हैदराबाद : व्यापारी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (MCCI) के अध्यक्ष विवेक गुप्ता का भारत-चीन के बीच जारी गतिरोध को लेकर कहना है कि भावनांए अपने स्थान पर है और व्यवसाय अपनी जगह हमारी संवेदनाएं, भावनाएं सभी शहीद सैनिकों के साथ हैं. इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन किसी देश से सामान आयात करना कोई आसान काम नहीं है. गुप्ता ने कहा कि चीन से सामान आयात न करने का मतलब है कि उत्पादों को महंगा करना.
उन्होंने कहा कि अगर खरीदार उच्च दर पर सामान खरीदने के लिए तैयार है, तो कोई समस्या नहीं है, लेकिन क्या यह इतना आसान होगा? क्या लोग अधिक कीमत पर खरीदेंगे? लोग जानते हैं, चीनी उत्पादों पर भारोसा (विश्वास) नहीं है. यह वर्षों या घंटों तक चल सकता है, लेकिन लोग इसके साथ खुश हैं. वह कम कीमत पर जोखिम लेने के आदी हैं. क्या ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम या कंबोडिया से चीजें आयात की जाती हैं?
भारतीयों ने कभी भी डिजाइन और इनोवेशन में निवेश नहीं किया है. हम आकर्षक बनाने के लिए एक अलग डिजाइन में एक पेंसिल या एक शार्पनर भी नहीं बना सके. हम संभवत: उस कॉपी-पेस्ट या 'जुगाड़' मानसिकता से नहीं उठ पाए हैं.
यह पूछे जाने पर कि चीन पर इतनी बड़ी निर्भरता क्यों है? हम कहां गलत हो गए? तो गुप्ता ने कहा कि चीन जहां तक पहुंचा है, वहां हम क्यों नहीं पहुंच पाए, चीन के पास भारत की तुलना में हर भी समय बेहतर बुनियादी ढांचा, बेहतर समर्थन प्रणाली है.
हमारे देश में पोस्ट सिस्टम की जांच है. एक भारतीय उद्यमी को दौड़ जीतने के लिए अकेले लड़ना पड़ता है. गुप्ता ने उल्लेख किया कि लॉकडाउन के बाद कहा गया था कि बैंक 8.5 से 9.25% के बीच कुछ शुल्क लेंगे. अब सभी बैंक 9.25% चार्ज कर रहे हैं.
यूएस इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम (USISPF) ने आयात मुद्दे (चीन से) पर अपनी चिंता व्यक्त की है. उनकी राय है कि अगर चीन से आयात को एक तरह से प्रतिबंधित कर दिया जाता है, तो भी उनका उत्पादन गड़बड़ा जाएगा. साथ ही उन्होंने राजस्व सचिव को अनौपचारिक रूप से अवगत कराया, लेकिन गुप्ता को लगता है, यह इस समय चिंता का विषय नहीं है. किसी भी देश को दूसरे में निवेश करते समय, किसी तीसरे देश पर पूरी तरह से निर्भर नहीं होना चाहिए. वह व्यावसायिक नियम नहीं है.