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कर्नाटक संकट: बागी विधायकों के इस्तीफे पर स्पीकर का फौरन फैसला करने से इंकार

कर्नाटक के राजनीतिक संकट पर सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों से स्पीकर रमेश कुमार के सामने पेश होने का आदेश दिया था और स्पीकर से विधायकों के इस्तीफे पर तुरंत फैसला लेने को कहा था. हालांकि स्पीकर ने इस्तीफे पर तुरंत फैसला लेने से इनकार कर दिया है. पढ़ें पूरी खबर...

स्पीकर रमेश कुमार
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Published : Jul 12, 2019, 9:55 AM IST

बेंगलुरू/मुंबई: कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन संकट का सामना कर रहा है. उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार ने पार्टी के बागी विधायकों के इस्तीफे पर फौरन कोई फैसला करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि उनसे बिजली की गति से काम करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है.

न्यायालय के आदेश के बाद 10 बागी विधायकों के विधानसभा अध्यक्ष(विधानसभा अध्यक्ष) के समक्ष पेश होने और स्वीकार किए जाने के लिए नये सिरे से अपना इस्तीफा सौंपने के बाद विधानसभा अध्यक्ष के कदम को लेकर रहस्य बरकरार है. कुमार ने कहा कि इस्तीफा सही प्रारूप में हैं लेकिन उन्हें इसकी पड़ताल करनी होगी कि क्या ये स्वैच्छिक और वास्तविक हैं.

मुंबई से दो विशेष विमान से बेंगलुरू लाए गए 10 विधायकों ने एचएएल हवाई अड्डा से विधान सौध (राज्य सचिवालय) तक का सफर कड़ी सुरक्षा के बीच एक लग्जरी बस से किया.

सूत्रों ने बताया कि बागी विधायक वापस मुंबई लौट गए हैं, जहां बीते शनिवार को उपजे संकट के बाद से उन्हें एक लग्जरी होटल में ठहराया गया था.

कांग्रेस के 13 और जद (एस) के तीन, इस तरह कुल 16 विधायकों के इस्तीफे के चलते राज्य में इन दोनों दलों की गठबंधन सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गई है. दो निर्दलीय विधायकों ने भी 13 माह पुरानी एचडी कुमास्वामी नीत सरकार से समर्थन वापस ले लिया है.

पढ़ें-कर्नाटक संकट: बागी विधायकों के इस्तीफों पर स्पीकर को आज ही लेना होगा फैसला

इस बीच, कांग्रेस के बाद जद(एस) ने भी कहा है कि उसने भी विधानसभा अध्यक्ष से संपर्क कर अपने तीन बागी विधायकों को अयोग्य करार देने का अनुरोध किया है.

वहीं, दिन में उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक के कांग्रेस-जद (एस) के 10 बागी विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष से शाम छह बजे मुलाकात करने और इस्तीफा देने के अपने निर्णय से अवगत कराने की अनुमति दी.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा लिए गए फैसले से शुक्रवार को अवगत कराया जाए, जब न्यायालय बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई करेगा.

पीठ में न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस भी शामिल हैं.

शीर्ष अदालत ने कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक को भी निर्देश दिया कि वह मुंबई से आने पर बेंगलुरू हवाईअड्डा से लेकर विधानसभा तक 10 विधायकों को सुरक्षा मुहैया कराएं.

मामले की सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने स्पष्ट किया कि वह सिर्फ उन 10 विधायकों के मामले में आदेश जारी कर रही है जो उसके समक्ष हैं, अन्य के लिये नहीं.

पीठ ने कहा, 'हम विधानसभा अध्यक्ष से उस वक्त (आज शाम छह बजे) 10 याचिकाकर्ताओं को सुनने का अनुरोध करते हैं.'

पढ़ें-कर्नाटक संकट: स्पीकर रमेश कुमार ने बागी विधायकों पर दी ये जानकारी, जताया दुख

आदेश पारित किए जाने के कुछ घंटे बाद विधानसभा अध्यक्ष ने निर्देश में संशोधन के लिए अपने वकील के मार्फत न्यायालय का रुख कर उनसे इस्तीफे के विषय पर आज ही फैसला करने को कहा.

हालांकि, भोजनावकाश के बाद पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि आदेश सुबह में ही जारी कर दिया गया है और उनकी अर्जी बागी विधायकों की याचिका के साथ शुक्रवार को सुनी जाएगी.

इस बीच, मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने अपने इस्तीफे को लेकर की जा रही भाजपा की मांग खारिज कर दी.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'मैं इस्तीफा क्यों दूं? अभी मेरे इस्तीफा देने की क्या जरूरत है?'

विधानसभा अध्यक्ष कुमार ने नियमों से बंधे होने का जिक्र करते हुए कहा कि वह एक उचित फैसला लेंगे, जो कुछ लोगों को सुविधाजनक तो कुछ को असुविधाजनक लग सकता है.

उन्होंने यह भी कहा कि शीर्ष न्यायालय ने उनसे किसी खास तरीके से फैसला नहीं करने को कहा है.

कुमार ने बागी विधायकों से मिलने के बाद कहा कि आज की मुलाकात की वीडियोग्राफी की गई और इसे सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्रार जनरल को भेजा जाएगा.

कुमार ने कहा, 'क्या मुझे बिजली की गति से काम करना चाहिए? किसके लिए? नियमों, लोगों का क्या होगा? मैं सिर्फ संविधान का पालन कर रहा हूं...मैं हड़बड़ी में काम नहीं कर रहा. मेरा दायित्व राज्य के लोगों और संविधान के प्रति है.'

उन्होंने कहा कि अदालत ने मुझसे जल्द फैसला करने को कहा है, मैंने उन्हें (उच्चतम न्यायालय) लिखा है कि 'तत्काल' शब्द जिसका उल्लेख किया गया है, उसे मैं समझ नहीं पा रहा हूं- क्या फैसला करना है, क्योंकि संविधान कुछ और कहता है, इसीलिए मैने उन्हें (विधायकों को) उपस्थित होने का समय दिया.

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि वह न तो मौजूदा राजनीतिकि स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं और न ही इसके परिणाम के लिए जिम्मेदार हैं.

पढ़ें-Karnataka Updates: राजनीतिक अस्थिरता के बीच विधानसभा का सत्र आज से

राज्य के विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार ने कहा कि सभी विधायकों के इस्तीफे सही प्रारूप में हैं लेकिन वह जल्द फैसला करने के लिए बाध्य नहीं हैं. कुमार का कहना है कि वह जब तक इस बात से संतुष्ट नहीं हो जाते कि विधायकों का इस्तीफा स्वैच्छिक और वास्तविक है, तब तक इस पर कोई फैसला नहीं लेंगे.

उन्होंने कहा कि वह नियमों से बंधे हुए हैं और वह सिर्फ एक फैसला लेंगे जो किसी के लिए सुविधाजनक और कुछ के लिए असुविधाजनक हो सकता है.

बागी विधायक एचएएल हवाई अड्डे पहुंचने के बाद वहां से एक लग्जरी बस में राज्य सचिवालय के विधान सौध की ओर रवाना हुए. 10 विधायक मुंबई से यहां आए जबकि कांग्रेस के एक नाराज विधायक मुनीरत्न इन विधायकों से विधान सौध में मिले और उनके साथ अध्यक्ष के कक्ष में गए.

कुमार ने बागी विधायकों के साथ बैठक के बाद कहा, 'विधायक मेरे पास आए थे, उन्होंने कहा कि वह इस्तीफा देना चाहते हैं, मैंने कहा कि वह दे सकते हैं...उन्होंने इन्हें स्वीकार करने को कहा.' अध्यक्ष ने कहा कि यह वैसा नहीं है, इस्तीफे स्वीकार करने से पहले मुझे यह देखना होगा कि ये वास्तविक और स्वैच्छिक हैं या नहीं.

बेंगलुरू/मुंबई: कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन संकट का सामना कर रहा है. उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार ने पार्टी के बागी विधायकों के इस्तीफे पर फौरन कोई फैसला करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि उनसे बिजली की गति से काम करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है.

न्यायालय के आदेश के बाद 10 बागी विधायकों के विधानसभा अध्यक्ष(विधानसभा अध्यक्ष) के समक्ष पेश होने और स्वीकार किए जाने के लिए नये सिरे से अपना इस्तीफा सौंपने के बाद विधानसभा अध्यक्ष के कदम को लेकर रहस्य बरकरार है. कुमार ने कहा कि इस्तीफा सही प्रारूप में हैं लेकिन उन्हें इसकी पड़ताल करनी होगी कि क्या ये स्वैच्छिक और वास्तविक हैं.

मुंबई से दो विशेष विमान से बेंगलुरू लाए गए 10 विधायकों ने एचएएल हवाई अड्डा से विधान सौध (राज्य सचिवालय) तक का सफर कड़ी सुरक्षा के बीच एक लग्जरी बस से किया.

सूत्रों ने बताया कि बागी विधायक वापस मुंबई लौट गए हैं, जहां बीते शनिवार को उपजे संकट के बाद से उन्हें एक लग्जरी होटल में ठहराया गया था.

कांग्रेस के 13 और जद (एस) के तीन, इस तरह कुल 16 विधायकों के इस्तीफे के चलते राज्य में इन दोनों दलों की गठबंधन सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गई है. दो निर्दलीय विधायकों ने भी 13 माह पुरानी एचडी कुमास्वामी नीत सरकार से समर्थन वापस ले लिया है.

पढ़ें-कर्नाटक संकट: बागी विधायकों के इस्तीफों पर स्पीकर को आज ही लेना होगा फैसला

इस बीच, कांग्रेस के बाद जद(एस) ने भी कहा है कि उसने भी विधानसभा अध्यक्ष से संपर्क कर अपने तीन बागी विधायकों को अयोग्य करार देने का अनुरोध किया है.

वहीं, दिन में उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक के कांग्रेस-जद (एस) के 10 बागी विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष से शाम छह बजे मुलाकात करने और इस्तीफा देने के अपने निर्णय से अवगत कराने की अनुमति दी.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा लिए गए फैसले से शुक्रवार को अवगत कराया जाए, जब न्यायालय बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई करेगा.

पीठ में न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस भी शामिल हैं.

शीर्ष अदालत ने कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक को भी निर्देश दिया कि वह मुंबई से आने पर बेंगलुरू हवाईअड्डा से लेकर विधानसभा तक 10 विधायकों को सुरक्षा मुहैया कराएं.

मामले की सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने स्पष्ट किया कि वह सिर्फ उन 10 विधायकों के मामले में आदेश जारी कर रही है जो उसके समक्ष हैं, अन्य के लिये नहीं.

पीठ ने कहा, 'हम विधानसभा अध्यक्ष से उस वक्त (आज शाम छह बजे) 10 याचिकाकर्ताओं को सुनने का अनुरोध करते हैं.'

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आदेश पारित किए जाने के कुछ घंटे बाद विधानसभा अध्यक्ष ने निर्देश में संशोधन के लिए अपने वकील के मार्फत न्यायालय का रुख कर उनसे इस्तीफे के विषय पर आज ही फैसला करने को कहा.

हालांकि, भोजनावकाश के बाद पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि आदेश सुबह में ही जारी कर दिया गया है और उनकी अर्जी बागी विधायकों की याचिका के साथ शुक्रवार को सुनी जाएगी.

इस बीच, मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने अपने इस्तीफे को लेकर की जा रही भाजपा की मांग खारिज कर दी.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'मैं इस्तीफा क्यों दूं? अभी मेरे इस्तीफा देने की क्या जरूरत है?'

विधानसभा अध्यक्ष कुमार ने नियमों से बंधे होने का जिक्र करते हुए कहा कि वह एक उचित फैसला लेंगे, जो कुछ लोगों को सुविधाजनक तो कुछ को असुविधाजनक लग सकता है.

उन्होंने यह भी कहा कि शीर्ष न्यायालय ने उनसे किसी खास तरीके से फैसला नहीं करने को कहा है.

कुमार ने बागी विधायकों से मिलने के बाद कहा कि आज की मुलाकात की वीडियोग्राफी की गई और इसे सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्रार जनरल को भेजा जाएगा.

कुमार ने कहा, 'क्या मुझे बिजली की गति से काम करना चाहिए? किसके लिए? नियमों, लोगों का क्या होगा? मैं सिर्फ संविधान का पालन कर रहा हूं...मैं हड़बड़ी में काम नहीं कर रहा. मेरा दायित्व राज्य के लोगों और संविधान के प्रति है.'

उन्होंने कहा कि अदालत ने मुझसे जल्द फैसला करने को कहा है, मैंने उन्हें (उच्चतम न्यायालय) लिखा है कि 'तत्काल' शब्द जिसका उल्लेख किया गया है, उसे मैं समझ नहीं पा रहा हूं- क्या फैसला करना है, क्योंकि संविधान कुछ और कहता है, इसीलिए मैने उन्हें (विधायकों को) उपस्थित होने का समय दिया.

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि वह न तो मौजूदा राजनीतिकि स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं और न ही इसके परिणाम के लिए जिम्मेदार हैं.

पढ़ें-Karnataka Updates: राजनीतिक अस्थिरता के बीच विधानसभा का सत्र आज से

राज्य के विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार ने कहा कि सभी विधायकों के इस्तीफे सही प्रारूप में हैं लेकिन वह जल्द फैसला करने के लिए बाध्य नहीं हैं. कुमार का कहना है कि वह जब तक इस बात से संतुष्ट नहीं हो जाते कि विधायकों का इस्तीफा स्वैच्छिक और वास्तविक है, तब तक इस पर कोई फैसला नहीं लेंगे.

उन्होंने कहा कि वह नियमों से बंधे हुए हैं और वह सिर्फ एक फैसला लेंगे जो किसी के लिए सुविधाजनक और कुछ के लिए असुविधाजनक हो सकता है.

बागी विधायक एचएएल हवाई अड्डे पहुंचने के बाद वहां से एक लग्जरी बस में राज्य सचिवालय के विधान सौध की ओर रवाना हुए. 10 विधायक मुंबई से यहां आए जबकि कांग्रेस के एक नाराज विधायक मुनीरत्न इन विधायकों से विधान सौध में मिले और उनके साथ अध्यक्ष के कक्ष में गए.

कुमार ने बागी विधायकों के साथ बैठक के बाद कहा, 'विधायक मेरे पास आए थे, उन्होंने कहा कि वह इस्तीफा देना चाहते हैं, मैंने कहा कि वह दे सकते हैं...उन्होंने इन्हें स्वीकार करने को कहा.' अध्यक्ष ने कहा कि यह वैसा नहीं है, इस्तीफे स्वीकार करने से पहले मुझे यह देखना होगा कि ये वास्तविक और स्वैच्छिक हैं या नहीं.

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SC-LD KARNATAKA MLAS-SPEAKER
Karnataka crisis: Speaker moves SC against order to take decision on 10 rebel MLAs resignation
(Eds: Adds details)
         New Delhi, Jul 11 (PTI) Karnataka Assembly Speaker K R Ramesh Kumar Thursday moved the Supreme Court against its order asking him to take a decision on the resignation of 10 rebel Congress and JD(S) MLAs during the course of the day.
          The matter was mentioned before a bench headed by Chief Justice Ranjan Gogoi by senior advocate Abhishek Manu Singhvi who said that the Speaker's application be taken up for hearing along with the main matter on Friday.
          The bench, which also comprised justices Deepak Gupta and Aniruddha Bose, told Singhvi that it has already passed the order in the morning and it was for the Speaker to decide his course of action.
          The bench told Singhvi that Kumar's application will be heard Friday.
          Senior advocate Devdutt Kamath said in the application the Speaker has submitted that the rule permits him to decide the application seeking disqualification of the rebel MLAs.
          He said the order passed in the morning only indicated that the Speaker will take a decision forthwith in the course of the day on the resignation tendered by the 10 rebel MLAs.
          The Speaker has sought vacation of the ex-parte order passed in the morning, asking him to take a decision on the resignation of the 10 MLAs during the course of the day i.e. July 11.
          He submitted that the order passed in the morning was based upon submissions made by the rebel MLAs without reference to several directly relevant articles of the Constitution, which oblige the Speaker to perform his constitutional duties under the Article 190 (1) (B) as well as the 10th schedule of the Constitution.
          The Speaker submitted that the proviso to Article 190 (1) (B) specifically contemplates an enquiry for ascertaining whether the resignation is voluntary and genuine.
          "It is only after such enquiry/process that the satisfaction of the Speaker can be reached," he submitted.
          The Speaker submitted that the 10th schedule casts a mandatory duty on him to decide applications for disqualifications under para 2 of the 10th schedule.
          He stated that the question which therefore requires to be decided by the Speaker is whether any disqualification has been incurred by the MLAs concerned prior to the submission of the resignation letter.
          The Speaker submitted that the rebel MLAs who have approached the apex court have cast aspersions questioning his integrity which are completely false and frivolous.
          He asked the court to consider his plea for recalling the direction passed on Thursday morning, directing him to "take a decision forthwith and in any case in the course of the remaining part of the day." PTI RKS SJK ABA
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