नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा देश के विभिन्न हवाईअड्डों के निजीकरण के फैसले के खिलाफ एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया कर्मचारी यूनियन ने बुधवार को जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन किया और कहा कि यदि सरकार ने इस फैसले को वापस नहीं लिया गया तो यूनियन भूख हड़ताल करेगी.
इंडियन एयरपोर्ट्स कामगार यूनियन के ज्वॉइंट जनरल सेक्रेटरी मंजीत राणा ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि सरकार उन एयरपोर्ट्स का निजीकरण कर रही है, जो एयरपोर्ट अथॉरिटी द्वारा पहले से ही बेहतर रूप से तैयार किए जा चुके हैं. यदि सरकार को एयरपोर्ट्स का निजीकरण करना है तो वह भारत के दूरगामी शहरों (नगालैंड, ओडिशा) और अविकसित एयरपोर्ट्स का विकास करने के लिए इनका संचालन प्राइवेट कम्पनियों को सौपें.
राणा ने कहा, 'जो एयरपोर्ट हमें मुनाफा देते हैं, उनका निजीकरण किया जा रहा है और जो एयरपोर्ट घाटें में हैं. उनकी जिम्मेंदारी एयरपोर्ट अथॉरिटी को सौंपी जा रही है. यदि सरकार ने एयरपोर्ट्स के निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया तो हम देशव्यापी भूख हड़ताल करेंगे और यदि जरूरत पड़ी तो हम कामकाज बंद करके सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी करेंगे.'
कांग्रेस नेता उदित राज ने ईटीवी भारत से कहा कि सरकार ने कम्पनियों को जनता की कमाई के लिए बनाया था, लेकिन अब सरकार उन्हीं कम्पनियों का निजीकरण कर उनकी आय का माध्यम ही खत्म कर रही है. उन्होंने कहा एयरपोर्ट के निजीकरण के साथ-साथ भारतीय रेल, बीपीसीएल समेत कई अन्य कम्पनियों का भी निजीकरण करने जा रही है.
उन्होंने कहा, 'यह पूंजीपतियों की सरकार है और इसके लिए हम सभी कम्पनियों के पीड़ितों को एक साथ मिलकर एक बड़ा आंदोलन करना होगा, तभी सरकार अपना फैसला बदलेगी.'
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया यूनियन का विरोध इनके द्वारा परिचालित किए जाने वाले उन छह एयरपोर्ट्स के निजीकरण करने के खिलाफ हैं, जिन्हें सरकार से पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत चलाने की अनुमति मिल चुकी है. इनमें अहमदाबाद, तिरुअनंतपुरम, लखनऊ, बेंगलुरु, जयपुर और गुवाहाटी एयरपोर्ट हैं. इनके परिचालन का ठेका अडानी समूह को दिया गया है.
बता दें कि सरकार अगले चरण में 20-25 और एयरपोर्ट्स का निजीकरण करने पर विचार कर रही है.