चेन्नई : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पीएसएलवी-सी47 के जरिए धरती की निगरानी एवं मानचित्र उपग्रह कार्टोसैट-3 लॉन्च किया. इसके साथ अमेरिका के 13 नैनो उपग्रहों का प्रक्षेपण भी किया गया. इनका इस्तेमाल 3-डी मैपिंग, आपदा प्रबंधन, खेती, जल प्रबंधन और सीमा सुरक्षा के लिए किया जाता है. इसरो ने इसकी जानकारी दी.
पीएम नरेंद्र मोदी ने कार्टोसैट-3 की लॉन्चिंग पर इसरो को बधाई दी. उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'मैं इसरो की टीम को एक और बड़े मिशन की सफल लॉन्चिंग पर बधाई देता हूं. इसरो ने एक बार फिर देश को गौरवान्वित किया है.'
इसरो प्रमुख के सिवन ने लॉन्चिंग के बाद कहा कि उन्हें पीएसएलवी सी47 ने कार्टोसैट-3 के साथ 13 अन्य सैटेलाइट को सफलतापूर्वक कक्षा में पहुंचाया. उन्होंने बताया कि कार्टोसैट-3 हाई-रिजोल्यूशन की सैन्य सैटेलाइट है. सिवन ने आगे कहा कि इसरो के पास 6 मार्च तक 13 मिशन कतार में है, जिसमें से 6 बड़े व्हीकल मिशन हैं जबकि 7 सैटेलाइट मिशन हैं.
अंतरिक्ष एजेंसी ने आज सुबह नौ बजकर 28 मिनट पर कार्टोसैट-3 के प्रक्षेपण की योजना बनाई है. यह कार्टोसैट श्रृंखला का नौवां उपग्रह है जिसे यहां से 120 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के द्वितीय लांच पैड से प्रक्षेपित किया गया.
इसरो ने कहा, 'पीएसएलवी-सी47 अभियान के प्रक्षेपण के लिए श्रीहरिकोटा में आज सुबह सात बजकर 28 मिनट पर 26 घंटे की उल्टी गिनती शुरू हो गई. इसे 27 नवंबर बुधवार को सुबह नौ बजकर 28 मिनट पर प्रक्षेपित किया जाना है.'
पीएसएलवी-सी47 की यह 49वीं उड़ान है जो कार्टोसैट-3 के साथ अमेरिका के वाणिज्यिक उद्देश्य वाले 13 छोटे उपग्रहों को लेकर अंतरिक्ष में जाएगा.
कार्टोसैट-3 तीसरी पीढ़ी का बेहद चुस्त और उन्नत उपग्रह है जिसमें हाई रिजोल्यूशन तस्वीर लेने की क्षमता है.
इसका भार 1,625 किलोग्राम है और यह बड़े पैमाने पर शहरी नियोजन, ग्रामीण संसाधन और बुनियादी ढांचे के विकास, तटीय भूमि के उपयोग तथा भूमि कवर के लिए उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग को पूरा करेगा.
इसरो ने कहा है कि पीएसएलवी-सी47 ‘एक्सएल’ कनफिगरेशन में पीएसएलवी की 21वीं उड़ान है.
न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड, अंतरिक्ष विभाग के वाणिज्यिक प्रबंधों के तहत इस उपग्रह के साथ अमेरिका के 13 नैनो वाणिज्यिक उपग्रहों को भी प्रक्षेपित किया जा रहा है.
इसरो ने बताया कि श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से यह 74वां प्रक्षेपण यान मिशन होगा. कार्टोसैट-3 का जीवनकाल पांच साल का होगा.
कार्टोसैट-3 तथा 13 अन्य नैनो उपग्रहों का प्रक्षेपण गत 22 जुलाई को चंद्रयान -2 के प्रक्षेपण के बाद हो रहा है.