जयपुर/जोधपुर: राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान वकीलों को अब जज के सामने अपनी बात रखने से पहले माय लॉर्ड या योर लॉर्डशिप जैसे शब्द नहीं बोलने होंगे. इसका मतलब है कि अब हाइकोर्ट में वकीलों द्वारा दलील देते समय यह शब्द सुनने को नही मिलेंगे. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस रविंद्र भट्ट की अध्यक्षता में हुई फुल कोर्ट की बैठक में यह निर्णय सभी जजों ने सहमति से लिया है.
हाइकोर्ट प्रशासन द्वारा जारी आदेश में लिखा गया है कि संविधान ने सभी को बराबरी का दर्जा दिया है इसलिए आम सहमति से सभी वकीलों को आग्रह करते हैं कि वे ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करें.
गौरतलब है कि अदालतों में ब्रिटिशकालीन व्यवस्था के समय से ही जज को भगवान का दर्जा देते हुए माय लॉर्ड जैसे शब्दों का चलन रहा है. लेकिन अब राजस्थान हाइकोर्ट के जजों ने यह सुनने से इनकार कर दिया है.
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राजस्थान हाइकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं बार कौंसिल ऑफ राजस्थान के सदस्य रणजीत जोशी ने मुख्य न्यायाधीश की इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि सम्भवत: राजस्थान हाइकोर्ट देश मे पहला न्यायालय है. यहां इन शब्दों का उपयोग वकीलों द्वारा करने के लिए मनाही की गई है.
जोशी ने कहा कि बार को बेंच का सम्मान करने के लिए सर या श्रीमान जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए, जिससे वकीलों के साथ-साथ आमजन में भी न्यायाधीशों के प्रति सम्मान बना रहे.