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कर्नाटक संकट: बागी विधायकों के इस्तीफों पर स्पीकर को आज ही लेना होगा फैसला - karnataka govt

कर्नाटक में विद्रोही सांसदों ने अपने इस्तीफे को स्वीकार नहीं करने के स्पीकर के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था. अदालत ने बागी विधायकों के इस्तीफों पर स्पीकर रमेश को आज ही फैसला लेने का आदेश दिया है. पढ़ें पूरी खबर.

ईटीवी भारत से बात करते सुभाष कश्यप
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Published : Jul 11, 2019, 11:11 PM IST

नई दिल्ली: कर्नाटक में 18 विधायकों के इस्तीफे सौंपने के साथ ही कांग्रेस-जनता दल (सेकुलर) सरकार गिरने की कगार पर आ गई है. सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायक को गुरुवार शाम को विधान सौधा स्पीकर के आर रमेश से मिलने का आदेश दिया था. साथ ही ये भी कहा कि स्पीकर को आज ही बागी विधायकों के इस्तीफों पर फैसला लेना होगा.

दरअसल, विद्रोही सांसदों ने बुधवार को अपने इस्तीफे को स्वीकार नहीं करने के स्पीकर के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था और मामले पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी.

ईटीवी भारत से बात करते सुभाष कश्यप

इस मामले में ईटीवी भारत ने संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप से बातचीत की. इस दौरान सुभाष कश्यप ने कर्नाटक की मौजूदा राजनीति पर कहा, 'विधायकों के इस्तीफे के संबंध में प्रावधान यह है कि क्या विधायकों ने व्यक्तिगत रूप से इस्तीफा दिया है या नहीं.'

उन्होंने कहा, 'अगर वह अपना इस्तीफा डाक से भेजते हैं या स्पीकर के कार्यालय में पोस्ट करते हैं, तो स्पीकर को खुद को संतुष्ट करना होगा कि इस्तीफा स्वैच्छिक है या नहीं और किसी बल या दबाव में नहीं दिया गया.'

सुभाष कश्यप ने कहा कि अगर अध्यक्ष संतुष्ट हो जाता है कि इस्तीफा स्वैच्छिक है तो उसे स्वीकार करना होगा और अगर उसे भ्रम है कि यह स्वैच्छिक नहीं है तो वह उसे अस्वीकार कर सकता है. अध्यक्ष के पास इसके अलावा कोई अन्य उपाय या नियम नहीं है.

पढ़ें- कर्नाटक में आपातकाल से भी बदतर हालात : एच डी देवेगौड़ा

यह पूछे जानें पर कि क्या कर्नाटक स्पीकर सुप्रीम कोर्ट से अपने गुरुवार के आदेश को वापस लेने का अनुरोध कर सकते हैं तो कश्यप ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि सुप्रीम कोर्ट उन्हें इस तरह की कोई राहत देगा.

बता दें, फिलहाल कर्नाटक में 79 कांग्रेस विधायक हैं और सदन में गठबंधन की कुल संख्या 117 है और पार्टी के पास जेडी (एस) के 37 विधायक हैं.

जब कश्यप से पूछा गया कि यदि बहुमत साबित करने के दौरान दोनों पक्षों के पास समान संख्या में विधायक हों तो क्या स्थिति होगी. इस पर उन्होंने कहा, 'यह काल्पनिक समीकरण है, लेकिन अगर ऐसा होता है तो स्पीकर के पास वोटिंग वोट का अधिकार होता है. वो दोनों में से किसी भी पक्ष को अपना वोट दे सकता है.'

नई दिल्ली: कर्नाटक में 18 विधायकों के इस्तीफे सौंपने के साथ ही कांग्रेस-जनता दल (सेकुलर) सरकार गिरने की कगार पर आ गई है. सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायक को गुरुवार शाम को विधान सौधा स्पीकर के आर रमेश से मिलने का आदेश दिया था. साथ ही ये भी कहा कि स्पीकर को आज ही बागी विधायकों के इस्तीफों पर फैसला लेना होगा.

दरअसल, विद्रोही सांसदों ने बुधवार को अपने इस्तीफे को स्वीकार नहीं करने के स्पीकर के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था और मामले पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी.

ईटीवी भारत से बात करते सुभाष कश्यप

इस मामले में ईटीवी भारत ने संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप से बातचीत की. इस दौरान सुभाष कश्यप ने कर्नाटक की मौजूदा राजनीति पर कहा, 'विधायकों के इस्तीफे के संबंध में प्रावधान यह है कि क्या विधायकों ने व्यक्तिगत रूप से इस्तीफा दिया है या नहीं.'

उन्होंने कहा, 'अगर वह अपना इस्तीफा डाक से भेजते हैं या स्पीकर के कार्यालय में पोस्ट करते हैं, तो स्पीकर को खुद को संतुष्ट करना होगा कि इस्तीफा स्वैच्छिक है या नहीं और किसी बल या दबाव में नहीं दिया गया.'

सुभाष कश्यप ने कहा कि अगर अध्यक्ष संतुष्ट हो जाता है कि इस्तीफा स्वैच्छिक है तो उसे स्वीकार करना होगा और अगर उसे भ्रम है कि यह स्वैच्छिक नहीं है तो वह उसे अस्वीकार कर सकता है. अध्यक्ष के पास इसके अलावा कोई अन्य उपाय या नियम नहीं है.

पढ़ें- कर्नाटक में आपातकाल से भी बदतर हालात : एच डी देवेगौड़ा

यह पूछे जानें पर कि क्या कर्नाटक स्पीकर सुप्रीम कोर्ट से अपने गुरुवार के आदेश को वापस लेने का अनुरोध कर सकते हैं तो कश्यप ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि सुप्रीम कोर्ट उन्हें इस तरह की कोई राहत देगा.

बता दें, फिलहाल कर्नाटक में 79 कांग्रेस विधायक हैं और सदन में गठबंधन की कुल संख्या 117 है और पार्टी के पास जेडी (एस) के 37 विधायक हैं.

जब कश्यप से पूछा गया कि यदि बहुमत साबित करने के दौरान दोनों पक्षों के पास समान संख्या में विधायक हों तो क्या स्थिति होगी. इस पर उन्होंने कहा, 'यह काल्पनिक समीकरण है, लेकिन अगर ऐसा होता है तो स्पीकर के पास वोटिंग वोट का अधिकार होता है. वो दोनों में से किसी भी पक्ष को अपना वोट दे सकता है.'

Intro:New Delhi: With 18 MLAs submitting their resignations, the Congress-Janata Dal (Secular) government in Karnataka is on the brink of collapse. The Supreme Court has ordered the rebel MLA's to meet the Speaker K R Ramesh in person on Thursday evening.


The rebel lawmakers on Wednesday approached the apex court against the Speaker's decision to not accept their resignations and sought an urgent hearing on the matter.

What more can happen in Karnataka assembly and to know what can be done according to our constitution ETV Bharat spoke to constitution expert Subhash Kashyap, who said, "the provision in regard to the resignation of MLAs is that whether he should give it personally to the Speaker or if he sends it by post or otherwise delivers it to Speaker's office, then the speaker has to satisfy himself that the resignation is voluntary and not under any force or pressure."



Body:"If the speaker is satisfied that the resignation is voluntary then he has to accept it, if he is confused that it is not voluntary then he can reject it. The Speaker has no other rule than this," added Subhash Kashyap.

On being asked whether Karnataka speaker request from Supreme Court to recall its Thursday order asking him to meet 10 Congress- JD(S) MLA is at 6:00 p.m. and decide on their resignation "forthwith or in the course of the remaining part of the day", Subhash Kashyap said, "I don't think Supreme Court will grant him any such relief."


Conclusion:Currently the strength of the coalition in the House is 117 with 79 Congress MLAs and has 97 JD(S) MLAs. When the constitution expert was asked what if both sides get equal number of MLAs while proving majority government, he said, "that is two hypothetical equation but the provision in the constitution is that the speaker has the casting vote. If the voting is equal on both sides then the speaker has casting vote."
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