ह्यूस्टन : अमेरिकी वायुसेना में कर्नल भारतीय मूल के राजा जॉन वुरपुतूर चारी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के उन 11 नए स्नातकों में शामिल हैं, जिनके अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस), चंद्रमा और मंगल के लिए भविष्य के महत्वाकांक्षी अभियानों का हिस्सा बनने की संभावना है. नासा के इन 11 नए स्नातकों ने दो साल से अधिक अवधि का मौलिक अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है.
गौरतलब है कि नाासा के अपने आर्टेमिस कार्यक्रम की घोषणा करने के बाद 2017 में इन सफल अंतरिक्ष यात्रियों को 18,000 आवेदकों के बीच से चयनित किया गया था. शुक्रवार को यहां आयोजित एक समारोह में प्रत्येक नये अंतरिक्ष यात्री को परंपरागत रूप से चांदी का एक पिन दिया गया.
41 वर्षीय चारी को 2017 अंतरिक्षयात्री उम्म्मीदवार वर्ग में शामिल करने के लिए नासा द्वारा चयनित किया गया था. उन्होंने अगस्त 2017 में ड्यूटी के लिए रिपोर्ट किया था और शुरुआती अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवार प्रशिक्षण पूरा कर अब वह मिशन के काम पर जाने के योग्य हो गए हैं.
नासा के प्रशासक जिम ब्रिडेंस्टाइन ने जॉनसन स्पेस सेंटर में कहा, 'नासा 2020 में अमेरिकी जमीन से अमेरिकी रॉकेटों के जरिए अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजे जाने की फिर से शुरुआत करेगा और यह हमारे आर्टेमिस कार्यक्रम तथा चंद्रमा एवं अन्य अभियानों के लिए हमारी प्रगति का एक और अहम वर्ष होगा.'
अंतरिक्ष यात्री जब अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा पूरी कर लेंगे, तब उन्हें सोने का एक पिन दिया जाएगा. नये स्नातकों को आईएसएस, चंद्रमा और मंगल अभियानों पर भेजा जा सकता है. इस दशक के अंत में चंद्रमा पर एक सतत खोज के लक्ष्य से नासा प्रथम महिला अंतरिक्ष यात्री को 2024 तक चंद्रमा की सतह पर भेजेगा.
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चारी सेडार फॉल्स लोवा से अमेरिकी वायुसेना में कर्नल हैं. उन्होंने अंतरिक्ष विज्ञान इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि हासिल की है. चारी के पिता श्रीनिवास चारी हैदराबाद से अमेरिका इंजीनियरिंग की डिग्री के लिए आए थे.
अपने पिता से प्रेरित चारी ने हाल ही में बताया था, 'मेरे पिता शिक्षा हासिल करने के लिए यहां आए थे और उसे महत्व दिए जाने का मेरे लालन-पालन पर भी प्रभाव पड़ा.'