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न्यायालय का फैसला मोदी सरकार के लिए बड़ा झटका, गोवा के राज्यपाल का पद छोड़ें मलिक: कांग्रेस - कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल

जम्मू-कश्मीर में धारा 144 और इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी से जुड़े उच्चम न्यायालय के फैसले को ऐतिहासिक बताया है. साथी कांग्रेस ने कहा कि इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक को गोवा के राज्यपाल के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.

congress on satypal malik
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Published : Jan 10, 2020, 7:29 PM IST

Updated : Jan 10, 2020, 8:47 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में धारा 144 और इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी से जुड़े उच्चम न्यायालय के फैसले को नए साल में मोदी सरकार के लिए पहला बड़ा झटका करार देते हुए शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक को अब गोवा के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.

पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने दावा किया कि सरकार ने लोगों को गुमराह करने की कोशिश की थी और इस बार शीर्ष अदालत किसी दबाव में नहीं आई.

प्रेस वार्ता के दौरान कपिल सिब्बल

वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा, 'उच्चतम न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला दिया है. देश के लोगों को जम्मू-कश्मीर की स्थिति को लेकर चिंता थी. अब वहां से सूचनाएं आ सकेंगी.'

उन्होंने सवाल किया, 'पिछले साल चार अगस्त को ऐसी क्या आपात स्थिति आ गई थी कि इंटरनेट पर पाबंदी लगाई गई?'

एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि अगर वहां धारा 144 खत्म होती है तो विपक्ष के नेता वहां जाएंगे.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी को लेकर उच्चतम न्यायालय का आदेश केंद्र सरकार के अहंकारी रुख को खारिज करता है और अब इस केंद्रशासित प्रदेश में संविधान का सम्मान करने वाले नए प्रशासकों की नियुक्ति होनी चाहिए.

उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक को अब गोवा के राज्यपाल के पद इस्तीफा दे देना चाहिए.

पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री ने ट्वीट कर कहा, 'संविधान का सम्मान करने वाले नए प्रशासकों की नियुक्ति की जानी चाहिए. जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और उन्हें गोवा के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.'

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष आजाद ने कहा, 'हम फैसले का स्वागत करते हैं. यह पहली बार है कि उचचतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर के लोगों की दिल की बात कही है. उसने लोगों की नब्ज पकड़ ली है. मैं ऐतिहासिक

निर्णय के लिए उच्चतम न्यायालय का धन्यवाद करना चाहता हूं. पूरे देश खासकर जम्मू-कश्मीर के लोग इसके लिए इंतजार कर रहे थे.'

पढ़ें-अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में नहीं हुई हिंसा : भाजपा

उन्होंने कहा, 'भारत सरकार ने पूरे देश को गुमराह किया. इस बार उच्चतम न्यायालय किसी दबाव में नहीं आया.'

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को अपनी एक महत्वपूर्ण व्यवस्था में इंटरनेट के इस्तेमाल को संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकार करार दिया और जम्मू-कश्मीर प्रशासन से कहा कि केन्द्र शासित प्रदेश में प्रतिबंध लगाने संबंधी सारे आदेशों की एक सप्ताह के भीतर समीक्षा की जाए.

न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान समाप्त करने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर यह व्यवस्था दी.

नई दिल्ली : कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में धारा 144 और इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी से जुड़े उच्चम न्यायालय के फैसले को नए साल में मोदी सरकार के लिए पहला बड़ा झटका करार देते हुए शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक को अब गोवा के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.

पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने दावा किया कि सरकार ने लोगों को गुमराह करने की कोशिश की थी और इस बार शीर्ष अदालत किसी दबाव में नहीं आई.

प्रेस वार्ता के दौरान कपिल सिब्बल

वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा, 'उच्चतम न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला दिया है. देश के लोगों को जम्मू-कश्मीर की स्थिति को लेकर चिंता थी. अब वहां से सूचनाएं आ सकेंगी.'

उन्होंने सवाल किया, 'पिछले साल चार अगस्त को ऐसी क्या आपात स्थिति आ गई थी कि इंटरनेट पर पाबंदी लगाई गई?'

एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि अगर वहां धारा 144 खत्म होती है तो विपक्ष के नेता वहां जाएंगे.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी को लेकर उच्चतम न्यायालय का आदेश केंद्र सरकार के अहंकारी रुख को खारिज करता है और अब इस केंद्रशासित प्रदेश में संविधान का सम्मान करने वाले नए प्रशासकों की नियुक्ति होनी चाहिए.

उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक को अब गोवा के राज्यपाल के पद इस्तीफा दे देना चाहिए.

पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री ने ट्वीट कर कहा, 'संविधान का सम्मान करने वाले नए प्रशासकों की नियुक्ति की जानी चाहिए. जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और उन्हें गोवा के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.'

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष आजाद ने कहा, 'हम फैसले का स्वागत करते हैं. यह पहली बार है कि उचचतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर के लोगों की दिल की बात कही है. उसने लोगों की नब्ज पकड़ ली है. मैं ऐतिहासिक

निर्णय के लिए उच्चतम न्यायालय का धन्यवाद करना चाहता हूं. पूरे देश खासकर जम्मू-कश्मीर के लोग इसके लिए इंतजार कर रहे थे.'

पढ़ें-अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में नहीं हुई हिंसा : भाजपा

उन्होंने कहा, 'भारत सरकार ने पूरे देश को गुमराह किया. इस बार उच्चतम न्यायालय किसी दबाव में नहीं आया.'

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को अपनी एक महत्वपूर्ण व्यवस्था में इंटरनेट के इस्तेमाल को संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकार करार दिया और जम्मू-कश्मीर प्रशासन से कहा कि केन्द्र शासित प्रदेश में प्रतिबंध लगाने संबंधी सारे आदेशों की एक सप्ताह के भीतर समीक्षा की जाए.

न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान समाप्त करने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर यह व्यवस्था दी.

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न्यायालय का फैसला मोदी सरकार के लिए बड़ा झटका, गोवा के राज्यपाल का पद छोड़ें मलिक: कांग्रेस

नयी दिल्ली, 10 जनवरी (भाषा) कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में धारा 144 और इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी से जुड़े उच्चम न्यायालय के फैसले को नए साल में मोदी सरकार के लिए पहला बड़ा झटका करार देते हुए शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक को अब गोवा के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.



पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने दावा किया कि सरकार ने लोगों को गुमराह करने की कोशिश की थी और इस बार शीर्ष अदालत किसी दबाव में नहीं आई.



वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा, 'उच्चतम न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला दिया है. देश के लोगों को जम्मू-कश्मीर की स्थिति को लेकर चिंता थी. अब वहां से सूचनाएं आ सकेंगी.'



उन्होंने सवाल किया, 'पिछले साल चार अगस्त को ऐसी क्या आपात स्थिति आ गई थी कि इंटरनेट पर पाबंदी लगाई गई?'



एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि अगर वहां धारा 144 खत्म होती है तो विपक्ष के नेता वहां जाएंगे.



कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी को लेकर उच्चतम न्यायालय का आदेश केंद्र सरकार के अहंकारी रुख को खारिज करता है और अब इस केंद्रशासित प्रदेश में संविधान का सम्मान करने वाले नए प्रशासकों की नियुक्ति होनी चाहिए.



उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक को अब गोवा के राज्यपाल के पद इस्तीफा दे देना चाहिए.



पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री ने ट्वीट कर कहा, 'संविधान का सम्मान करने वाले नए प्रशासकों की नियुक्ति की जानी चाहिए. जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और उन्हें गोवा के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.'



राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष आजाद ने कहा, 'हम फैसले का स्वागत करते हैं. यह पहली बार है कि उचचतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर के लोगों की दिल की बात कही है. उसने लोगों की नब्ज पकड़ ली है. मैं ऐतिहासिक निर्णय के लिए उच्चतम न्यायालय का धन्यवाद करना चाहता हूं. पूरे देश खासकर जम्मू-कश्मीर के लोग इसके लिए इंतजार कर रहे थे.'



उन्होंने कहा, 'भारत सरकार ने पूरे देश को गुमराह किया. इस बार उच्चतम न्यायालय किसी दबाव में नहीं आया.'



पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, 'उच्चतम न्यायालय ने मोदी सरकार की गैरकानूनी गतिविधियों को यह कहते हुए पहला बड़ा झटका दिया कि इंटरनेट की आजादी एक मौलिक अधिकार है.'



उन्होंने दावा किया, ' मोदी-शाह के लिए दोहरा झटका है कि विरोध को धारा 144 लगाकर नहीं दबाया जा सकता. उन्होंने कहा कि मोदी जी को याद दिलाया गया है कि राष्ट्र उनके सामने नहीं, संविधान के सामने झुकता है.' गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को अपनी एक महत्वपूर्ण व्यवस्था में इंटरनेट के इस्तेमाल को संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकार करार दिया और जम्मू कश्मीर प्रशासन से कहा कि केन्द्र शासित प्रदेश में प्रतिबंध लगाने संबंधी सारे आदेशों की एक सप्ताह के भीतर समीक्षा की जाये.



न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान समाप्त करने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर यह व्यवस्था दी.


Conclusion:
Last Updated : Jan 10, 2020, 8:47 PM IST
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