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जानें, गांधी के मणि भवन का ऐतिहासिक महत्व - mani bhavan gandhi sangrahalaya of gandhi

आजादी के आंदोलन के दौरान गांधीजी ने देश के अलग-अलग हिस्सों का दौरा किया था. जहां-जहां भी बापू जाते थे, वे वहां के लोगों पर अमिट छाप छोड़ जाते थे. वहां के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना घर कर जाती थी. ईटीवी भारत ऐसी ही जगहों से गांधी से जुड़ी कई यादें आपको प्रस्तुत कर रहा है. पेश है आज 41वीं कड़ी.

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Published : Sep 27, 2019, 7:04 AM IST

Updated : Oct 2, 2019, 4:28 AM IST

मार्टिन लूथर किंग, जिन्होंने अमेरिका में अश्वेतों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष किया था, मुंबई आने पर मणि भवन में ही ठहरे थे. वह यहां 1959 में आए थे. उन्होंने होटल में ठहरने से इनकार कर दिया था.

मणिभवन आने पर वे गांधी के कार्यों से परिचित हुए और उन्हें करीब से जाना.

गांधी के मणि भवन का ऐतिहासिक महत्व

मणिभवन के सचिव और ट्रस्टी मेघश्याम आजोनकर ने बताया कि यहां ओबामा और उनकी पत्नी भी आ चुकी हैं.

उन्होंने बताया कि मणि भवन रेवा शंकर झावेरी द्वारा 1912 में बनाया गया था. गांधी यहां 1915 में आए थे.

ये भी पढ़ें: 'सारस्वत निकेतनम लाइब्रेरी' जिसकी आधारशिला स्वयं गांधी ने रखी

उन्होंने बताया कि गांधी ने यहीं से जनता की सेवा करने का निर्णय लिया. गांधी यहां 1917 से 1934 के बीच कई बार आए. वही यहीं ठहरते थे.

मेघश्याम ने कहा कि1959 में मार्टिन लूथर किंग यहां आए थे. वही भी यहीं पर ठहरे.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गांधी ने मणिभवन से आजादी के आंदोलन का नेतृत्व किया था. यहीं पर गांधी ने चरखा चलाना भी सीखा था.

सबसे खास बात ये है कि हर साल यहां लाखों लोग आते हैं. यहां महात्मा गांधी का कमरा दूसरे तले पर है. जहां सबसे अधिक लोग आते हैं.

मार्टिन लूथर किंग, जिन्होंने अमेरिका में अश्वेतों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष किया था, मुंबई आने पर मणि भवन में ही ठहरे थे. वह यहां 1959 में आए थे. उन्होंने होटल में ठहरने से इनकार कर दिया था.

मणिभवन आने पर वे गांधी के कार्यों से परिचित हुए और उन्हें करीब से जाना.

गांधी के मणि भवन का ऐतिहासिक महत्व

मणिभवन के सचिव और ट्रस्टी मेघश्याम आजोनकर ने बताया कि यहां ओबामा और उनकी पत्नी भी आ चुकी हैं.

उन्होंने बताया कि मणि भवन रेवा शंकर झावेरी द्वारा 1912 में बनाया गया था. गांधी यहां 1915 में आए थे.

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उन्होंने बताया कि गांधी ने यहीं से जनता की सेवा करने का निर्णय लिया. गांधी यहां 1917 से 1934 के बीच कई बार आए. वही यहीं ठहरते थे.

मेघश्याम ने कहा कि1959 में मार्टिन लूथर किंग यहां आए थे. वही भी यहीं पर ठहरे.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गांधी ने मणिभवन से आजादी के आंदोलन का नेतृत्व किया था. यहीं पर गांधी ने चरखा चलाना भी सीखा था.

सबसे खास बात ये है कि हर साल यहां लाखों लोग आते हैं. यहां महात्मा गांधी का कमरा दूसरे तले पर है. जहां सबसे अधिक लोग आते हैं.

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Last Updated : Oct 2, 2019, 4:28 AM IST
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