जयपुरः राजस्थान के सीकर के सुपूत शहीद जयपाल सिंह चलका की याद में हर साल शहीद मेले और फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है. जयपाल सिंह ऑपरेशन रक्षक के दौरान शहीद हुए थे. ...
आपको बता दें कि, जयपाल सिंह चलका का जन्म राजस्थान के सीकर में गांव खींवासर(चलका की ढाणी) में हुआ.
साथियों को बचाते हुए शहीद हुए थे जयपाल सिंहः
साल 2006 में जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन रक्षक रखा गया था. जिसके दौरान जयपाल सिंह सर्च एंड डिस्ट्राय पार्टी के राकेट लांचर के पद पर नियुक्त थे.
इस दौरान 22 जुलाई 2006 को दोपहर 12.45 बजे आतंकवादियों ने अचानक हमला कर दिया. आंतकियों ने जमकर फायरिंग की, जिसमें उनके साथी बुरी तरह से जख्मी हो गए. जबकि नायक जयपाल सिंह ने साहस दिखाया और वहीं डटे रहे. तभी अचानक उनपर गोलियों का एक ब्रस्ट लगा.
साहस दिखाते हुए आतंकियों पर किया हमलाः
जब आतंकियों ने फायरिंग की तो जयपाल सिंह ने अपनी जान की परवाह किए बिना रॉकेट लांचर से आतंकवादियों पर फायर किया. साथ ही उन पर ग्रेनेड फेंका. इससे दो आतंकवादी वहीं ढेर हो गए.
इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद जयपाल सिंह वहीं डटे रहे और अपने साथियों को बाहर निकालते रहे. इसके बाद वे वीरगति को प्राप्त हो गए.
बता दें इस ऑपरेशन में 20 आतंकी मारे गए. आतंकियों के पास से भारी मात्रा में गोला बारूद बरामद हुआ.
बहादुर जयपाल सिंह को सेना मेडल से नावाजा गयाः
जयपाल सिंह के अदम्य साहस को देखते हुए उन्हें सेना मेडल से सम्मानित किया गया.
हर साल करते हैं शहीद मेले और फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजनः
शहीद जयपाल सिंह चलका की शहादत को नमन करने के लिए रह साल 22 जुलाई को शहीद मेले का आयोजन किया जाता है.
इस मेले में सेना के रिटायर्ड और कार्यरत अधिकारियों को बुलाया जाता है.
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वहीं दूसरी ओर उनकी याद में फुटबॉल प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें आस पास के गांवों की टीमें भाग लेती हैं.
जाट रेजिमेन्ट के अधिकारी और सिपाही हर साल मेले में शिरकत लेते हैं, और शहीद के परिवार से मिलने जाते हैं.
शहीद स्मारक स्थल पर चलती है लाइब्रेरीः
शहीद स्मारक के लिए सांसद कोटे से 3.5 लाख रुपए की मदद दी गई है.
शहीद मेले के आयोजन के लिए और स्टेज व लोगों के बैठने की व्यवस्था के लिए विधायक कोष से 4 लाख रुपए की सहायता दी गई है.
साथ ही शहीद परिवार ने शहीद स्मारक के चारों ओर चारदीवारी और स्मारक स्थल के पास लाइब्रेरी का भी निर्माण करवाया है, जिसमें युवाओं को परीक्षाओं के लिए पुस्तकें दी जाती हैं. ताकि वे समाज को नई दिशा दे सकें.
शहीद परिवार द्वारा सरकारी स्कूल में गेट व कमरे का निर्माणः
शहीद परिवार की ओर से गांव के सरकारी स्कूल में 15 लाख की लागत से गेट व कमरे बनाए गए हैं.
साथ ही हर साल स्कूल की होनहार प्रतिभाओं का भी सम्मान किया जाता है.