धनबाद : साल 1966 में बनी बॉलीवुड फिल्म 'लव इन टोक्यो' का मशहूर गाना 'ले गई दिल गुड़िया जापान की' आपने जरूर सुना होगा. इसी तर्ज पर जापान की एक लड़की को झारखंड का एक लड़का इतना पसंद आया कि वो सात समंदर पार भारत पहुंच गई. धनबाद के रहने वाले कुमार सुंदरम बैंकर हैं और जापानी यूरी यशुदा इंटीरियर डिजाइनर का काम करती हैं. दोनों ने बुधवार को भारतीय रीति रिवाज से शादी कर ली.
कुमार सुंदरम और यूरी यशुदा की मुलाकात टोक्यो में एक एग्जीबिशन के दौरान हुई थी. नजदीकियां बढ़ीं तो प्यार हो गया और फिर दोनों ने साथ जीने-मरने की कसमें खा लीं. प्यार की ये कसक यूरी यशुदा को टोक्यो से धनबाद ले आई और परिवार की रजामंदी से दोनों हमेशा के लिए एक-दूसरे के हो गये.
देशी दूल्हा, विदेशी दूल्हन
धनबाद के सरायढेला में गोल बिल्डिंग स्थित प्रभु दर्शन अपार्टमेंट में बुधवार को कुमार सुंदरम और यूरी यशुदा की शादी हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार हुई. इस शादी में शामिल होने के लिए यूरी का परिवार जापान से धनबाद पहुंचा. इसके साथ ही दोनों के कुछ दोस्त अमेरिका से शादी में शामिल होने के लिए आए.
टोक्यो में मिले दिल
बीसीसीएल से रिटायर्ड सिविल इंजीनियर शिवबदन सिंह के तीसरे बेटे कुमार सुंदरम नेतरहाट से पढ़ाई पूरी करने के बाद जापान गये थे. राजधानी टोक्यो में विनिवेश बैंक में उन्हें अच्छी नौकरी मिल गयी. यहीं एक एक्जीबिशन के दौरान सुंदरम की मुलाकात यूरी यशुदा से हुई थी. यूरी पेशे से इंटीरियर डिजाइनर हैं.
दोस्ती से शादी तक का सफर
इस मुलाकात के बाद दोनों में दोस्ती बढ़ी और फिर प्यार हो गया. मेल-मुलाकात के करीब 7-8 महीने बाद दोनों ने शादी का फैसला लिया, लेकिन सामाजिक बंधन, धर्म और संस्कृति दीवार की तरह खड़ी हो गई.
परिवार की रजामंदी से शादी
कुमार सुंदरम और यूरी यशुदा ने अपने माता-पिता से अपनी कहानी पूरी शिद्दत के साथ बयां की. इसके बाद सुंदरम के माता-पिता यूरी के घर जापान गये. यूरी अपने माता-पिता के साथ धनबाद आई. दोनों परिवारों के मिलने का सिलसिला करीब एक साल तक चलता रहा. आखिरकार सुंदरम और यूरी के जीवन में वह पल भी आया, जिसका दोनों बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. दोनों परिवारों ने इस रिश्ते की रजामंदी दे दी.
शादी के बाद जाहिर की खुशी
सुंदरम और यूरी इस शादी से बेहद खुश हैं. यूरी ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि ये सब संभव हो पाएगा, लेकिन अब वे खुद को खुशनसीब मानती हैं. सुंदरम ने कहा कि आज भी हमारे देश में जाति और धर्म के नाम पर रिश्ते जोड़े जाते हैं. एक-दूसरे के दिल से जुड़े रिश्ते ही खुशी देते हैं. बच्चों को अपने माता-पिता से हर बात दिल खोलकर कहना चाहिए ताकि वे एक दूसरे को समझ सकें.
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बहू को मानते हैं बेटी
सुंदरम के पिता शिवबदन सिंह ने बताया कि उन्हें तीन बेटे हैं, लेकिन एक भी बेटी नहीं है. जापानी बहू ने बेटी की कमी को पूरा कर दिया. उनका ये भी कहना है कि जिसके साथ बच्चे खुश रहें, उससे ही शादी होनी चाहिए.
सुंदरम और यूरी की कहानी फिल्मी लगती है, लेकिन दोनों एकसाथ बेहद खुश हैं. जब दो दिल मिल जाएं, तो भाषा, धर्म, संस्कृति की दीवारें कितनी भी ऊंची क्यों न हों, वो छोटी ही पड़ जाती हैं.