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बिहार : दुनिया को बेबसी दिखाने के लिए बेटे ने मरते पिता का बनाया वीडियो

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Published : May 17, 2020, 9:22 PM IST

बिहार के सिवान से एक ऐसी ही घटना सामने आई है, जहां एक नौजवान बेटे ने बेबस होकर अपने पिता के तड़पते हुए मरने का वीडियो बनाकर अपनी लाचारी जाहिर की. परिजनों का कहना है कि बीते बुधवार को तबीयत बिगड़ने के बाद पारस नाथ ठाकुर को अस्पताल न भेजकर सिवान के डीईलू होटल में रखा गया, जहां उनकी मौत हो गई. जानें विस्तार से...

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क्वारंटाइन सेंटर में मौत

सिवान : जब इंसान बेबस और लाचार होकर अपनी आखों के सामने अपनों को खो दे तो उसका दर्द क्या होता है, इसका अंदाजा शायद आप नहीं लगा सकते. लेकिन बिहार के सिवान से एक ऐसी ही घटना सामने आई है, जहां एक नौजवान बेटे ने बेबस होकर अपने पिता के तड़पते हुए मरने का वीडियो बनाकर अपनी लाचारी जाहिर की. बेटे की ये बेबसी शायद जिला प्रशासन को नजर नहीं आई और आखिरकार बेटे के सामने क्वारंटाइन सेंटर में बाप ने दम तोड़ दिया.

मरीज को नहीं भेजा गया अस्पताल
ये दर्दनाक घटना दरौली प्रखंड के भिटौली गांव के एक प्रवासी मजदूर की है. जिनकी सिवान के डीइलू होटल में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर में मौत हो गई. दरअसल मजदूर पारस नाथ ठाकुर अपने बेटे शिबू ठाकुर के साथ मुंबई में रहते थे. दो महीने पहले इनको पीलिया हुआ था. लेकिन लॉकडाउन के चलते उनका सही से इलाज नहीं हो सका था. सरकार से घर आने की छूट मिलते ही पारस नाथ अपने गांव आ गए, जहां इनको पंचायत में बने क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया. बीते बुधवार को तबीयत बिगड़ने के बाद इनको अस्पताल न भेजकर सिवान के डीईलू होटल में रखा गया. जहां इनकी मौत हो गई.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

इलाज कराने के लिए परेशान रहा बेटा
बेटे के जरिए बनाए गए वीडियो में साफ दिख रहा है कि मरीज पलंग पर लेटा तड़प रहा है, लेकिन उसे देखने के लिए कोई डॉक्टर या नर्स वहां मौजूद नहीं है. पिता का इलाज कराने के लिए बेटा परेशान था, लेकिन उसे बाहर नहीं निकलने दिया गया. बल्कि प्रशासन की ओर से मारने की धमकी भी दी गई. आखिरकार उसने मजबूर होकर वीडियो बनाया और लोगों तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की. लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और बेटे के सामने बाप ने दम तोड़ दिया.

ये भी पढ़ेंः बिहार: मजदूरों के दर्द पर कुछ ऐसे लगाया मरहम, अपने ढाबे को बना दिया लंगर

मुखिया ने भी व्यवस्था पर उठाए सवाल
परिजनों का आरोप है कि गांव के सेंटर में तीन दिनों तक बिना जांच और इलाज के रखा गया था. सिवान में भी किसी तरह की व्यवस्था नहीं की गई. जिससे इलाज के अभाव में इनकी तड़प-तड़प कर मौत हो गई. इस मामले में पंचायत के मुखिया संजय प्रजापति ने भी व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं और कहा कि प्रशासन की लापरवाही की वजह से उनका इलाज नहीं हो सका. वहीं, परिवार के लोग भी प्रशासन पर आरोप लगा रहे हैं.

मामले की होगी जांच- सीएस
इस मामले में सिवान सीएस डॉक्टर यदुवंश नारायण शर्मा ने बताया कि सिवान डीईलू में जब मरीज आया था, उस वक्त उसकी हालत काफी खराब थी. अफसोस की हम उन्हें बचा न सके. जिस गांव के क्वारंटाइन सेंटर से वह आए थे, वहां जांच की जाएगी कि किसकी लापरवाही थी.

सिवान : जब इंसान बेबस और लाचार होकर अपनी आखों के सामने अपनों को खो दे तो उसका दर्द क्या होता है, इसका अंदाजा शायद आप नहीं लगा सकते. लेकिन बिहार के सिवान से एक ऐसी ही घटना सामने आई है, जहां एक नौजवान बेटे ने बेबस होकर अपने पिता के तड़पते हुए मरने का वीडियो बनाकर अपनी लाचारी जाहिर की. बेटे की ये बेबसी शायद जिला प्रशासन को नजर नहीं आई और आखिरकार बेटे के सामने क्वारंटाइन सेंटर में बाप ने दम तोड़ दिया.

मरीज को नहीं भेजा गया अस्पताल
ये दर्दनाक घटना दरौली प्रखंड के भिटौली गांव के एक प्रवासी मजदूर की है. जिनकी सिवान के डीइलू होटल में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर में मौत हो गई. दरअसल मजदूर पारस नाथ ठाकुर अपने बेटे शिबू ठाकुर के साथ मुंबई में रहते थे. दो महीने पहले इनको पीलिया हुआ था. लेकिन लॉकडाउन के चलते उनका सही से इलाज नहीं हो सका था. सरकार से घर आने की छूट मिलते ही पारस नाथ अपने गांव आ गए, जहां इनको पंचायत में बने क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया. बीते बुधवार को तबीयत बिगड़ने के बाद इनको अस्पताल न भेजकर सिवान के डीईलू होटल में रखा गया. जहां इनकी मौत हो गई.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

इलाज कराने के लिए परेशान रहा बेटा
बेटे के जरिए बनाए गए वीडियो में साफ दिख रहा है कि मरीज पलंग पर लेटा तड़प रहा है, लेकिन उसे देखने के लिए कोई डॉक्टर या नर्स वहां मौजूद नहीं है. पिता का इलाज कराने के लिए बेटा परेशान था, लेकिन उसे बाहर नहीं निकलने दिया गया. बल्कि प्रशासन की ओर से मारने की धमकी भी दी गई. आखिरकार उसने मजबूर होकर वीडियो बनाया और लोगों तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की. लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और बेटे के सामने बाप ने दम तोड़ दिया.

ये भी पढ़ेंः बिहार: मजदूरों के दर्द पर कुछ ऐसे लगाया मरहम, अपने ढाबे को बना दिया लंगर

मुखिया ने भी व्यवस्था पर उठाए सवाल
परिजनों का आरोप है कि गांव के सेंटर में तीन दिनों तक बिना जांच और इलाज के रखा गया था. सिवान में भी किसी तरह की व्यवस्था नहीं की गई. जिससे इलाज के अभाव में इनकी तड़प-तड़प कर मौत हो गई. इस मामले में पंचायत के मुखिया संजय प्रजापति ने भी व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं और कहा कि प्रशासन की लापरवाही की वजह से उनका इलाज नहीं हो सका. वहीं, परिवार के लोग भी प्रशासन पर आरोप लगा रहे हैं.

मामले की होगी जांच- सीएस
इस मामले में सिवान सीएस डॉक्टर यदुवंश नारायण शर्मा ने बताया कि सिवान डीईलू में जब मरीज आया था, उस वक्त उसकी हालत काफी खराब थी. अफसोस की हम उन्हें बचा न सके. जिस गांव के क्वारंटाइन सेंटर से वह आए थे, वहां जांच की जाएगी कि किसकी लापरवाही थी.

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