बेंगलुरू/मुंबई: कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन संकट का सामना कर रहा है. उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार ने पार्टी के बागी विधायकों के इस्तीफे पर फौरन कोई फैसला करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि उनसे बिजली की गति से काम करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है.
न्यायालय के आदेश के बाद 10 बागी विधायकों के विधानसभा अध्यक्ष(विधानसभा अध्यक्ष) के समक्ष पेश होने और स्वीकार किए जाने के लिए नये सिरे से अपना इस्तीफा सौंपने के बाद विधानसभा अध्यक्ष के कदम को लेकर रहस्य बरकरार है. कुमार ने कहा कि इस्तीफा सही प्रारूप में हैं लेकिन उन्हें इसकी पड़ताल करनी होगी कि क्या ये स्वैच्छिक और वास्तविक हैं.
मुंबई से दो विशेष विमान से बेंगलुरू लाए गए 10 विधायकों ने एचएएल हवाई अड्डा से विधान सौध (राज्य सचिवालय) तक का सफर कड़ी सुरक्षा के बीच एक लग्जरी बस से किया.
सूत्रों ने बताया कि बागी विधायक वापस मुंबई लौट गए हैं, जहां बीते शनिवार को उपजे संकट के बाद से उन्हें एक लग्जरी होटल में ठहराया गया था.
कांग्रेस के 13 और जद (एस) के तीन, इस तरह कुल 16 विधायकों के इस्तीफे के चलते राज्य में इन दोनों दलों की गठबंधन सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गई है. दो निर्दलीय विधायकों ने भी 13 माह पुरानी एचडी कुमास्वामी नीत सरकार से समर्थन वापस ले लिया है.
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इस बीच, कांग्रेस के बाद जद(एस) ने भी कहा है कि उसने भी विधानसभा अध्यक्ष से संपर्क कर अपने तीन बागी विधायकों को अयोग्य करार देने का अनुरोध किया है.
वहीं, दिन में उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक के कांग्रेस-जद (एस) के 10 बागी विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष से शाम छह बजे मुलाकात करने और इस्तीफा देने के अपने निर्णय से अवगत कराने की अनुमति दी.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा लिए गए फैसले से शुक्रवार को अवगत कराया जाए, जब न्यायालय बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई करेगा.
पीठ में न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस भी शामिल हैं.
शीर्ष अदालत ने कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक को भी निर्देश दिया कि वह मुंबई से आने पर बेंगलुरू हवाईअड्डा से लेकर विधानसभा तक 10 विधायकों को सुरक्षा मुहैया कराएं.
मामले की सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने स्पष्ट किया कि वह सिर्फ उन 10 विधायकों के मामले में आदेश जारी कर रही है जो उसके समक्ष हैं, अन्य के लिये नहीं.
पीठ ने कहा, 'हम विधानसभा अध्यक्ष से उस वक्त (आज शाम छह बजे) 10 याचिकाकर्ताओं को सुनने का अनुरोध करते हैं.'
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आदेश पारित किए जाने के कुछ घंटे बाद विधानसभा अध्यक्ष ने निर्देश में संशोधन के लिए अपने वकील के मार्फत न्यायालय का रुख कर उनसे इस्तीफे के विषय पर आज ही फैसला करने को कहा.
हालांकि, भोजनावकाश के बाद पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि आदेश सुबह में ही जारी कर दिया गया है और उनकी अर्जी बागी विधायकों की याचिका के साथ शुक्रवार को सुनी जाएगी.
इस बीच, मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने अपने इस्तीफे को लेकर की जा रही भाजपा की मांग खारिज कर दी.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'मैं इस्तीफा क्यों दूं? अभी मेरे इस्तीफा देने की क्या जरूरत है?'
विधानसभा अध्यक्ष कुमार ने नियमों से बंधे होने का जिक्र करते हुए कहा कि वह एक उचित फैसला लेंगे, जो कुछ लोगों को सुविधाजनक तो कुछ को असुविधाजनक लग सकता है.
उन्होंने यह भी कहा कि शीर्ष न्यायालय ने उनसे किसी खास तरीके से फैसला नहीं करने को कहा है.
कुमार ने बागी विधायकों से मिलने के बाद कहा कि आज की मुलाकात की वीडियोग्राफी की गई और इसे सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्रार जनरल को भेजा जाएगा.
कुमार ने कहा, 'क्या मुझे बिजली की गति से काम करना चाहिए? किसके लिए? नियमों, लोगों का क्या होगा? मैं सिर्फ संविधान का पालन कर रहा हूं...मैं हड़बड़ी में काम नहीं कर रहा. मेरा दायित्व राज्य के लोगों और संविधान के प्रति है.'
उन्होंने कहा कि अदालत ने मुझसे जल्द फैसला करने को कहा है, मैंने उन्हें (उच्चतम न्यायालय) लिखा है कि 'तत्काल' शब्द जिसका उल्लेख किया गया है, उसे मैं समझ नहीं पा रहा हूं- क्या फैसला करना है, क्योंकि संविधान कुछ और कहता है, इसीलिए मैने उन्हें (विधायकों को) उपस्थित होने का समय दिया.
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि वह न तो मौजूदा राजनीतिकि स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं और न ही इसके परिणाम के लिए जिम्मेदार हैं.
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राज्य के विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार ने कहा कि सभी विधायकों के इस्तीफे सही प्रारूप में हैं लेकिन वह जल्द फैसला करने के लिए बाध्य नहीं हैं. कुमार का कहना है कि वह जब तक इस बात से संतुष्ट नहीं हो जाते कि विधायकों का इस्तीफा स्वैच्छिक और वास्तविक है, तब तक इस पर कोई फैसला नहीं लेंगे.
उन्होंने कहा कि वह नियमों से बंधे हुए हैं और वह सिर्फ एक फैसला लेंगे जो किसी के लिए सुविधाजनक और कुछ के लिए असुविधाजनक हो सकता है.
बागी विधायक एचएएल हवाई अड्डे पहुंचने के बाद वहां से एक लग्जरी बस में राज्य सचिवालय के विधान सौध की ओर रवाना हुए. 10 विधायक मुंबई से यहां आए जबकि कांग्रेस के एक नाराज विधायक मुनीरत्न इन विधायकों से विधान सौध में मिले और उनके साथ अध्यक्ष के कक्ष में गए.
कुमार ने बागी विधायकों के साथ बैठक के बाद कहा, 'विधायक मेरे पास आए थे, उन्होंने कहा कि वह इस्तीफा देना चाहते हैं, मैंने कहा कि वह दे सकते हैं...उन्होंने इन्हें स्वीकार करने को कहा.' अध्यक्ष ने कहा कि यह वैसा नहीं है, इस्तीफे स्वीकार करने से पहले मुझे यह देखना होगा कि ये वास्तविक और स्वैच्छिक हैं या नहीं.