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तमिलनाडु में 'कमल' की 'खुशबू' के लिए आसान नहीं होगी राह

दावा किया जाता है कि खुशबू को पिछले संसदीय चुनाव में टिकट की उम्मीद थी और वह निराश थीं कि चुनावों के दौरान कांग्रेस ने उन पर ध्यान नहीं दिया. उनके भाजपा में शामिल होने की अफवाह पिछले महीने सामने आई थी. भाजपा के सदस्यों का दावा है कि तमिलनाडु भाजपा इकाई के अध्यक्ष मुरुगन ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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Published : Oct 13, 2020, 11:38 PM IST

Kushboo
खुशबू

हैदराबाद : खुशबू प्रगतिशील विचारक के रूप में विख्यात हैं. दूसरी ओर, भाजपा की तमिलनाडु में कट्टरवादी पार्टी के रूप में पहचान है. इसी धारणा को बदलने के लिए भाजपा ने खुशबू की प्रगतिशील छवि का उपयोग किया है. अभिनेत्री खुशबू ने भाजपा में शामिल होने के लिए कांग्रेस पार्टी छोड़ दी. भाजपा में शामिल होने के बाद चेन्नई लौटने पर पार्टी सदस्यों ने फूल-मालाओं से उनका स्वागत किया. पार्टी के सदस्यों में उत्साह अभिनेत्री नमिता और गौथामी के शामिल होने से अधिक देखा गया. ऐसा इसलिए, क्योंकि खुशबू तमिलनाडु के लोगों के बीच ज्यादा परिचित चेहरा हैं.

खुशबू के बीजेपी में शामिल होने के पीछे का कारण

खुशबू पिछले छह साल से कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता थीं. कांग्रेस पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुखता दी, लेकिन दावा किया जाता है कि खुशबू को पिछले संसदीय चुनाव में टिकट की उम्मीद थी और वह निराश थीं कि चुनावों के दौरान कांग्रेस ने उन पर ध्यान नहीं दिया. उनके भाजपा में शामिल होने की अफवाह पिछले महीने सामने आई थी. भाजपा के सदस्यों का दावा है कि तमिलनाडु भाजपा इकाई के अध्यक्ष मुरुगन ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. अभिनेत्री ने भी आज प्रेस मीट के दौरान इसकी पुष्टि की. कहा जाता है कि मुरुगन ने पिछले महीने खुशबू से मुलाकात की थी. जानकारी मिलने पर तमिलनाडु कांग्रेस के अध्यक्ष केएस अलागिरी भी खुशबू से मिले. इसके बाद खुशबू ने यूपी सरकार के खिलाफ पेरम्बूर में आयोजित विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया और उन्होंने भाजपा सरकार की आलोचना की.

पेरियार नीति की अनुयायी हैं खुशबू

सूत्रों के मुताबिक तब मुरुगन ने खुशबू को भाजपा में राष्ट्रीय स्तर का पद, आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट और चुनाव के लिए खर्च का आश्वासन दिया. इसके बाद खुशबू भाजपा में शामिल हो गईं. खुशबू ने कहा कि यद्यपि वह भाजपा का हिस्सा हैं, लेकिन वह अभी भी पेरियार नीति की अनुयायी हैं. जानकार सूत्रों के अनुसार खुशबू के जरिए भाजपा ने तमिलनाडु के लोगों को यह साबित करने की योजना बनाई है कि वह केवल हिंदुओं के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य धर्मों के लिए भी है. राजनीतिक विश्लेषकों को संदेह है कि 10 साल में 3 पार्टियां बदलने वाली खुशबू बीजेपी को तमिलनाडु में स्थापित करने में मदद कर पाएंगी.

तमिलनाडु भाजपा में भी कई गुट

इसके अलावा यह नहीं माना जा सकता है कि भाजपा में शामिल होने से खुशबू का राजनीतिक करियर चरम पर पहुंच जाएगा. तमिलनाडु भाजपा पार्टी में भी कई गुट हैं. यद्यपि खुशबू ने एक अभिनेत्री के रूप में लोगों को प्रभावित किया है, लेकिन यह संदिग्ध है कि क्या वह उसे वोट में बदल पाएंगी. वास्तविकता यह है कि डीएमके और कांग्रेस को भी फायदा नहीं करा सकीं.

दक्षिण में स्थिति मजबूत करना भाजपा का लक्ष्य

भाजपा में पहले से ही मौजूद फिल्मी हस्तियों की लंबी फेहरिस्त में अब दक्षिण भारतीय अभिनेत्री खुशबू सुंदर का नाम भी जुड़ गया है. ये ऐसे सितारे हैं, जो राजनीति के गलियारों में प्रवेश से पहले रुपहले पर्दे पर अपनी चमक की बदौलत घर-घर के जाने-पहचाने चेहरे हैं. इस फेहरिस्त में दर्जन भर ऐसे भी हैं, जो संसद में भाजपा का प्रतिनिधत्व कर रहे हैं. इनमें सनी देओल, हेमा मालिनी, किरन खेर, रूपा गांगुली, लॉकेट चटर्जी, रवि किशन और मनोज तिवारी प्रमुख हैं. इनके अलावा कुछ ऐसे भी हैं, जो भले ही भाजपा की दैनिक गतिविधियों में शामिल न होते हों, लेकिन इसके सदस्य हैं और जरूरत पड़ने पर मैदान में उतरने से हिचकिचाते नहीं. ऐसा नहीं है कि भाजपा ने सिर्फ बॉलीवुड से जुड़ी हस्तियों को अपनाया है, बल्कि क्षेत्रीय सिनेमा के नामचीन कलाकारों को भी बराबर का महत्व दिया है. चाहे वह भोजपुरी सिनेमा के मनोज तिवारी और रवि किशन हों या फिर बांग्ला सिनेमा की रूपा गांगुली और लॉकेट चटर्जी या फिर गायक बाबुल सुप्रियो हों. राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि स्थानीय और क्षेत्रीय फिल्मी हस्तियों से मतों को अपने पक्ष में करने में मदद मिलती है.

पश्चिम बंगाल में हो चुका है फायदा

मालूम हो कि पिछले साल जुलाई में पश्चिम बंगाल में कम से कम 12 सिनेमा और टेलीविजन जगत की हस्तियों ने भाजपा का दामन थामा था. भाजपा ने राज्य की 42 में 18 लोक सभा सीटों पर जीत हासिल की थी. बाबुल सुप्रियो और लॉकेट चटर्जी भाजपा के टिकट से जीत हासिल करने वालों में शामिल हैं. सुप्रियो अभी केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं. राजनीति के जानकारों का कहना है कि भाजपा उन राज्यों में फिल्मी हस्तियों की प्रसिद्धि को भुनाने का कोई मौका नहीं छोड़ती, जिन राज्यों में उसका कोई खासा प्रभाव नहीं है. उनका कहना है कि खुशबू सुंदर के भाजपा में शामिल होने को इसी रणनीति का हिस्सा समझा जाना चाहिए.

अब तक तमिलनाडु की राजनीति में क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व

अब तक तमिलनाडु की राजनीति में क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व रहा है. द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) और ऑल इंडिया द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक) के इर्दगिर्द ही प्रदेश की राजनीति का पहिया घूमता रहा है. दोनों ही दल बारी-बारी से प्रदेश के साथ-साथ केंद्र की राजनीति में अहम भूमिका निभाते रहे हैं. फिलहाल, अन्नाद्रमुक का राज्य की सत्ता पर कब्जा है. भाजपा दक्षिण और पूर्वोत्तर के राज्यों में अपनी स्थिति मजबूत करने की लगातार कोशिशें कर रही है. उम्मीद की जाती है कि आने वाले दिनों में इन क्षेत्रों में फिल्मी जगत से जुड़ी और हस्तियां भाजपा में शामिल हो सकती हैं.

हैदराबाद : खुशबू प्रगतिशील विचारक के रूप में विख्यात हैं. दूसरी ओर, भाजपा की तमिलनाडु में कट्टरवादी पार्टी के रूप में पहचान है. इसी धारणा को बदलने के लिए भाजपा ने खुशबू की प्रगतिशील छवि का उपयोग किया है. अभिनेत्री खुशबू ने भाजपा में शामिल होने के लिए कांग्रेस पार्टी छोड़ दी. भाजपा में शामिल होने के बाद चेन्नई लौटने पर पार्टी सदस्यों ने फूल-मालाओं से उनका स्वागत किया. पार्टी के सदस्यों में उत्साह अभिनेत्री नमिता और गौथामी के शामिल होने से अधिक देखा गया. ऐसा इसलिए, क्योंकि खुशबू तमिलनाडु के लोगों के बीच ज्यादा परिचित चेहरा हैं.

खुशबू के बीजेपी में शामिल होने के पीछे का कारण

खुशबू पिछले छह साल से कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता थीं. कांग्रेस पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुखता दी, लेकिन दावा किया जाता है कि खुशबू को पिछले संसदीय चुनाव में टिकट की उम्मीद थी और वह निराश थीं कि चुनावों के दौरान कांग्रेस ने उन पर ध्यान नहीं दिया. उनके भाजपा में शामिल होने की अफवाह पिछले महीने सामने आई थी. भाजपा के सदस्यों का दावा है कि तमिलनाडु भाजपा इकाई के अध्यक्ष मुरुगन ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. अभिनेत्री ने भी आज प्रेस मीट के दौरान इसकी पुष्टि की. कहा जाता है कि मुरुगन ने पिछले महीने खुशबू से मुलाकात की थी. जानकारी मिलने पर तमिलनाडु कांग्रेस के अध्यक्ष केएस अलागिरी भी खुशबू से मिले. इसके बाद खुशबू ने यूपी सरकार के खिलाफ पेरम्बूर में आयोजित विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया और उन्होंने भाजपा सरकार की आलोचना की.

पेरियार नीति की अनुयायी हैं खुशबू

सूत्रों के मुताबिक तब मुरुगन ने खुशबू को भाजपा में राष्ट्रीय स्तर का पद, आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट और चुनाव के लिए खर्च का आश्वासन दिया. इसके बाद खुशबू भाजपा में शामिल हो गईं. खुशबू ने कहा कि यद्यपि वह भाजपा का हिस्सा हैं, लेकिन वह अभी भी पेरियार नीति की अनुयायी हैं. जानकार सूत्रों के अनुसार खुशबू के जरिए भाजपा ने तमिलनाडु के लोगों को यह साबित करने की योजना बनाई है कि वह केवल हिंदुओं के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य धर्मों के लिए भी है. राजनीतिक विश्लेषकों को संदेह है कि 10 साल में 3 पार्टियां बदलने वाली खुशबू बीजेपी को तमिलनाडु में स्थापित करने में मदद कर पाएंगी.

तमिलनाडु भाजपा में भी कई गुट

इसके अलावा यह नहीं माना जा सकता है कि भाजपा में शामिल होने से खुशबू का राजनीतिक करियर चरम पर पहुंच जाएगा. तमिलनाडु भाजपा पार्टी में भी कई गुट हैं. यद्यपि खुशबू ने एक अभिनेत्री के रूप में लोगों को प्रभावित किया है, लेकिन यह संदिग्ध है कि क्या वह उसे वोट में बदल पाएंगी. वास्तविकता यह है कि डीएमके और कांग्रेस को भी फायदा नहीं करा सकीं.

दक्षिण में स्थिति मजबूत करना भाजपा का लक्ष्य

भाजपा में पहले से ही मौजूद फिल्मी हस्तियों की लंबी फेहरिस्त में अब दक्षिण भारतीय अभिनेत्री खुशबू सुंदर का नाम भी जुड़ गया है. ये ऐसे सितारे हैं, जो राजनीति के गलियारों में प्रवेश से पहले रुपहले पर्दे पर अपनी चमक की बदौलत घर-घर के जाने-पहचाने चेहरे हैं. इस फेहरिस्त में दर्जन भर ऐसे भी हैं, जो संसद में भाजपा का प्रतिनिधत्व कर रहे हैं. इनमें सनी देओल, हेमा मालिनी, किरन खेर, रूपा गांगुली, लॉकेट चटर्जी, रवि किशन और मनोज तिवारी प्रमुख हैं. इनके अलावा कुछ ऐसे भी हैं, जो भले ही भाजपा की दैनिक गतिविधियों में शामिल न होते हों, लेकिन इसके सदस्य हैं और जरूरत पड़ने पर मैदान में उतरने से हिचकिचाते नहीं. ऐसा नहीं है कि भाजपा ने सिर्फ बॉलीवुड से जुड़ी हस्तियों को अपनाया है, बल्कि क्षेत्रीय सिनेमा के नामचीन कलाकारों को भी बराबर का महत्व दिया है. चाहे वह भोजपुरी सिनेमा के मनोज तिवारी और रवि किशन हों या फिर बांग्ला सिनेमा की रूपा गांगुली और लॉकेट चटर्जी या फिर गायक बाबुल सुप्रियो हों. राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि स्थानीय और क्षेत्रीय फिल्मी हस्तियों से मतों को अपने पक्ष में करने में मदद मिलती है.

पश्चिम बंगाल में हो चुका है फायदा

मालूम हो कि पिछले साल जुलाई में पश्चिम बंगाल में कम से कम 12 सिनेमा और टेलीविजन जगत की हस्तियों ने भाजपा का दामन थामा था. भाजपा ने राज्य की 42 में 18 लोक सभा सीटों पर जीत हासिल की थी. बाबुल सुप्रियो और लॉकेट चटर्जी भाजपा के टिकट से जीत हासिल करने वालों में शामिल हैं. सुप्रियो अभी केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं. राजनीति के जानकारों का कहना है कि भाजपा उन राज्यों में फिल्मी हस्तियों की प्रसिद्धि को भुनाने का कोई मौका नहीं छोड़ती, जिन राज्यों में उसका कोई खासा प्रभाव नहीं है. उनका कहना है कि खुशबू सुंदर के भाजपा में शामिल होने को इसी रणनीति का हिस्सा समझा जाना चाहिए.

अब तक तमिलनाडु की राजनीति में क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व

अब तक तमिलनाडु की राजनीति में क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व रहा है. द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) और ऑल इंडिया द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक) के इर्दगिर्द ही प्रदेश की राजनीति का पहिया घूमता रहा है. दोनों ही दल बारी-बारी से प्रदेश के साथ-साथ केंद्र की राजनीति में अहम भूमिका निभाते रहे हैं. फिलहाल, अन्नाद्रमुक का राज्य की सत्ता पर कब्जा है. भाजपा दक्षिण और पूर्वोत्तर के राज्यों में अपनी स्थिति मजबूत करने की लगातार कोशिशें कर रही है. उम्मीद की जाती है कि आने वाले दिनों में इन क्षेत्रों में फिल्मी जगत से जुड़ी और हस्तियां भाजपा में शामिल हो सकती हैं.

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