हैदराबाद : भारत नेशनल डिजिटल हेल्थ इकोसिस्टम स्थापित करने की योजना बना रहा है, जो आपके व्यक्तिगत मेडिकल रिकॉर्ड को डिजिटाइज़ करेगा. यह नैदानिक केंद्रों, चिकित्सा संस्थानों और राज्य चिकित्सा परिषदों को एक साथ जोड़ेगा. साथ ही ग्रामीण ब्लॉक में रहने वाले ग्रामीणों को जिला अस्पताल में आसानी से इलाज करवाने और देशभर के डॉक्टरों से इलाज करवाने और स्वास्थ राय लेने में मदद करेगा.
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की कार्यान्वयन एजेंसी राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) ने राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन को अंतिम रूप दे दिया है. परियोजना के पहले चरण में इसे हरियाणा, राजस्थान, केरल और तमिलनाडु में लागू किया जाएगा. फिर इसे पूरे देश में विस्तारित किया जाएगा.
क्या है डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली
भारत में इस वर्ष कोरोना महामारी से अब तक 38,135 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इस महामारी ने नए उपचार विकसित करने, बीमारी के जोखिम पता लगाने में स्वास्थ्य संबंधित डेटा इकट्ठा करने पर जोर दिया है.
संसाधनों और बुनियादी सुविधाओं की कमी, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा अपलब्ध करवाना विकासशील देशों की मुख्य बाधाएं हैं. इस नए डिजिटल हेल्थ मॉडल से स्वास्थ क्षेत्र में आने वाली बाधा और चुनौतियों से निपटा जा सकता है.
स्वास्थ्य सेवाओं का डिजिटाइजेशन होने से स्वास्थ क्षेत्र में आने वाली लागत को कम किया जा सकता है. साथ ही लोगों को किफायती सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा सकती हैं. इससे समय भी बच सकता है. कई अन्य देश भी डिजिटल स्वास्थ्य सेवा मॉडल को अपना रहे हैं.
राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (NDHM)
NDHM डेटा का प्रबंधन, विश्लेषण करने और स्वास्थ्य का डाटा एक प्लेटफॉर्म पर लाने के लिए टेक्नोलोजी का प्रयोग करेगा. इसमें पर्सनल हेल्थ रिकॉर्ड (PHR) बनाने के लिए पर्सनल हेल्थ आइडेंटिफायर (PHI) होगा. PHI में मरीजों और उनके परिजनों के नाम, मरीजों की जन्म तिथि, लिंग, मोबाइल नंबर, ई-मेल, पता, परिवार की आईडी और फोटोग्राफ शामिल होंगे. हालांकि आधार कार्ड व्यक्ति की पहचान को प्रमाणित करता है, लेकिन स्वास्थ क्षेत्र के नए नियमों के अनुसार इसका हर स्वास्थ्य संदर्भ में उपयोग नहीं किया जा सकता है.
राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन का ब्लूप्रिंट
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने 15 जुलाई 2019 को नेशनल डिजिटल हेल्थ ब्लूप्रिंट(NDHB) रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें विभिन्न हितधारकों से इनपुट मांगे गए थे.
राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन का विजन नेशनल डिजिटल हेल्थ इको-सिस्टम बनाना है, जो एक व्यापक श्रेणी के डेटा, सूचना और बुनियादी ढांचे की सेवाओं, इंटरऑपरेबल सिस्टम के प्रावधान के माध्यम से एक कुशल, सुलभ, समावेशी, किफायती, कम समय और सुरक्षित तरीके से यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज का समर्थन करे. साथ ही स्वास्थ्य संबंधी व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा, गोपनीयता सुनिश्चित करना है.
नेशनल डिजिटल हेल्थ ब्लूप्रिंट देश में प्रत्येक व्यक्ति के दरवाजे तक स्वास्थ सेवाएं प्रदान करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण का अनुरूप है. ब्लूप्रिंट रिपोर्ट जारी करते हुए स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार सभी के लिए उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने सभी संबंधित हितधारकों से अपील की कि वह इसे और अधिक समावेशी बनाने के लिए ब्लूप्रिंट को इनपुट प्रदान करें.
मिशन के मुख्य उद्देश्य
- डिजिटल स्वास्थ्य डेटा बनाना और उसका प्रबंधन करना
- विभिन्न क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य प्रबंधन से लेकर रोग प्रबंधन तक कई डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली विकसित करना
- अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आधार पर इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड की एक प्रणाली बनाना
- डेटा स्वामित्व मार्ग स्थापित करना, जिससे मरीज अपने रिकॉर्ड का मालिक हो
- स्वास्थ्य डेटा विश्लेषिकी और चिकित्सा अनुसंधान को बढ़ावा देना
राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के मुख्य फोकस :-
- यूनीक हेल्थ आईडी
- व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकॉर्ड
- डिजी डॉक्टर
- स्वास्थ्य सुविधाओं का रजिस्ट्रेशन
- पर्सनल हेल्थ रिकॉर्ड
- पर्सनल हेल्थ आइडेंटिफायर
यूनीक हेल्थ आईडी
प्रत्येक व्यक्ति को एक यूनीक हेल्थ आईडी दी जाएगी, जिसे वह स्वेच्छा से आधार कार्ड से जोड़ सकता है. यह पंजीकरण संख्या के समान होगा जो कई बड़े अस्पताल एक मरीज को असाइन करते हैं. मरीज इन आईडी को अन्य राज्यों के अस्पतालों, पैथोलॉजी लैब, फार्मेसियों आदि में इस्तेमाल कर सकता है.
यह पूरी तरह से स्वैच्छिक है, लेकिन जैसे ही ऐसी आईडी बनाई जाएगी वैसे ही सभी स्वास्थ्य डेटा स्वचालित रूप से सरकारी सामुदायिक क्लाउड में संग्रहीत हो जाएगा.
एनएचए एक इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड (ईएमआर) वेब एप्लिकेशन लॉन्च करने की योजना बना रहा है. इसके माध्यम से लोग एक यूनीवर्सल यूनीक स्वास्थ्य आईडी का पंजीकरण और निर्माण कर सकेंगे.
डिजी डॉक्टर
यह हर डॉक्टर को एक यूनीक आइडेंटिफायर प्रदान करेगा. यह पंजीकरण संख्या से अलग होगा, जो राज्य चिकित्सा परिषद द्वारा दिया जाता है. पर्चे लिखने के लिए उन्हें एक डिजिटल हस्ताक्षर दिया जाएगा. डॉक्टरों की पंजीकरण प्रक्रिया को एकीकृत करने की भी योजना है, जो विभिन्न राज्यों में अलग-अलग होगी.
एनएचए ने इस प्रणाली को इस तरह से तैयार किया कि गांव के उप-केंद्रों में सहायक नर्स सिस्टम में लॉग इन कर मरीज के तापमान, डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं और लक्षणों का एक बुनियादी डेटा फीड कर सकेंगी.
पर्सनल हेल्थ आइडेंटिफायर
डॉक्टरों और मरीजों की तरह प्रत्येक स्वास्थ्य सुविधा, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को एक यूनीक इलेक्ट्रॉनिक आइडेंटिफायर दिया जाएगा.
पर्सनल हेल्थ रिकॉर्ड
इस स्वास्थ्य रिकॉर्ड में मरीज के संपूर्ण चिकित्सा इतिहास की जानकारी होगी. जन्म से लेकर टीकाकरण विवरण, सर्जरी, लैब टेस्ट आदि को मरीज की स्वास्थ्य आईडी से जुड़ा जाएगा.
इसमें एक सहमति प्रबंधक होगा. अगर कोई डॉक्टर मरीज की रिपोर्ट देखना चाहता है, तो उस मरीज को एक संदेश मिलेगा, जिसमें पूछा जाएगा कि क्या डॉक्टर रिपोर्ट देख सकता है या नहीं और कितने समय तक देख सकता है. बिना मरीज की सहमति के सरकार उसके डेटा को एक्सेस नहीं कर पाएगी.
डिजीटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड के लाभ :-
- स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार डिजीटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड से पूरे देश में स्वास्थ्य प्रणाली के विभिन्न स्तरों से डेटा का विश्लेषण किया जा सकता है.
- यह नीति निर्माताओं को रीयल टाइम इनपुट भी प्रदान कर सकता है.
- मरीज की जानकारी एकत्र करने के मानक तरीकों की उपलब्ध करवाता है.
- इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड नैदानिक डेटा एकत्र करने के लिए भी उपयोगी हो सकता है.
- इससे भारत में महामारी की प्रकृति को समझने में बेहतर मदद मिल सकती है.