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देश के इस वीर जवान ने दोस्तों को सुरक्षित कर आतंकियों को मार गिराया, फिर हुए शहीद

देश के वीर जवान जयपाल सिंह चलका ऑपरेशन रक्षक के दौरान शहीद हुए थे. लड़ाई में आतंकियों को धूल चटाने वाला यह जवान आखिरी सांस तक अपने साथियों को बचाने में लगा रहा. जानें वीर जवान जयपाल सिंह के बारे में.....

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Published : Jul 23, 2019, 6:33 PM IST

Updated : Jul 23, 2019, 11:48 PM IST

2 आतंकियों को ढेर कर अपने साथियों को बचाकर हुए शहीद

जयपुरः राजस्थान के सीकर के सुपूत शहीद जयपाल सिंह चलका की याद में हर साल शहीद मेले और फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है. जयपाल सिंह ऑपरेशन रक्षक के दौरान शहीद हुए थे. ...

आपको बता दें कि, जयपाल सिंह चलका का जन्म राजस्थान के सीकर में गांव खींवासर(चलका की ढाणी) में हुआ.

देश के वीर सपूत पर देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

साथियों को बचाते हुए शहीद हुए थे जयपाल सिंहः
साल 2006 में जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन रक्षक रखा गया था. जिसके दौरान जयपाल सिंह सर्च एंड डिस्ट्राय पार्टी के राकेट लांचर के पद पर नियुक्त थे.
इस दौरान 22 जुलाई 2006 को दोपहर 12.45 बजे आतंकवादियों ने अचानक हमला कर दिया. आंतकियों ने जमकर फायरिंग की, जिसमें उनके साथी बुरी तरह से जख्मी हो गए. जबकि नायक जयपाल सिंह ने साहस दिखाया और वहीं डटे रहे. तभी अचानक उनपर गोलियों का एक ब्रस्ट लगा.

साहस दिखाते हुए आतंकियों पर किया हमलाः
जब आतंकियों ने फायरिंग की तो जयपाल सिंह ने अपनी जान की परवाह किए बिना रॉकेट लांचर से आतंकवादियों पर फायर किया. साथ ही उन पर ग्रेनेड फेंका. इससे दो आतंकवादी वहीं ढेर हो गए.

इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद जयपाल सिंह वहीं डटे रहे और अपने साथियों को बाहर निकालते रहे. इसके बाद वे वीरगति को प्राप्त हो गए.

बता दें इस ऑपरेशन में 20 आतंकी मारे गए. आतंकियों के पास से भारी मात्रा में गोला बारूद बरामद हुआ.

बहादुर जयपाल सिंह को सेना मेडल से नावाजा गयाः
जयपाल सिंह के अदम्य साहस को देखते हुए उन्हें सेना मेडल से सम्मानित किया गया.

हर साल करते हैं शहीद मेले और फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजनः
शहीद जयपाल सिंह चलका की शहादत को नमन करने के लिए रह साल 22 जुलाई को शहीद मेले का आयोजन किया जाता है.

इस मेले में सेना के रिटायर्ड और कार्यरत अधिकारियों को बुलाया जाता है.

पढ़ेंः कारगिल में शहीद हुए थे वीर सपूत विजय भंडारी, जानें बूढ़ी मां की दर्द भरी कहानी

वहीं दूसरी ओर उनकी याद में फुटबॉल प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें आस पास के गांवों की टीमें भाग लेती हैं.

जाट रेजिमेन्ट के अधिकारी और सिपाही हर साल मेले में शिरकत लेते हैं, और शहीद के परिवार से मिलने जाते हैं.

शहीद स्मारक स्थल पर चलती है लाइब्रेरीः
शहीद स्मारक के लिए सांसद कोटे से 3.5 लाख रुपए की मदद दी गई है.

शहीद मेले के आयोजन के लिए और स्टेज व लोगों के बैठने की व्यवस्था के लिए विधायक कोष से 4 लाख रुपए की सहायता दी गई है.

साथ ही शहीद परिवार ने शहीद स्मारक के चारों ओर चारदीवारी और स्मारक स्थल के पास लाइब्रेरी का भी निर्माण करवाया है, जिसमें युवाओं को परीक्षाओं के लिए पुस्तकें दी जाती हैं. ताकि वे समाज को नई दिशा दे सकें.

शहीद परिवार द्वारा सरकारी स्कूल में गेट व कमरे का निर्माणः
शहीद परिवार की ओर से गांव के सरकारी स्कूल में 15 लाख की लागत से गेट व कमरे बनाए गए हैं.

साथ ही हर साल स्कूल की होनहार प्रतिभाओं का भी सम्मान किया जाता है.

जयपुरः राजस्थान के सीकर के सुपूत शहीद जयपाल सिंह चलका की याद में हर साल शहीद मेले और फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है. जयपाल सिंह ऑपरेशन रक्षक के दौरान शहीद हुए थे. ...

आपको बता दें कि, जयपाल सिंह चलका का जन्म राजस्थान के सीकर में गांव खींवासर(चलका की ढाणी) में हुआ.

देश के वीर सपूत पर देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

साथियों को बचाते हुए शहीद हुए थे जयपाल सिंहः
साल 2006 में जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन रक्षक रखा गया था. जिसके दौरान जयपाल सिंह सर्च एंड डिस्ट्राय पार्टी के राकेट लांचर के पद पर नियुक्त थे.
इस दौरान 22 जुलाई 2006 को दोपहर 12.45 बजे आतंकवादियों ने अचानक हमला कर दिया. आंतकियों ने जमकर फायरिंग की, जिसमें उनके साथी बुरी तरह से जख्मी हो गए. जबकि नायक जयपाल सिंह ने साहस दिखाया और वहीं डटे रहे. तभी अचानक उनपर गोलियों का एक ब्रस्ट लगा.

साहस दिखाते हुए आतंकियों पर किया हमलाः
जब आतंकियों ने फायरिंग की तो जयपाल सिंह ने अपनी जान की परवाह किए बिना रॉकेट लांचर से आतंकवादियों पर फायर किया. साथ ही उन पर ग्रेनेड फेंका. इससे दो आतंकवादी वहीं ढेर हो गए.

इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद जयपाल सिंह वहीं डटे रहे और अपने साथियों को बाहर निकालते रहे. इसके बाद वे वीरगति को प्राप्त हो गए.

बता दें इस ऑपरेशन में 20 आतंकी मारे गए. आतंकियों के पास से भारी मात्रा में गोला बारूद बरामद हुआ.

बहादुर जयपाल सिंह को सेना मेडल से नावाजा गयाः
जयपाल सिंह के अदम्य साहस को देखते हुए उन्हें सेना मेडल से सम्मानित किया गया.

हर साल करते हैं शहीद मेले और फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजनः
शहीद जयपाल सिंह चलका की शहादत को नमन करने के लिए रह साल 22 जुलाई को शहीद मेले का आयोजन किया जाता है.

इस मेले में सेना के रिटायर्ड और कार्यरत अधिकारियों को बुलाया जाता है.

पढ़ेंः कारगिल में शहीद हुए थे वीर सपूत विजय भंडारी, जानें बूढ़ी मां की दर्द भरी कहानी

वहीं दूसरी ओर उनकी याद में फुटबॉल प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें आस पास के गांवों की टीमें भाग लेती हैं.

जाट रेजिमेन्ट के अधिकारी और सिपाही हर साल मेले में शिरकत लेते हैं, और शहीद के परिवार से मिलने जाते हैं.

शहीद स्मारक स्थल पर चलती है लाइब्रेरीः
शहीद स्मारक के लिए सांसद कोटे से 3.5 लाख रुपए की मदद दी गई है.

शहीद मेले के आयोजन के लिए और स्टेज व लोगों के बैठने की व्यवस्था के लिए विधायक कोष से 4 लाख रुपए की सहायता दी गई है.

साथ ही शहीद परिवार ने शहीद स्मारक के चारों ओर चारदीवारी और स्मारक स्थल के पास लाइब्रेरी का भी निर्माण करवाया है, जिसमें युवाओं को परीक्षाओं के लिए पुस्तकें दी जाती हैं. ताकि वे समाज को नई दिशा दे सकें.

शहीद परिवार द्वारा सरकारी स्कूल में गेट व कमरे का निर्माणः
शहीद परिवार की ओर से गांव के सरकारी स्कूल में 15 लाख की लागत से गेट व कमरे बनाए गए हैं.

साथ ही हर साल स्कूल की होनहार प्रतिभाओं का भी सम्मान किया जाता है.



---------- Forwarded message ---------
From: Rajesh walia <rajesh.walia@etvbharat.com>
Date: Tue, Jul 23, 2019 at 2:13 PM
Subject: दो आतंकवादियों को ढेर कर तथा अपने साथियों को बचाकर शहीद हुए : जयपाल सिंह चलका
To: Verghese P <verghese.p@etvbharat.com>


Intro:शहीद जयपाल सिंह चलका की स्मृति में शहीद परिवार प्रत्येक वर्ष शहीद मेले व जय फुटबाल प्रतियोगिता का आयोजन करता है तथा शहीद स्मारक स्थल पर पुस्तकालय का संचालन करता है। कारगिल युद्ध के बाद ऑपरेशन रक्षक के दौरान शहीद हुए थे जयपाल सिंह चलका। शहीद जयपाल सिंह के नाम पर गांव चलका की ढ़ाणी बना जे.पी.नगर।Body:फतेहपुर (सीकर). मां वसुन्धरा की सौम्यता से पूरित, उदात्त भावनाओं से आपूरित, धरती के स्वर्ग भारत के समस्त प्रांतों में प्रसिद्ध राजस्थान की मरूस्थलीय शोभा से सुशोभित, रेतीले टीलों से आवृत्त, भारतीय संस्कृति से संरक्षित, दानवीरों, शूरवीरों, संतों, भक्तों की धरती शेखावाटी की सौंधी गंध सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ उपखण्ड में चलका की ढाणी (जे.पी.नगर) में स्वनाम धन्य, लब्ध प्रतिष्ठ शिक्षित परिवार में पिता शिशुपाल सिंह चलका एवं बनारसी देवी की कोख से दि. 17 अगस्त 1977 को अपनी किलकारियों से गुंजायमान करने वाले वीर सपूत जयपाल सिंह चलका मां भारती की सेवा करते हुए 22 जुलाई 2006 को शहीद हो गये। जयपाल सिंह चार बहन भाईयों में सबसे बड़े पुत्र थे। जयपाल दिसम्बर 1994 को 7 जाट रेजिमेन्ट में भर्ती हुए थे।  

साथियों को बचाते हुए शहीद हुए थे जयपाल सिंह
जम्मू कश्मीर में सेना द्वारा सन् 2006 में आतंकवादियों के खिलाफ शुरू किए गए ऑपरेशन रक्षक के दौरान जयपालसिंह सर्च एंड डिस्ट्राय पार्टी के राकेट लांचर के पद पर नियुक्त थे। इस दौरान 22 जुलाई 2006 को दोपहर 12.45 बजे आतंकवादियों ने अचानक हमला कर दिया। इस फायरिंग में उनके साथी बुरी तरह जख्मी हो गए। नायक जयपाल सिंह साहस दिखाते हुए वहीं डटे रहे। तभी अचानक उनको गोलियों का एक ब्रस्ट लगा। उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना रॉकेट लांचर से आतंकवादियों पर फायर किया। साथ ही उन पर ग्रेनेड फेंका। इससे दो आतंकवादी वहीं ढेर हो गए। जयपालसिंह घायल होने के बावजूद घायल साथियों को बाहर निकालने तक वहीं डटे रहे। इसके बाद वे वीरगति को प्राप्त हो गए। इस ऑपरेशन में आठ आतंकवादी मारे गए तथा भारी मात्रा में गोला बारूद बरामद हुए। उनके अदम्य साहस के लिए उन्हें मरणोपरान्त सेना मैडल से नवाजा गया। वीरांगना भंवरी देवी को फतेहपुर में गैस एजेन्सी आवंटित की गई।

हर वर्ष करते हैं शहीद मेले व फुटबाल प्रतियोगिता का आयोजन
शहीद जयपाल सिंह चलका की शहादत को नमन करने के लिए हर वर्ष 22 जुलाई शहीद मेले का आयोजन किया जाता है। मेले में सेना से रिटायर्ड एवं सेना में कार्यरत अधिकारियों को बुलाकर युवा वर्ग को सेना के प्रति जागृत करने का कार्य अमर शहीद जयपाल सिंह स्मृति संस्थान द्वारा किया जाता है। वहीं जय फुटबाल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है जिसमें आस-पास के गांवों की टीमें भाग लेती हैं। जाट रेजिमेन्ट के अधिकारी और सिपाही हर वर्ष मेले में शिरकत करते हैं और परिवार से मिलकर जाते हैं।

शहीद स्मारक स्थल पर चलता है पुस्तकालय
शहीद स्मारक के लिए सांसद कोटे से 3.5 लाख रुपये की सहायता दी गई है, शहीद मेले के आयोजन के लिए स्टेज व लोगों की बैठने की व्यवस्था लिए विधायक कोष से 4 लाख की सहायता दी गई है। शहीद परिवार द्वारा शहीद स्मारक के चारों तरफ चारदीवारी तथा स्मारक स्थल के पास पुस्तकालय का निर्माण करवाया गया है जिसमें युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए पुस्तकें प्रदान की जाती हैं ताकि वे समाज को नई दिशा दे सकें ।

शहीद परिवार द्वारा सरकारी स्कूल में गेट व कमरे का निर्माण
शहीद परिवार की ओर से गांव के सरकारी स्कूल 15 लाख की लागत से स्कूल के गेट व कमरों का निर्माण करवाया गया है। प्रत्येक वर्ष स्कूल की होनहार प्रतिभाओं का भी सम्मान किया जाता है।


Conclusion:बाइट शहीद पिता शिशुपाल सिंह
बाइट वीरांगना भंवरी देवी

 

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Last Updated : Jul 23, 2019, 11:48 PM IST
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