नई दिल्ली : उच्चतम न्यायलय ने शुक्रवार को मद्रास हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें उसने राज्यों द्वारा शराब की दुकानें बंद करने और कोरोना वायरस महामारी के बीच सामाजिक दूरियों के मानदंडों को बनाए रखने के लिए ऑनलाइन माध्यमों या होम डेलिवरी के माध्यम से बिक्री की अनुमति देने का निर्देश दिया था.
दरअसल, TASMAC ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में कहा कि राज्य का अधिकतर हिस्सा ऑनलाइन बिक्री करने में समर्थ नहीं है. इसके अलावा दुकानदार कोरोना महामारी के मद्देनजर सभी आवश्यक कदम उठा रहे हैं और लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं.
TASMAC के अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दिशा-निर्देशों और प्रतिबंधों का विरोध किया. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने अपने स्वयं के प्रतिबंध लगा दिए, जिसका अधिकार उसके पास नहीं होने चाहिए क्योंकि यह राज्य की नीति के अधीन है.
उन्होंने कहा, 'जब हम दो बोतलें ऑनलाइन बेच सकते हैं, तो हम और भी बोतलें बेच सकते हैं. यह राज्य को तय करना है कि हम किस तरह शराब बेचें, हाईकोर्ट का नहीं.'
रोहतगी ने कहा कि तमिलनाडु एक बड़ा राज्य है और हमारे पास निविदा सेवा नहीं है. हम किसी को वितरित करने के लिए भरोसा नहीं कर सकते हैं और इससे कई समस्याएं हो सकती हैं, जो दंगों को जन्म दे सकती हैं.
प्रतिवादी पी.वी. योगेश्वरन ने प्रतिवादी के लिए अपील करते हुए तर्क दिया कि शराब बेचना एक मौलिक अधिकार नहीं है, लेकिन एक वाणिज्यिक गतिविधि है और हम कुल प्रतिबंध की मांग नहीं कर रहे हैं, लेकिन एहतियाती तरीकों का पालन किया जाना चाहिए.
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बता दें हाईकोर्ट में सरकार द्वारा लगाए गए सोशल डिस्टेंसिग नियम के उल्लंघन होने पर शराब की दुकानें बंद करने का आदेश जारी किया था. यह आदेश कमल हसन और मक्कल नीधि माईम पार्टी सहित विभिन्न लोगों द्वारा दायर शराब की दुकानों पर भीड़भाड़ के मुद्दे को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं के जवाब में आया था.