नई दिल्ली: कर्नाटक में 18 विधायकों के इस्तीफे सौंपने के साथ ही कांग्रेस-जनता दल (सेकुलर) सरकार गिरने की कगार पर आ गई है. सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायक को गुरुवार शाम को विधान सौधा स्पीकर के आर रमेश से मिलने का आदेश दिया था. साथ ही ये भी कहा कि स्पीकर को आज ही बागी विधायकों के इस्तीफों पर फैसला लेना होगा.
दरअसल, विद्रोही सांसदों ने बुधवार को अपने इस्तीफे को स्वीकार नहीं करने के स्पीकर के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था और मामले पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी.
इस मामले में ईटीवी भारत ने संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप से बातचीत की. इस दौरान सुभाष कश्यप ने कर्नाटक की मौजूदा राजनीति पर कहा, 'विधायकों के इस्तीफे के संबंध में प्रावधान यह है कि क्या विधायकों ने व्यक्तिगत रूप से इस्तीफा दिया है या नहीं.'
उन्होंने कहा, 'अगर वह अपना इस्तीफा डाक से भेजते हैं या स्पीकर के कार्यालय में पोस्ट करते हैं, तो स्पीकर को खुद को संतुष्ट करना होगा कि इस्तीफा स्वैच्छिक है या नहीं और किसी बल या दबाव में नहीं दिया गया.'
सुभाष कश्यप ने कहा कि अगर अध्यक्ष संतुष्ट हो जाता है कि इस्तीफा स्वैच्छिक है तो उसे स्वीकार करना होगा और अगर उसे भ्रम है कि यह स्वैच्छिक नहीं है तो वह उसे अस्वीकार कर सकता है. अध्यक्ष के पास इसके अलावा कोई अन्य उपाय या नियम नहीं है.
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यह पूछे जानें पर कि क्या कर्नाटक स्पीकर सुप्रीम कोर्ट से अपने गुरुवार के आदेश को वापस लेने का अनुरोध कर सकते हैं तो कश्यप ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि सुप्रीम कोर्ट उन्हें इस तरह की कोई राहत देगा.
बता दें, फिलहाल कर्नाटक में 79 कांग्रेस विधायक हैं और सदन में गठबंधन की कुल संख्या 117 है और पार्टी के पास जेडी (एस) के 37 विधायक हैं.
जब कश्यप से पूछा गया कि यदि बहुमत साबित करने के दौरान दोनों पक्षों के पास समान संख्या में विधायक हों तो क्या स्थिति होगी. इस पर उन्होंने कहा, 'यह काल्पनिक समीकरण है, लेकिन अगर ऐसा होता है तो स्पीकर के पास वोटिंग वोट का अधिकार होता है. वो दोनों में से किसी भी पक्ष को अपना वोट दे सकता है.'