हैदराबाद : ईटीवी भारत के न्यूज एडिटर बिलाल भट के साथ एक विशेष साक्षात्कार में की वास्तविक सीमा रेखा (LAC) को लेकर लेफ्टिनेंट जनरल रिटा. बी एस जायसवाल से बातचीत की. इस दौरान लेफ्ट. जनरल जायसवाल ने एलएसी की अवधारणा और उत्पत्ति को परिभाषित करते हुए कहा कि एलएसी को चीन द्वारा 1959 में तैयार किया गया था और उसके बाद एलएसी का फिर से नक्शा तैयार किया गया.
उन्होंने बताया कि चीन ने 1959 के युद्ध में पहली बार एलएसी के पास के क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था. जिसके बाद वह वहां से पीछे हटे और वह जगह वास्तविक नियंत्रण रेखा बन गई.
जनरल जायसवाल ने चर्चा के दौरान बताया कि किस तरह धीरे धारे रेंगते हुए चीन फिंगर 4 और उसकी ऊंचाई तक पहुंच गया है और किस तरह वह गलवान घाटी में पैट्रोल पॉइंट 14 के पास बैठ गया.
बातचीत के दौरान उन्होंने उल्लेख किया कि कैसे पीपी 14 के करीब बैठे चीन को फायदे होंगे. उन्होंने भारतीय सैनिकों पर हुए हमले को बेमेल खुफिया सूचना का परिणाम बताया.
इस दौरान जनरल जायसवाल ने कहा कि भारतीय सेना और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, दोनों तरह के सैन्य खुफिया तंत्र होने के बावजूद यह घटना आश्चर्यचकित करनी वाली है, जो उस पार से हो रही गतिव्धियों के बारे में जानकारी प्रदान करता है. खुफिया तंत्र चीन द्वारा हो रहे निर्माण के बारे में विवरण प्राप्त नहीं कर सका और जिसके कारण 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए.
बातचीत के दौरान उन्होंने यह भी बताया कि उनके कार्यकाल के दौरान उनके द्वारा की गई कैमरा लगाने की मांग आज तक पूरी नहीं हो सकी.
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जनरल जायसवाल का यह भी मानना है कि रक्षा मंत्रालय घायल सैनिकों के ठीक हो जाने के बाद 15 जून की घटना के बारे में विवरण साझा करेगा, क्योंकि घायल सैनिक बोलने की स्थिति में होंगे.
हमले के बारे में, उन्होंने कहा कि सैनिकों को अपने हथियारों को स्थानांतरित करने के लिए पर्याप्त समय मिल सकता था.
उन्होंने यह भी बताया कि कमांडिंग ऑफिसर ने अपने बचाव में आग्नेय शस्त्र का उपयोग न करके युद्ध को कैसे टाला होगा. वह भी ऐसी जगह जहां एक एक ही गोली से दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ सकता है.