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धर्म विरोधी कार्यों के आरोपों में घिरे फ्रांस के राष्ट्रपति पर चौतरफा हमला

पैगंबर मोहम्मद के कार्टून मामले पर भारत के मुस्लिम संगठनों ने फ्रांस को सख्त संदेश दिया है और फ्रांस सरकार से इस्लाम विरोधी कार्यों पर विराम लगाने को कहा है. साथ ही भारत सरकार द्वारा फ्रांस की स्थिति का समर्थन करने पर दुख जताया है.

मौलाना अरशद मदनी
मौलाना अरशद मदनी
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Published : Oct 31, 2020, 11:52 AM IST

नई दिल्ली: भारत के प्रमुख मुस्लिम संगठन- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), जमीयत उलेमा-ए-हिंद और जमीयत इस्लाम-ए-हिंद ने फ्रांस द्वारा पैगंबर मोहम्मद के कार्टून के प्रदर्शन की निंदा की है. इन संगठनों ने फ्रांस सरकार से इस्लाम विरोधी कार्यों पर रोक लगाने की मांग की है.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने शुक्रवार को कहा कि दुनिया की सभी धार्मिक और पवित्र हस्तियों का उनके धर्म की परवाह किए बिना सम्मान किया जाना चाहिए. पैगंबर मोहम्मद ने हमें सीख दी है कि किसी भी धर्म और धार्मिक व्यक्ति का अपमान न करें. दुनियाभर के मुसलमान इसका पालन करते हैं.

उन्होंने कहा, 'हमें यह कहते हुए बहुत दुख हो रहा है कि हमारे देश की सरकार ने फ्रांस के दृष्टिकोण का समर्थन किया है, जिसका अर्थ है कि यह (सरकार) उस कानून का समर्थन कर रही है, जो पूरी दुनिया के मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को आहत करता है.'

मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए अरशद मदनी ने कहा कि यह अपने ही देश के भीतर सरकार की मंशा को दर्शाता है कि उसका देश के 20 करोड़ मुसलमानों पर क्या विचार है? हमें लगता है कि फ्रांस की स्थिति का समर्थन करने के बजाय चुप रहना बेहतर होगा.

वहीं, जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सादतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि हम फ्रांस सरकार से मांग करते हैं कि वह अपने इस्लाम-विरोधी कार्यों पर रोक लगाए. चार्ली हेब्दो का कार्य अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को शोषण है. इस्लाम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का विरोध नहीं करता है. यह किसी को बदनाम करने के लिए नहीं, बल्कि गंभीर तर्क और बहस के रूप में होना चाहिए.

यह भी पढ़ें- मध्य प्रदेश : फ्रांसीसी राष्ट्रपति के खिलाफ प्रदर्शन, हजारों पर केस दर्ज

उन्होंने आगे कहा कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति द्वारा अपनाया गया दृष्टिकोण बेहद अपमानजनक और टकरावपूर्ण है, जो सभी सभ्य लोगों की निगाह में अस्वीकार्य और निंदनीय है. फ्रांसीसी सरकार शिक्षक सैमुअल पार्टी और चेचन छात्र द्वारा किए गए कृत्य का निष्पक्ष मूल्यांकन करना चाहिए.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक अधिकार है. हालांकि, किसी को स्वतंत्रता के नाम पर दूसरों की भावनाओं को आहत करने की इजाजत नहीं है. जो दूसरों के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करते हैं, उन्हें सभ्य शिष्टाचार अपनाना चाहिए.

वहीं, इंडियन मुस्लिम्स फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स (IMPAR) ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से अपील की कि वे पूरे फ्रांस में रहने वाले मुस्लिम अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें. आईएमपीएआर भारत के 10,000 से अधिक मुसलमानों के एक शीर्ष निकाय है.

नई दिल्ली: भारत के प्रमुख मुस्लिम संगठन- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), जमीयत उलेमा-ए-हिंद और जमीयत इस्लाम-ए-हिंद ने फ्रांस द्वारा पैगंबर मोहम्मद के कार्टून के प्रदर्शन की निंदा की है. इन संगठनों ने फ्रांस सरकार से इस्लाम विरोधी कार्यों पर रोक लगाने की मांग की है.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने शुक्रवार को कहा कि दुनिया की सभी धार्मिक और पवित्र हस्तियों का उनके धर्म की परवाह किए बिना सम्मान किया जाना चाहिए. पैगंबर मोहम्मद ने हमें सीख दी है कि किसी भी धर्म और धार्मिक व्यक्ति का अपमान न करें. दुनियाभर के मुसलमान इसका पालन करते हैं.

उन्होंने कहा, 'हमें यह कहते हुए बहुत दुख हो रहा है कि हमारे देश की सरकार ने फ्रांस के दृष्टिकोण का समर्थन किया है, जिसका अर्थ है कि यह (सरकार) उस कानून का समर्थन कर रही है, जो पूरी दुनिया के मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को आहत करता है.'

मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए अरशद मदनी ने कहा कि यह अपने ही देश के भीतर सरकार की मंशा को दर्शाता है कि उसका देश के 20 करोड़ मुसलमानों पर क्या विचार है? हमें लगता है कि फ्रांस की स्थिति का समर्थन करने के बजाय चुप रहना बेहतर होगा.

वहीं, जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सादतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि हम फ्रांस सरकार से मांग करते हैं कि वह अपने इस्लाम-विरोधी कार्यों पर रोक लगाए. चार्ली हेब्दो का कार्य अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को शोषण है. इस्लाम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का विरोध नहीं करता है. यह किसी को बदनाम करने के लिए नहीं, बल्कि गंभीर तर्क और बहस के रूप में होना चाहिए.

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उन्होंने आगे कहा कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति द्वारा अपनाया गया दृष्टिकोण बेहद अपमानजनक और टकरावपूर्ण है, जो सभी सभ्य लोगों की निगाह में अस्वीकार्य और निंदनीय है. फ्रांसीसी सरकार शिक्षक सैमुअल पार्टी और चेचन छात्र द्वारा किए गए कृत्य का निष्पक्ष मूल्यांकन करना चाहिए.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक अधिकार है. हालांकि, किसी को स्वतंत्रता के नाम पर दूसरों की भावनाओं को आहत करने की इजाजत नहीं है. जो दूसरों के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करते हैं, उन्हें सभ्य शिष्टाचार अपनाना चाहिए.

वहीं, इंडियन मुस्लिम्स फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स (IMPAR) ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से अपील की कि वे पूरे फ्रांस में रहने वाले मुस्लिम अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें. आईएमपीएआर भारत के 10,000 से अधिक मुसलमानों के एक शीर्ष निकाय है.

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