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गांधी परिवार ने बार-बार की SPG सुरक्षा घेरे की अनदेखी: शाह

एसपीजी) संशोधन बिल लोकसभा से पास हो गया है. अब सिर्फ प्रधानमंत्री और उनके परिवार के सदस्यों को सुरक्षा प्रदान की जाएगी. लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि गांधी परिवार ने बार-बार एसपीजी सुरक्षा की अनदेखी की है. जानें संशोधन के बाद क्या हुआ एसपीजी में बदलाव.

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Published : Nov 22, 2019, 5:36 PM IST

Updated : Nov 27, 2019, 6:09 PM IST

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एसपीजी

नई दिल्ली : स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) संशोधन बिल लोकसभा से पास हो गया है. इस विधेयक के पास होने के बाद अब सिर्फ प्रधानमंत्री और उनके परिवार को सुरक्षा प्रदान की जाएगी. विशेष सुरक्षा समूह कानून में संशोधन को आवश्यक करार देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि एसपीजी अधिनियम संशोधन विधेयक लाने का मकसद एसपीजी और प्रभावी बनाना और कानून के मूल उद्देश्य को बहाल करना है. उन्होंने कहा कि गांधी परिवार ने तो कई बार-बार एसपीजी सुरक्षा के घेरे को अनदेखी की है. दूसरी तरफ कांग्रेस ने सदन का वॉकआउट किया है.

विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) अधिनियम संशोधन विधेयक को चर्चा एवं पारित करने के लिये रखते हुए शाह ने कहा कि एसपीजी का गठन प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए किया गया था और दुनिया के कई देशों में उनके शासनाध्यक्षों की सुरक्षा के मकसद से ऐसे ही विशिष्ट सुरक्षा इकाई बनाई गई हैं .

गांधी परिवार की सुरक्षा पर लोकसभा में बोलते अमित शाह

गृह मंत्री ने कहा कि इस विधेयक को लाने का मकसद एसपीजी को और प्रभावी बनाना है और यह देखना है कि उसके काम में किसी भी तरह की कोई कोताही न हो .

उन्होंने कहा कि इसका मकसद कानून के मूल उद्देश्य को बहाल करना है. अतीत में सरकारों ने कई बार कानून में संशोधन किया . गृह मंत्री ने कहा, 'मैं जो संशोधन लेकर आया हूं, उसके तहत एसपीजी सुरक्षा सिर्फ प्रधानमंत्री और उनके साथ उनके आवास में रहने वालों के लिए ही होगी तथा सरकार द्वारा आवंटित आवास पर रहने वाले पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार को पांच साल की अवधि तक एसपीजी सुरक्षा प्राप्त होगी.'

शाह ने कहा कि इस स्तर के सुरक्षा कवर के लिये ‘‘विशेष’’ शब्दावली का उपयोग किया गया. यह आदर्श रूप में प्रधानमंत्री के संदर्भ में होना चाहिए . यह सिर्फ शरीरिक सुरक्षा के संदर्भ में नहीं है बल्कि इसमें उनके विभाग, स्वास्थ्य, संचार एवं अन्य विषय भी हैं .

लोकसभा में एसपीजी पर बोलते अमित शाह.

अमित शाह ने कहा कि एसपीजी का गठन 1985 में बनी एक कमेटी के आधार पर हुआ था. 1985-88 तक एसपीजी एक अधिशासी आदेश के तहत काम करती थी. 1988 में एक कानून बना, जिसके तहत एसपीजी काम करने लगी. 1991, 1994, 1999 और 2003 में इसमें संशोधन हुआ. आज वह एक और संशोधन लेकर आए हैं.

गौरतलब है कि विधेयक की धारा 4 में एक उपधारा का प्रस्ताव किया गया है कि विशेष सुरक्षा समूह प्रधानमंत्री और उनके साथ निवास करने वाले उनके निकट परिवार के सदस्यों तथा किसी भूतपूर्व प्रधानमंत्री और उनके आवंटित आवास पर निवास कर रहे निकट परिजनों को उस तरीख से, जब वह प्रधानमंत्री नहीं रह जाते हैं, पांच वर्ष तक की अवधि के लिये निकट सुरक्षा प्रदान करेगा.

इसमें धारा 4 के खंड 'ख' को शामिल किया गया है कि जहां किसी भूतपूर्व प्रधानमंत्री से निकट सुरक्षा हटा ली जाती है, वहां ऐसी निकट सुरक्षा ऐसे पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार के सदस्यों से भी हटा ली जाए. उल्लेखनीय है कि प्रतिष्ठित एसपीजी कमांडो देश के प्रधानमंत्री, उनके परिजनों, पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार के करीबी सदस्यों की सुरक्षा का जिम्मा संभालते रहे हैं. सुरक्षा संबंधी खतरों के आधार पर यह सुरक्षा प्रदान की जाती है.

पढ़ें : SPG कवर पर 'नया' नियम, 'गांधी परिवार पर बढ़ेगी निगरानी'

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि अधिनियम में भूतपूर्व प्रधनमंत्रियों या उनके कुटुंब के सदस्यों को एसपीजी संरक्षा की व्यवस्था करने की कोई अवधि निश्चित नहीं की गई है.
अत: ऐसे व्यक्तियों की संख्या जिन्हें एसपीजी सुरक्षा दी जानी है, काफी अधिक हो सकती है. इस परिप्रेक्ष्य में एसपीजी के संसाधनों , प्रशिक्षण और संबंधित अवसंरचना पर भी प्रभाव पड़ सकता है.
अत: कानून में संशोधन की जरूरत समझी गई जिसमें मुख्य आदेश पर ध्यान केंद्रित किया जा सके क्योंकि प्रधान के रूप में प्रधानमंत्री की सुरक्षा, सरकार, शासन और राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोच्च महत्व की है.
कार्यरत प्रधानमंत्री के लिये अत्यंत जरूरी महत्वपूर्ण सुरक्षा को मान्यता देते हुए विशेष सुरक्षा समूह के गठन के लिये अधिनियम बनाया गया था जिसका एकमात्र उद्देश्य प्रधानमंत्री और उनके कुटुंब के सदस्यों को निकट सुरक्षा प्रदान करना है.

गौरतलब है कि प्रतिष्ठित एसपीजी कमांडो देश के प्रधानमंत्री, उनके परिजनों, पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके करीबी परिवार के सदस्यों की सुरक्षा का जिम्मा संभालते रहे हैं. सुरक्षा संबंधी खतरों के आधार पर यह सुरक्षा प्रदान की जाती है.

पढ़ें : SPG हटाए जाने पर बोलीं प्रियंका - यह राजनीति का हिस्सा

क्यों किया जा रहा है विधेयक में संशोंधन

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि अधिनियम में भूतपूर्व प्रधनमंत्रियों या उनके परिवार के सदस्यों को एसपीजी संरक्षा की व्यवस्था करने की कोई अवधि निश्चित नहीं की गई है.

अत: ऐसे व्यक्तियों की संख्या जिन्हें एसपीजी सुरक्षा दी जानी है, काफी अधिक हो सकती है. इस परिप्रेक्ष्य में एसपीजी के संसाधनों, प्रशिक्षण और संबंधित अवसंरचना पर भी प्रभाव पड़ सकता है.

अत: अधिनियम में संशोधन की जरूरत समझी गई जिसमें मुख्य आदेश पर ध्यान केंद्रित किया जा सके क्योंकि प्रधान के रूप में प्रधानमंत्री की सुरक्षा, सरकार, शासन और राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोच्च महत्व की है.

पढ़ें : गांधी परिवार की SPG सुरक्षा वापस लेने के खिलाफ युवा कांग्रेस का प्रदर्शन

पदस्थ प्रधानमंत्री के लिए अत्यंत जरूरी महत्वपूर्ण सुरक्षा को मान्यता देते हुए एसपीजी के गठन के लिए अधिनियम बनाया गया था. इसका एकमात्र उद्देश्य प्रधानमंत्री और उनके परिवारों के सदस्यों को निकट सुरक्षा प्रदान करना है.

पहले क्या था एसपीजी सुरक्षा अधिनियम में

एसपीजी अधिनियम के तहत, एसपीजी की सुरक्षा प्रधानमंत्री एवं उनके परिवार के सदस्यों को प्रदान की जाती है. इसके अलावा किसी पूर्व प्रधानमंत्री या उनके परिवार के सदस्यों को पद छोड़ने के एक वर्ष तक इसे प्रदान किया जाता है और एक वर्ष बाद खतरे का आकलन कर सुरक्षा कवर को बढ़ाया जा सकता है.

पढ़ें : CRPF ने संभाली गांधी परिवार की सुरक्षा की कमान, की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा

कांग्रेस ने विधेयक वापस लेने का मुद्दा उठाया

कांग्रेस ने संसद के दोनों सदनों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष तथा सांसद राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की एसपीजी सुरक्षा वापस लिए जाने का मुद्दा उठाया है. हालांकि, सत्तारूढ़ भाजपा ने कहा कि यह फैसला गृह मंत्रालय का है और इसमें कोई राजनीति नहीं है.

नई दिल्ली : स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) संशोधन बिल लोकसभा से पास हो गया है. इस विधेयक के पास होने के बाद अब सिर्फ प्रधानमंत्री और उनके परिवार को सुरक्षा प्रदान की जाएगी. विशेष सुरक्षा समूह कानून में संशोधन को आवश्यक करार देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि एसपीजी अधिनियम संशोधन विधेयक लाने का मकसद एसपीजी और प्रभावी बनाना और कानून के मूल उद्देश्य को बहाल करना है. उन्होंने कहा कि गांधी परिवार ने तो कई बार-बार एसपीजी सुरक्षा के घेरे को अनदेखी की है. दूसरी तरफ कांग्रेस ने सदन का वॉकआउट किया है.

विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) अधिनियम संशोधन विधेयक को चर्चा एवं पारित करने के लिये रखते हुए शाह ने कहा कि एसपीजी का गठन प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए किया गया था और दुनिया के कई देशों में उनके शासनाध्यक्षों की सुरक्षा के मकसद से ऐसे ही विशिष्ट सुरक्षा इकाई बनाई गई हैं .

गांधी परिवार की सुरक्षा पर लोकसभा में बोलते अमित शाह

गृह मंत्री ने कहा कि इस विधेयक को लाने का मकसद एसपीजी को और प्रभावी बनाना है और यह देखना है कि उसके काम में किसी भी तरह की कोई कोताही न हो .

उन्होंने कहा कि इसका मकसद कानून के मूल उद्देश्य को बहाल करना है. अतीत में सरकारों ने कई बार कानून में संशोधन किया . गृह मंत्री ने कहा, 'मैं जो संशोधन लेकर आया हूं, उसके तहत एसपीजी सुरक्षा सिर्फ प्रधानमंत्री और उनके साथ उनके आवास में रहने वालों के लिए ही होगी तथा सरकार द्वारा आवंटित आवास पर रहने वाले पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार को पांच साल की अवधि तक एसपीजी सुरक्षा प्राप्त होगी.'

शाह ने कहा कि इस स्तर के सुरक्षा कवर के लिये ‘‘विशेष’’ शब्दावली का उपयोग किया गया. यह आदर्श रूप में प्रधानमंत्री के संदर्भ में होना चाहिए . यह सिर्फ शरीरिक सुरक्षा के संदर्भ में नहीं है बल्कि इसमें उनके विभाग, स्वास्थ्य, संचार एवं अन्य विषय भी हैं .

लोकसभा में एसपीजी पर बोलते अमित शाह.

अमित शाह ने कहा कि एसपीजी का गठन 1985 में बनी एक कमेटी के आधार पर हुआ था. 1985-88 तक एसपीजी एक अधिशासी आदेश के तहत काम करती थी. 1988 में एक कानून बना, जिसके तहत एसपीजी काम करने लगी. 1991, 1994, 1999 और 2003 में इसमें संशोधन हुआ. आज वह एक और संशोधन लेकर आए हैं.

गौरतलब है कि विधेयक की धारा 4 में एक उपधारा का प्रस्ताव किया गया है कि विशेष सुरक्षा समूह प्रधानमंत्री और उनके साथ निवास करने वाले उनके निकट परिवार के सदस्यों तथा किसी भूतपूर्व प्रधानमंत्री और उनके आवंटित आवास पर निवास कर रहे निकट परिजनों को उस तरीख से, जब वह प्रधानमंत्री नहीं रह जाते हैं, पांच वर्ष तक की अवधि के लिये निकट सुरक्षा प्रदान करेगा.

इसमें धारा 4 के खंड 'ख' को शामिल किया गया है कि जहां किसी भूतपूर्व प्रधानमंत्री से निकट सुरक्षा हटा ली जाती है, वहां ऐसी निकट सुरक्षा ऐसे पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार के सदस्यों से भी हटा ली जाए. उल्लेखनीय है कि प्रतिष्ठित एसपीजी कमांडो देश के प्रधानमंत्री, उनके परिजनों, पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार के करीबी सदस्यों की सुरक्षा का जिम्मा संभालते रहे हैं. सुरक्षा संबंधी खतरों के आधार पर यह सुरक्षा प्रदान की जाती है.

पढ़ें : SPG कवर पर 'नया' नियम, 'गांधी परिवार पर बढ़ेगी निगरानी'

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि अधिनियम में भूतपूर्व प्रधनमंत्रियों या उनके कुटुंब के सदस्यों को एसपीजी संरक्षा की व्यवस्था करने की कोई अवधि निश्चित नहीं की गई है.
अत: ऐसे व्यक्तियों की संख्या जिन्हें एसपीजी सुरक्षा दी जानी है, काफी अधिक हो सकती है. इस परिप्रेक्ष्य में एसपीजी के संसाधनों , प्रशिक्षण और संबंधित अवसंरचना पर भी प्रभाव पड़ सकता है.
अत: कानून में संशोधन की जरूरत समझी गई जिसमें मुख्य आदेश पर ध्यान केंद्रित किया जा सके क्योंकि प्रधान के रूप में प्रधानमंत्री की सुरक्षा, सरकार, शासन और राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोच्च महत्व की है.
कार्यरत प्रधानमंत्री के लिये अत्यंत जरूरी महत्वपूर्ण सुरक्षा को मान्यता देते हुए विशेष सुरक्षा समूह के गठन के लिये अधिनियम बनाया गया था जिसका एकमात्र उद्देश्य प्रधानमंत्री और उनके कुटुंब के सदस्यों को निकट सुरक्षा प्रदान करना है.

गौरतलब है कि प्रतिष्ठित एसपीजी कमांडो देश के प्रधानमंत्री, उनके परिजनों, पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके करीबी परिवार के सदस्यों की सुरक्षा का जिम्मा संभालते रहे हैं. सुरक्षा संबंधी खतरों के आधार पर यह सुरक्षा प्रदान की जाती है.

पढ़ें : SPG हटाए जाने पर बोलीं प्रियंका - यह राजनीति का हिस्सा

क्यों किया जा रहा है विधेयक में संशोंधन

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि अधिनियम में भूतपूर्व प्रधनमंत्रियों या उनके परिवार के सदस्यों को एसपीजी संरक्षा की व्यवस्था करने की कोई अवधि निश्चित नहीं की गई है.

अत: ऐसे व्यक्तियों की संख्या जिन्हें एसपीजी सुरक्षा दी जानी है, काफी अधिक हो सकती है. इस परिप्रेक्ष्य में एसपीजी के संसाधनों, प्रशिक्षण और संबंधित अवसंरचना पर भी प्रभाव पड़ सकता है.

अत: अधिनियम में संशोधन की जरूरत समझी गई जिसमें मुख्य आदेश पर ध्यान केंद्रित किया जा सके क्योंकि प्रधान के रूप में प्रधानमंत्री की सुरक्षा, सरकार, शासन और राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोच्च महत्व की है.

पढ़ें : गांधी परिवार की SPG सुरक्षा वापस लेने के खिलाफ युवा कांग्रेस का प्रदर्शन

पदस्थ प्रधानमंत्री के लिए अत्यंत जरूरी महत्वपूर्ण सुरक्षा को मान्यता देते हुए एसपीजी के गठन के लिए अधिनियम बनाया गया था. इसका एकमात्र उद्देश्य प्रधानमंत्री और उनके परिवारों के सदस्यों को निकट सुरक्षा प्रदान करना है.

पहले क्या था एसपीजी सुरक्षा अधिनियम में

एसपीजी अधिनियम के तहत, एसपीजी की सुरक्षा प्रधानमंत्री एवं उनके परिवार के सदस्यों को प्रदान की जाती है. इसके अलावा किसी पूर्व प्रधानमंत्री या उनके परिवार के सदस्यों को पद छोड़ने के एक वर्ष तक इसे प्रदान किया जाता है और एक वर्ष बाद खतरे का आकलन कर सुरक्षा कवर को बढ़ाया जा सकता है.

पढ़ें : CRPF ने संभाली गांधी परिवार की सुरक्षा की कमान, की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा

कांग्रेस ने विधेयक वापस लेने का मुद्दा उठाया

कांग्रेस ने संसद के दोनों सदनों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष तथा सांसद राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की एसपीजी सुरक्षा वापस लिए जाने का मुद्दा उठाया है. हालांकि, सत्तारूढ़ भाजपा ने कहा कि यह फैसला गृह मंत्रालय का है और इसमें कोई राजनीति नहीं है.

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संसद में पेश हो सकता है संशोधन विधेयक, सिर्फ पीएम को SPG



नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एसपीजी अधिनियम में जिन संशोधनों को मंजूरी दी है, उनके मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिजनों को अब विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) के कमांडो सुरक्षा प्रदान नहीं करेंगे. अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.



सरकार ने कुछ दिन पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके पुत्र राहुल गांधी और पुत्री प्रियंका गांधी वाड्रा को दी गई एसपीजी सुरक्षा को वापस ले लिया था. इससे पहले 28 वर्ष तक गांधी परिवार को एसपीजी सुरक्षा मिलती रही. इस संबंध में एसपीजी कानून में संशोधन वाला विधेयक अगले सप्ताह लोकसभा में पेश किया जा सकता है.



संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने शुक्रवार को लोकसभा में जानकारी दी कि अगले सप्ताह की कार्यसूची में विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) संशोधन विधेयक सूचीबद्ध है.



एसपीजी कानून के मुताबिक प्रतिष्ठित बल के कमांडो प्रधानमंत्री, उनके निकटतम परिजनों, किसी पूर्व प्रधानमंत्री या उनके निकटतम परिवार के सदस्यों की सुरक्षा का जिम्मा उनके पद संभालने की तारीख से एक साल तक और खतरे की आशंका के स्तर के हिसाब से एक साल से ज्यादा समय तक भी संभालेंगे. अधिकारियों ने बताया कि प्रस्तावित संशोधन के अनुसार अब पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिवार के सदस्यों को एसपीजी सुरक्षा घेरा प्रदान नहीं किया जाएगा.



पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को हत्या के बाद उनके परिवार के सदस्यों को एसपीजी का सुरक्षा घेरा प्रदान किया गया था, जिसे इस महीने की शुरूआत में विस्तृत सुरक्षा आकलन के बाद वापस लेने का फैसला किया गया.



उन्हें 1988 के एसपीजी कानून में सितंबर 1991 में संशोधन के बाद यह वीवीआईपी सुरक्षा घेरा प्रदान किया गया था.



गांधी परिवार को अब जेड-प्लस सुरक्षा प्रदान की गयी है जिनमें सीआरपीएफ के जवान शामिल होते हैं.



अब देश में केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को करीब 4000 अधिकारियों और जवानों वाले एसपीजी बल की सुरक्षा मिली हुई है.



नियमों के तहत एसपीजी सुरक्षा प्राप्त लोगों के काफिले में सुरक्षाकर्मी, उच्च तकनीक वाले वाहन, जैमर और एंबुलेंस आदि शामिल होते हैं.



कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने गुरुवार को गांधी परिवार के सदस्यों से एसपीजी सुरक्षा हटाने के सरकार के फैसले पर कहा था कि यह राजनीति का हिस्सा है जो होती रहती है.



कांग्रेस ने पिछले दिनों संसद में और संसद से बाहर भी इस विषय को उठाया था.


Conclusion:
Last Updated : Nov 27, 2019, 6:09 PM IST
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