निपटाने पर सहमति जताई. विदेश मंत्रालय ने दोनों पक्षों के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा संबंधी गतिरोध को लेकर ताजा राजनयिक वार्ता के बाद यह बात कही.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बनी मौजूदा स्थिति को लेकर दोनों पक्षों के बीच स्पष्ट और गहन बातचीत हुई और उन्होंने पश्चिमी सेक्टर में एलएसी के पास सैनिकों को पूरी तरह से पीछे हटाने के लिए पूरी गंभीरता के साथ काम करने की फिर से पुष्टि की.

दोनों पक्षों के बीच सीमा मामलों पर परामर्श एवं सहयोग संबंधी तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के तहत डिजिटल माध्यम से वार्ता हुई.

श्रीवास्तव ने कहा, ' दोनों पक्षों के बीच भारत-चीन सीमा क्षेत्रों की मौजूदा स्थिति को लेकर स्पष्ट और गहन बातचीत हुई .' विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा , 'इन्होंने इस बात की फिर से पुष्टि की कि वे दोनों देशों के विदेश मंत्रियों और दो विशेष प्रतिनिधियों के बीच बनी सहमति के अनुरूप पश्चिमी सेक्टर में एलएसी के पास सैनिकों के पूरी तरह से पीछे हटने के लिए गंभीरता के साथ काम करेंगे.'

उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में दोनों पक्षों ने मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के तहत लंबित मुद्दों के जल्द निपटारे पर भी सहमति व्यक्त की.

गौरतलब है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 17 जून को अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ टेलीफोन पर चर्चा की थी, जिसमें दोनों पक्षों ने सम्पूर्ण स्थिति से जिम्मेदार ढंग से निपटने पर सहमति व्यक्त की थी.

वहीं, पांच जुलाई को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी द्वारा सीमा विवाद सुलझाने के रास्तों की तलाश के लिये करीब दो घंटे तक टेलीफोन पर बातचीत हुई थी. डोभाल और वांग सीमा वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं.

गुरुवार को हुई बातचीत का जिक्र करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि दोनों पक्षों ने यह स्वीकार किया है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति की बहाली द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए आवश्यक है.

उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि सैनिकों का पूरी तरह से से पीछे हटना सुनिश्चित करने के लिए कूटनीतिक, सैन्य माध्यमों से करीबी संवाद को बनाये रखने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि इस संबंध में डब्ल्यूएमसीसी की बैठकों सहित जारी वार्ता को आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की.

सीमा मामलों पर परामर्श एवं सहयोग संबंधी तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की 18वीं बैठक में भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) नवीन श्रीवास्तव और चीनी पक्ष का प्रतिनिधित्व वहां के विदेश मंत्रालय में सीमा एवं समुद्री विभाग के महानिदेशक हांग लियांग ने किया.

यह भी पढ़ें- चीन के इन सात एयरबेस पर भारत की नजर, कुछ दिनों से बढ़ी है हलचल

वहीं, चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, दोनों पक्षों ने अग्रिम पंक्ति के बलों के पीछे हटने को लेकर हुई प्रगति का सकारात्मक मूल्यांकन किया तथा जमीनी स्तर शेष मुद्दों की स्पष्ट एवं गहन समीक्षा की तथा आपसी समझ को बढ़ाया.

इसमें कहा गया है कि दोनों पक्षों ने भारत चीन सीमा मुद्दे पर दोनों देशों के विदेश मंत्रियों और दो विशेष प्रतिनिधियों के बीच बनी सहमति को लागू करने तथा सैन्य एवं राजनयिक माध्यमों से बातचीन जारी रखने एवं स्थिति को सामान्य बनाने, जमीनी स्तर पर शेष मुद्दों का ठीक ढंग से निस्तारित करने तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में संयुक्त रूप से शांति पर सहमत हुए.

डब्ल्यूएमसीसी की इससे पहले वार्ता 24 जुलाई को हुई थी. इस बातचीत के बाद दोनों देशों के कोर कमांडर स्तर की पांचवी वार्ता दो अगस्त को हुई थी, जिसका मकसद सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया में तेजी लाना था. इस बातचीत के बाद भारतीय पक्ष द्वारा चीनी सैनिकों के जल्द पीछे हटने और पूर्वी लद्दाख के सभी इलाकों में पांच मई से पूर्व की स्थिति बहाल करने पर जोर दिया था.

सैन्य सूत्रों के अनुसार, चीनी सेना गलवान घाटी और संघर्ष के कुछ स्थानों से पीछे हटी है. लेकिन पेंगांग सो, गोग्रा और देपसांग के फिंगर इलाकों में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी है.

नई दिल्ली : भारत और चीन ने मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के तहत लंबित मुद्दों को तेजी से निपटाने पर सहमति जताई. विदेश मंत्रालय ने दोनों पक्षों के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा संबंधी गतिरोध को लेकर ताजा राजनयिक वार्ता के बाद यह बात कही.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बनी मौजूदा स्थिति को लेकर दोनों पक्षों के बीच स्पष्ट और गहन बातचीत हुई और उन्होंने पश्चिमी सेक्टर में एलएसी के पास सैनिकों को पूरी तरह से पीछे हटाने के लिए पूरी गंभीरता के साथ काम करने की फिर से पुष्टि की.

दोनों पक्षों के बीच सीमा मामलों पर परामर्श एवं सहयोग संबंधी तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के तहत डिजिटल माध्यम से वार्ता हुई.

श्रीवास्तव ने कहा, ' दोनों पक्षों के बीच भारत-चीन सीमा क्षेत्रों की मौजूदा स्थिति को लेकर स्पष्ट और गहन बातचीत हुई .' विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा , 'इन्होंने इस बात की फिर से पुष्टि की कि वे दोनों देशों के विदेश मंत्रियों और दो विशेष प्रतिनिधियों के बीच बनी सहमति के अनुरूप पश्चिमी सेक्टर में एलएसी के पास सैनिकों के पूरी तरह से पीछे हटने के लिए गंभीरता के साथ काम करेंगे.'

उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में दोनों पक्षों ने मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के तहत लंबित मुद्दों के जल्द निपटारे पर भी सहमति व्यक्त की.

गौरतलब है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 17 जून को अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ टेलीफोन पर चर्चा की थी, जिसमें दोनों पक्षों ने सम्पूर्ण स्थिति से जिम्मेदार ढंग से निपटने पर सहमति व्यक्त की थी.

वहीं, पांच जुलाई को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी द्वारा सीमा विवाद सुलझाने के रास्तों की तलाश के लिये करीब दो घंटे तक टेलीफोन पर बातचीत हुई थी. डोभाल और वांग सीमा वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं.

गुरुवार को हुई बातचीत का जिक्र करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि दोनों पक्षों ने यह स्वीकार किया है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति की बहाली द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए आवश्यक है.

उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि सैनिकों का पूरी तरह से से पीछे हटना सुनिश्चित करने के लिए कूटनीतिक, सैन्य माध्यमों से करीबी संवाद को बनाये रखने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि इस संबंध में डब्ल्यूएमसीसी की बैठकों सहित जारी वार्ता को आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की.

सीमा मामलों पर परामर्श एवं सहयोग संबंधी तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की 18वीं बैठक में भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) नवीन श्रीवास्तव और चीनी पक्ष का प्रतिनिधित्व वहां के विदेश मंत्रालय में सीमा एवं समुद्री विभाग के महानिदेशक हांग लियांग ने किया.

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वहीं, चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, दोनों पक्षों ने अग्रिम पंक्ति के बलों के पीछे हटने को लेकर हुई प्रगति का सकारात्मक मूल्यांकन किया तथा जमीनी स्तर शेष मुद्दों की स्पष्ट एवं गहन समीक्षा की तथा आपसी समझ को बढ़ाया.

इसमें कहा गया है कि दोनों पक्षों ने भारत चीन सीमा मुद्दे पर दोनों देशों के विदेश मंत्रियों और दो विशेष प्रतिनिधियों के बीच बनी सहमति को लागू करने तथा सैन्य एवं राजनयिक माध्यमों से बातचीन जारी रखने एवं स्थिति को सामान्य बनाने, जमीनी स्तर पर शेष मुद्दों का ठीक ढंग से निस्तारित करने तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में संयुक्त रूप से शांति पर सहमत हुए.

डब्ल्यूएमसीसी की इससे पहले वार्ता 24 जुलाई को हुई थी. इस बातचीत के बाद दोनों देशों के कोर कमांडर स्तर की पांचवी वार्ता दो अगस्त को हुई थी, जिसका मकसद सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया में तेजी लाना था. इस बातचीत के बाद भारतीय पक्ष द्वारा चीनी सैनिकों के जल्द पीछे हटने और पूर्वी लद्दाख के सभी इलाकों में पांच मई से पूर्व की स्थिति बहाल करने पर जोर दिया था.

सैन्य सूत्रों के अनुसार, चीनी सेना गलवान घाटी और संघर्ष के कुछ स्थानों से पीछे हटी है. लेकिन पेंगांग सो, गोग्रा और देपसांग के फिंगर इलाकों में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी है.

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