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अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस : कोरोना के साथ जलवायु परिवर्तन भी है चुनौती - climate action

आज दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस मनाया जा रहा है. यह दिवस हमें याद दिलाने के लिए मनाया जाता है कि पृथ्वी और उसके पारिस्थितिक तंत्र हमें जीवन और जीविका प्रदान करते हैं. पढ़ें, हमारी खास पेशकश...

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Published : Apr 22, 2020, 12:42 AM IST

Updated : Apr 22, 2020, 9:37 AM IST

हैदराबाद : आज दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस मनाया जा रहा है. यह दिवस हमें याद दिलाने के लिए मनाया जाता है कि पृथ्वी और उसके पारिस्थितिक तंत्र हमें जीवन और जीविका प्रदान करते हैं.

पृथ्वी दिवस हमें हमारी सामूहिक जिम्मेदारी को भी याद दिलाता है. जैसा कि साल 1992 के रियो घोषणापत्र में कहा गया है, प्रकृति के साथ सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए मानवजाति को आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय आवश्यकताओं के बीच एक उचित संतुलन स्थापित करना होगा.

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 22 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था. आज हम इसकी 50वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. साल 2016 में संयुक्त राष्ट्र ने पेरिस जलवायु समझौते को लागू करने के लिए पृथ्वी दिवस के दिन को चुना था.

पृथ्वी दिवस 2020 थीम- क्लाइमेट एक्शन

जलवायु परिवर्तन मानवता के भविष्य और जीवन-समर्थन प्रणालियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है. यह बेहद जरूरी है कि दुनिया के हर देश को जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं के लिए तत्परता और महत्वाकांक्षा के साथ कई कदम उठाने होंगे. हम अपनी वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों को एक खतरनाक भविष्य के लिए तैयार कर रहे हैं.

जलवायु परिवर्तन, बिगड़ती जैव विविधता, वनों की कटाई, भूमि के उपयोग में परिवर्तन, पशुधन उत्पादन और बढ़ते अवैध वन्यजीव व्यापार आज हमारे सामने प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दे बन गए हैं.

जलवायु परिवर्तन

विश्व मौसम संगठन (डब्लूएमओ) की रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन भूमि और समुद्र की गर्मी में वृद्धि कर रहे हैं. बर्फ पिघलने के कारण समुद्र के स्तर में वृद्धि हो रही है. जलवायु परिवर्तन के कारण सामाजिक-आर्थिक विकास, मानव स्वास्थ्य, प्रवास और विस्थापन, भोजन पर प्रभाव पर पड़ रहा है.

साल 2019 में मानसून के मौसम में भारत, नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार में दीर्घकालिक औसत से ऊपर बारिश देखी गई. परिणाम स्वरूप बाढ़ के कारण इन क्षेत्र में लगभग 2,200 लोगों की जान चली गई.

हैदराबाद : आज दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस मनाया जा रहा है. यह दिवस हमें याद दिलाने के लिए मनाया जाता है कि पृथ्वी और उसके पारिस्थितिक तंत्र हमें जीवन और जीविका प्रदान करते हैं.

पृथ्वी दिवस हमें हमारी सामूहिक जिम्मेदारी को भी याद दिलाता है. जैसा कि साल 1992 के रियो घोषणापत्र में कहा गया है, प्रकृति के साथ सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए मानवजाति को आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय आवश्यकताओं के बीच एक उचित संतुलन स्थापित करना होगा.

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 22 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था. आज हम इसकी 50वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. साल 2016 में संयुक्त राष्ट्र ने पेरिस जलवायु समझौते को लागू करने के लिए पृथ्वी दिवस के दिन को चुना था.

पृथ्वी दिवस 2020 थीम- क्लाइमेट एक्शन

जलवायु परिवर्तन मानवता के भविष्य और जीवन-समर्थन प्रणालियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है. यह बेहद जरूरी है कि दुनिया के हर देश को जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं के लिए तत्परता और महत्वाकांक्षा के साथ कई कदम उठाने होंगे. हम अपनी वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों को एक खतरनाक भविष्य के लिए तैयार कर रहे हैं.

जलवायु परिवर्तन, बिगड़ती जैव विविधता, वनों की कटाई, भूमि के उपयोग में परिवर्तन, पशुधन उत्पादन और बढ़ते अवैध वन्यजीव व्यापार आज हमारे सामने प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दे बन गए हैं.

जलवायु परिवर्तन

विश्व मौसम संगठन (डब्लूएमओ) की रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन भूमि और समुद्र की गर्मी में वृद्धि कर रहे हैं. बर्फ पिघलने के कारण समुद्र के स्तर में वृद्धि हो रही है. जलवायु परिवर्तन के कारण सामाजिक-आर्थिक विकास, मानव स्वास्थ्य, प्रवास और विस्थापन, भोजन पर प्रभाव पर पड़ रहा है.

साल 2019 में मानसून के मौसम में भारत, नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार में दीर्घकालिक औसत से ऊपर बारिश देखी गई. परिणाम स्वरूप बाढ़ के कारण इन क्षेत्र में लगभग 2,200 लोगों की जान चली गई.

Last Updated : Apr 22, 2020, 9:37 AM IST
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