कोलकाता : पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित शांतिनिकेतन के विश्वभारती विश्वविद्यालय के अनिश्चित काल के लिए बंद होने की अफवाहें फैलने के बाद छात्रों ने एक बार कुलपति आवास के बाहर प्रदर्शन शुरू कर दिया. इससे पहले कैंपस स्थित एक मेला ग्राउंड के समीप दीवार निर्माण का कुछ लोगों ने जमकर विरोध किया. ऐसे में हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा हुए और निर्माणाधीन दीवार को तोड़ डाला. इस दौरान लोगों द्वारा निर्माण में इस्तेमाल हो रही सामग्री को भी तोड़ दिया गया.
लोगों ने कैंपस के पास निर्माण स्थल पर ईंट और सीमेंट को उठाकर फेंक दिया. इस विषय को लेकर काफी जोरदार हंगामा हुआ.
घटना को लेकर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि विश्व भारती एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है. मैं वहां कोई निर्माण नहीं चाहती, जो वहां की प्रकृति की सुंदरता को बिगाड़ दे. मैं कुलपति से निवेदन करती हूं कि वह डीएम और एसपी से परामर्श करें. बंगाल में ऐसी चीजें नहीं होनी चाहिए, जो बंगाल की संस्कृति और विरासत को नष्ट कर दे.
वहीं हिंसा को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश वर्गीय का कहा है कि पश्चिम बंगाल भारत का एकमात्र ऐसा राज्य कोई भी सरक्षित नहीं है.
पश्चिम बंगाल राज्य भाजपा ने हास्टिंग्स हाउस कोलकाता में 2021 विधानसभा चुनाव के लिए एक बैठक आयोजित की, जहां भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय उस बैठक में शामिल हुए.इस दौरान उन्होंने कहा कि00 पश्चिम बंगाल भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां राजघराना भी सुरक्षित नहीं है.'
जानकारी के मुताबिक विश्वभारती यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पिछले सप्ताह एक दीवार का निर्माण शुरू करवाया था जिसका स्थानीय लोगों ने विरोध किया. इस दीवार का निर्माण मेला ग्राउंड के नजदीक बनाया जा रहा है, जिसके विरोध में स्थानीय लोगों ने यूनिवर्सिटी कैंपस में प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने जमकर तोड़फोड़ किया है.
बता दें कि राज्य में एक शताब्दी पुराने पौष मेले का आयोजन इस साल से बंद करने के विश्व भारती के फैसले से नाराज स्थानीय कारोबारियों की एक इकाई ने शनिवार को विश्वविद्यालय प्रशासन को यहां चारदीवारी निर्माण करने से रोका था.
कारोबारी इकाई बोलपुर व्यवसायी समिति ने दावा किया कि वह पौष मेले का आयोजन करेगी. समिति का कहना है कि यह मेला शांति निकेतन की विरासत का हिस्सा है.
सामान्य तौर पर दिसंबर के अंत में बंगाली पौष महीने में पौष मेले का आयोजन होता है और इसमें हथकरघा, शिल्प, कला के प्रदर्शन के साथ-साथ संगीत उत्सव का आयोजन होता है.
इस मेले का आयोजन सबसे पहले रबींद्रनाथ टैगोर के पिता महर्षि देबेन्द्रनाथ टैगोर ने 1894 में किया था. नोबेल पुरस्कार विजेता द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय ने इस मेले का आयोजन 1951 से करना शुरू किया.
विश्व भारती प्रशासन ने यह कहते कि पिछले दो वर्षों से मेला आयोजित कराने का उसका अनुभव बुरा रहा है, मेले को बंद करने का फैसला लिया. प्रशासन का कहना है कि इन दो सालों में उसे कारोबारियों से राष्ट्रीय हरित अधिकरण के दिशा-निर्देशों का पालन करवाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.