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जापानी दुल्हन ने झारखंडी दूल्हे संग लिये फेरे, प्यार की खातिर टोक्यो से पहुंची धनबाद

प्यार न तो जात-पात देखता है और न ही इसे सीमा और संस्कृति के दीवारें रोक पाती हैं. ऐसा ही कुछ झारखंड के धनबाद जिले में हुआ है. यहां एक जापानी दुल्हन ने झारखंडी दूल्हे के साथ पारम्परिक रीति रिवाज से शादी की.

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Published : Nov 21, 2019, 4:40 PM IST

धनबाद : साल 1966 में बनी बॉलीवुड फिल्म 'लव इन टोक्यो' का मशहूर गाना 'ले गई दिल गुड़िया जापान की' आपने जरूर सुना होगा. इसी तर्ज पर जापान की एक लड़की को झारखंड का एक लड़का इतना पसंद आया कि वो सात समंदर पार भारत पहुंच गई. धनबाद के रहने वाले कुमार सुंदरम बैंकर हैं और जापानी यूरी यशुदा इंटीरियर डिजाइनर का काम करती हैं. दोनों ने बुधवार को भारतीय रीति रिवाज से शादी कर ली.

कुमार सुंदरम और यूरी यशुदा की मुलाकात टोक्यो में एक एग्जीबिशन के दौरान हुई थी. नजदीकियां बढ़ीं तो प्यार हो गया और फिर दोनों ने साथ जीने-मरने की कसमें खा लीं. प्यार की ये कसक यूरी यशुदा को टोक्यो से धनबाद ले आई और परिवार की रजामंदी से दोनों हमेशा के लिए एक-दूसरे के हो गये.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

देशी दूल्हा, विदेशी दूल्हन
धनबाद के सरायढेला में गोल बिल्डिंग स्थित प्रभु दर्शन अपार्टमेंट में बुधवार को कुमार सुंदरम और यूरी यशुदा की शादी हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार हुई. इस शादी में शामिल होने के लिए यूरी का परिवार जापान से धनबाद पहुंचा. इसके साथ ही दोनों के कुछ दोस्त अमेरिका से शादी में शामिल होने के लिए आए.

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शादी की रस्म के दौरान कुमार सुंदरम और यूरी यशुदा.

टोक्यो में मिले दिल
बीसीसीएल से रिटायर्ड सिविल इंजीनियर शिवबदन सिंह के तीसरे बेटे कुमार सुंदरम नेतरहाट से पढ़ाई पूरी करने के बाद जापान गये थे. राजधानी टोक्यो में विनिवेश बैंक में उन्हें अच्छी नौकरी मिल गयी. यहीं एक एक्जीबिशन के दौरान सुंदरम की मुलाकात यूरी यशुदा से हुई थी. यूरी पेशे से इंटीरियर डिजाइनर हैं.

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शादी की रस्म के दौरान कुमार सुंदरम और यूरी यशुदा.

दोस्ती से शादी तक का सफर
इस मुलाकात के बाद दोनों में दोस्ती बढ़ी और फिर प्यार हो गया. मेल-मुलाकात के करीब 7-8 महीने बाद दोनों ने शादी का फैसला लिया, लेकिन सामाजिक बंधन, धर्म और संस्कृति दीवार की तरह खड़ी हो गई.

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कुमार सुंदरम और यूरी यशुदा के पिता.

परिवार की रजामंदी से शादी
कुमार सुंदरम और यूरी यशुदा ने अपने माता-पिता से अपनी कहानी पूरी शिद्दत के साथ बयां की. इसके बाद सुंदरम के माता-पिता यूरी के घर जापान गये. यूरी अपने माता-पिता के साथ धनबाद आई. दोनों परिवारों के मिलने का सिलसिला करीब एक साल तक चलता रहा. आखिरकार सुंदरम और यूरी के जीवन में वह पल भी आया, जिसका दोनों बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. दोनों परिवारों ने इस रिश्ते की रजामंदी दे दी.

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यूरी यशुदा के माता-पिता.

शादी के बाद जाहिर की खुशी
सुंदरम और यूरी इस शादी से बेहद खुश हैं. यूरी ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि ये सब संभव हो पाएगा, लेकिन अब वे खुद को खुशनसीब मानती हैं. सुंदरम ने कहा कि आज भी हमारे देश में जाति और धर्म के नाम पर रिश्ते जोड़े जाते हैं. एक-दूसरे के दिल से जुड़े रिश्ते ही खुशी देते हैं. बच्चों को अपने माता-पिता से हर बात दिल खोलकर कहना चाहिए ताकि वे एक दूसरे को समझ सकें.

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शादी की रस्म के दौरान कुमार सुंदरम और यूरी यशुदा.

भारत में बच्चों में मिरगी के दौरे रोकने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा अध्ययन शूरू

बहू को मानते हैं बेटी
सुंदरम के पिता शिवबदन सिंह ने बताया कि उन्हें तीन बेटे हैं, लेकिन एक भी बेटी नहीं है. जापानी बहू ने बेटी की कमी को पूरा कर दिया. उनका ये भी कहना है कि जिसके साथ बच्चे खुश रहें, उससे ही शादी होनी चाहिए.

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कुमार सुंदरम और यूरी यशुदा का परिवार.

सुंदरम और यूरी की कहानी फिल्मी लगती है, लेकिन दोनों एकसाथ बेहद खुश हैं. जब दो दिल मिल जाएं, तो भाषा, धर्म, संस्कृति की दीवारें कितनी भी ऊंची क्यों न हों, वो छोटी ही पड़ जाती हैं.

धनबाद : साल 1966 में बनी बॉलीवुड फिल्म 'लव इन टोक्यो' का मशहूर गाना 'ले गई दिल गुड़िया जापान की' आपने जरूर सुना होगा. इसी तर्ज पर जापान की एक लड़की को झारखंड का एक लड़का इतना पसंद आया कि वो सात समंदर पार भारत पहुंच गई. धनबाद के रहने वाले कुमार सुंदरम बैंकर हैं और जापानी यूरी यशुदा इंटीरियर डिजाइनर का काम करती हैं. दोनों ने बुधवार को भारतीय रीति रिवाज से शादी कर ली.

कुमार सुंदरम और यूरी यशुदा की मुलाकात टोक्यो में एक एग्जीबिशन के दौरान हुई थी. नजदीकियां बढ़ीं तो प्यार हो गया और फिर दोनों ने साथ जीने-मरने की कसमें खा लीं. प्यार की ये कसक यूरी यशुदा को टोक्यो से धनबाद ले आई और परिवार की रजामंदी से दोनों हमेशा के लिए एक-दूसरे के हो गये.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

देशी दूल्हा, विदेशी दूल्हन
धनबाद के सरायढेला में गोल बिल्डिंग स्थित प्रभु दर्शन अपार्टमेंट में बुधवार को कुमार सुंदरम और यूरी यशुदा की शादी हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार हुई. इस शादी में शामिल होने के लिए यूरी का परिवार जापान से धनबाद पहुंचा. इसके साथ ही दोनों के कुछ दोस्त अमेरिका से शादी में शामिल होने के लिए आए.

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शादी की रस्म के दौरान कुमार सुंदरम और यूरी यशुदा.

टोक्यो में मिले दिल
बीसीसीएल से रिटायर्ड सिविल इंजीनियर शिवबदन सिंह के तीसरे बेटे कुमार सुंदरम नेतरहाट से पढ़ाई पूरी करने के बाद जापान गये थे. राजधानी टोक्यो में विनिवेश बैंक में उन्हें अच्छी नौकरी मिल गयी. यहीं एक एक्जीबिशन के दौरान सुंदरम की मुलाकात यूरी यशुदा से हुई थी. यूरी पेशे से इंटीरियर डिजाइनर हैं.

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शादी की रस्म के दौरान कुमार सुंदरम और यूरी यशुदा.

दोस्ती से शादी तक का सफर
इस मुलाकात के बाद दोनों में दोस्ती बढ़ी और फिर प्यार हो गया. मेल-मुलाकात के करीब 7-8 महीने बाद दोनों ने शादी का फैसला लिया, लेकिन सामाजिक बंधन, धर्म और संस्कृति दीवार की तरह खड़ी हो गई.

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कुमार सुंदरम और यूरी यशुदा के पिता.

परिवार की रजामंदी से शादी
कुमार सुंदरम और यूरी यशुदा ने अपने माता-पिता से अपनी कहानी पूरी शिद्दत के साथ बयां की. इसके बाद सुंदरम के माता-पिता यूरी के घर जापान गये. यूरी अपने माता-पिता के साथ धनबाद आई. दोनों परिवारों के मिलने का सिलसिला करीब एक साल तक चलता रहा. आखिरकार सुंदरम और यूरी के जीवन में वह पल भी आया, जिसका दोनों बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. दोनों परिवारों ने इस रिश्ते की रजामंदी दे दी.

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यूरी यशुदा के माता-पिता.

शादी के बाद जाहिर की खुशी
सुंदरम और यूरी इस शादी से बेहद खुश हैं. यूरी ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि ये सब संभव हो पाएगा, लेकिन अब वे खुद को खुशनसीब मानती हैं. सुंदरम ने कहा कि आज भी हमारे देश में जाति और धर्म के नाम पर रिश्ते जोड़े जाते हैं. एक-दूसरे के दिल से जुड़े रिश्ते ही खुशी देते हैं. बच्चों को अपने माता-पिता से हर बात दिल खोलकर कहना चाहिए ताकि वे एक दूसरे को समझ सकें.

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शादी की रस्म के दौरान कुमार सुंदरम और यूरी यशुदा.

भारत में बच्चों में मिरगी के दौरे रोकने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा अध्ययन शूरू

बहू को मानते हैं बेटी
सुंदरम के पिता शिवबदन सिंह ने बताया कि उन्हें तीन बेटे हैं, लेकिन एक भी बेटी नहीं है. जापानी बहू ने बेटी की कमी को पूरा कर दिया. उनका ये भी कहना है कि जिसके साथ बच्चे खुश रहें, उससे ही शादी होनी चाहिए.

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कुमार सुंदरम और यूरी यशुदा का परिवार.

सुंदरम और यूरी की कहानी फिल्मी लगती है, लेकिन दोनों एकसाथ बेहद खुश हैं. जब दो दिल मिल जाएं, तो भाषा, धर्म, संस्कृति की दीवारें कितनी भी ऊंची क्यों न हों, वो छोटी ही पड़ जाती हैं.

Intro:ANCHOR:-धर्म,जाति और अनेक प्रकार विभिन्नताओं के बावजूद धनबाद के एक युवक ने जापान की एक युवती से शादी कर एक अनूठी मिसाल पेश की है।धनबाद के कुमार सुंदरम और जापान की यूरी यशुदा सात फेरे लेकर दोनों परिणय सूत्र में बंध गए।जिले के सरायढेला गोल बिल्डिंग स्थित प्रभु दर्शन अपार्टमेंट में हिंदू रीति रिवाज के अनुसार बुधवार को शादी हुई।यूरी के मातापिता उनके दोस्त और सुंदरम के पूरे परिवार समेत अमेरिका से पहुँचे दोस्त इस शादी समारोह में शरीक हुए।


Body:VO 01:-जिले के सरायढेला गोल बिल्डिंग स्थित प्रभु अपार्टमेंट में हो रही यह शादी देखने मे सामान्य शादियों जैसी लग रही है।लेकिन यह शादी सामान्य और साधारण नही बल्कि खास है।खास इसलिए कि दूल्हा देसी जरूर है।लेकिन दुल्हन विदेशी है।या यूँ कहे कि विवाह के इस मंडप में बैठी दुल्हन जापानी है।दरअसल धनबाद के सरायढेला प्रभु अपार्टमेंट के रहनेवाले बीसीसीएल से रिटायर्ड सिविल इंजीनियर शिव बदन सिंह के तीसरे बेटे कुमार सुंदरम नेतरहाट से पढ़ाई पूरी करने के बाद जापान गए थे।जापान के टोकियो में विनिवेश बैंक में उन्हें अच्छी नौकरी मिल गयी।एक एक्जीबिशन के दौरान सुंदरम की मुलाकात यूरी यशुदा से हुई।यूरी पेशे से इंटीरियर डिजाइनर है।इस मुलाकात के बाद दोनों में दोस्ती बढ़ी और फिर धीरे धीरे दोनो में प्यार हो गया।दोनो के बीच प्यार और एक दूसरे से मिलने का सिलसिला करीब 7-8 महीने तक चला।दोनो शादी करना चाहते थे।लेकिन सामाजिक बंधन,धर्म और सांस्कृतिक इस प्यार के बीच मे किसी दीवार की तरह खड़ी थी।दोनो ने एक दूसरे के परिवार से मिलकर बीच खड़ी जाति, धर्म और सांस्कृतिक की दीवार को हटाने का फैसला लिया।

BYTE 01:-KUMAR SUNDRAM
(PAHLE DOSTI FIR PYAR)

VO 02:-उन दोनों का यह फैसला कारगार साबित हुआ।दोनो ने अपने अपने मातापिता को अपनी कहानी पूरी शिद्दत के साथ बयां की।सुंदरम के मातापिता यूरी के घर जापान गए।यूरी अपने मातापिता के साथ इंडिया में धनबाद आयी।दोनो परिवारों के मिलने का सिलसिला करीब एक साल तक चलता रहा।आखिरकार सुंदरम और यूरी के जीवन मे वह पल भी आया जिसका दोनो बड़ी बेसब्री उस पल का इंतजार कर रहे थे।दोनो परिवारों ने इस रिश्ते की रजामंदी दे दी।

BYTE 02:-KUMAR SUNDRAM
(FAMILY SE BADHAYA MELJOL)

VO 03:-सुंदरम कहता है कि आज भी हमारे देश में जाति,धर्म के नाम रिश्ते जोड़े जाते हैं।जाति और धर्म के नाम पर रिश्ते जोड़ना बंद करें।लोग एक दूसरे से दिल से जुड़े।मातापिता को भी चाहिए कि सिर्फ शादी के लिए ही नही बल्कि अपने बच्चों को कुछ बनने के लिए बहुत ज्यादा दबाव देने कि आवश्यकता नही है।बच्चों को भी चाहिए कि अपने मातापिता से हर बात दिल खोलकर करें।तभी एक दूसरे को समझ सकेंगे।

BYTE 03:-KUMAR SUNDRAM
SANDESH

V0 04:-वहीं सुंदरम के पिता शिव बदन सिंह का कहना है कि मुझे ईश्वर ने तीन बेटे दिए हैं।लेकिन एक भी बेटी नही है।मै अपनी बहू को ही बेटी मानता हूँ।वह कहते हैं कि हम इस शादी से बहुत खुश हैं।


BYTE 04:-SHIV BADAN SINGH,PITA


Conclusion:बहरहाल, इस शादी से न सिर्फ सुंदरम और यूरी खुश है बल्कि दोनो के परिवार में भी इस शादी से उतनी ही खुशी है।जरूरत है तो बस यूरी और सुंदरम की तरह ही परिवार और मातापिता को अपने निजी जीवन की प्राथमिकताओं में शामिल करने की।

नरेंद्र कुमार, ईटीवी भारत, धनबाद
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