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हवाईअड्डों के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारी लामबंद, भूख हड़ताल की चेतावनी

देश के विभिन्न हवाईअड्डों के हो रहे निजीकरण के खिलाफ एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया कर्मचारी यूनियन ने सरकार के खिलाफ बुधवार को धरना प्रदर्शन किया और कहा यदि सरकार पहले से विकसित एयरपोर्ट्स का निजीकरण करती है तो इसका प्रबल विरोध किया जाएगा.

मंजीत राणा
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Published : Oct 16, 2019, 11:30 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा देश के विभिन्न हवाईअड्डों के निजीकरण के फैसले के खिलाफ एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया कर्मचारी यूनियन ने बुधवार को जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन किया और कहा कि यदि सरकार ने इस फैसले को वापस नहीं लिया गया तो यूनियन भूख हड़ताल करेगी.

इंडियन एयरपोर्ट्स कामगार यूनियन के ज्वॉइंट जनरल सेक्रेटरी मंजीत राणा ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि सरकार उन एयरपोर्ट्स का निजीकरण कर रही है, जो एयरपोर्ट अथॉरिटी द्वारा पहले से ही बेहतर रूप से तैयार किए जा चुके हैं. यदि सरकार को एयरपोर्ट्स का निजीकरण करना है तो वह भारत के दूरगामी शहरों (नगालैंड, ओडिशा) और अविकसित एयरपोर्ट्स का विकास करने के लिए इनका संचालन प्राइवेट कम्पनियों को सौपें.

राणा ने कहा, 'जो एयरपोर्ट हमें मुनाफा देते हैं, उनका निजीकरण किया जा रहा है और जो एयरपोर्ट घाटें में हैं. उनकी जिम्मेंदारी एयरपोर्ट अथॉरिटी को सौंपी जा रही है. यदि सरकार ने एयरपोर्ट्स के निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया तो हम देशव्यापी भूख हड़ताल करेंगे और यदि जरूरत पड़ी तो हम कामकाज बंद करके सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी करेंगे.'

ईटीवी भारत से बात करते मंजीत राणा और कांग्रेस नेता उदित राज.

कांग्रेस नेता उदित राज ने ईटीवी भारत से कहा कि सरकार ने कम्पनियों को जनता की कमाई के लिए बनाया था, लेकिन अब सरकार उन्हीं कम्पनियों का निजीकरण कर उनकी आय का माध्यम ही खत्म कर रही है. उन्होंने कहा एयरपोर्ट के निजीकरण के साथ-साथ भारतीय रेल, बीपीसीएल समेत कई अन्य कम्पनियों का भी निजीकरण करने जा रही है.

उन्होंने कहा, 'यह पूंजीपतियों की सरकार है और इसके लिए हम सभी कम्पनियों के पीड़ितों को एक साथ मिलकर एक बड़ा आंदोलन करना होगा, तभी सरकार अपना फैसला बदलेगी.'

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया यूनियन का विरोध इनके द्वारा परिचालित किए जाने वाले उन छह एयरपोर्ट्स के निजीकरण करने के खिलाफ हैं, जिन्हें सरकार से पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत चलाने की अनुमति मिल चुकी है. इनमें अहमदाबाद, तिरुअनंतपुरम, लखनऊ, बेंगलुरु, जयपुर और गुवाहाटी एयरपोर्ट हैं. इनके परिचालन का ठेका अडानी समूह को दिया गया है.

बता दें कि सरकार अगले चरण में 20-25 और एयरपोर्ट्स का निजीकरण करने पर विचार कर रही है.

नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा देश के विभिन्न हवाईअड्डों के निजीकरण के फैसले के खिलाफ एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया कर्मचारी यूनियन ने बुधवार को जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन किया और कहा कि यदि सरकार ने इस फैसले को वापस नहीं लिया गया तो यूनियन भूख हड़ताल करेगी.

इंडियन एयरपोर्ट्स कामगार यूनियन के ज्वॉइंट जनरल सेक्रेटरी मंजीत राणा ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि सरकार उन एयरपोर्ट्स का निजीकरण कर रही है, जो एयरपोर्ट अथॉरिटी द्वारा पहले से ही बेहतर रूप से तैयार किए जा चुके हैं. यदि सरकार को एयरपोर्ट्स का निजीकरण करना है तो वह भारत के दूरगामी शहरों (नगालैंड, ओडिशा) और अविकसित एयरपोर्ट्स का विकास करने के लिए इनका संचालन प्राइवेट कम्पनियों को सौपें.

राणा ने कहा, 'जो एयरपोर्ट हमें मुनाफा देते हैं, उनका निजीकरण किया जा रहा है और जो एयरपोर्ट घाटें में हैं. उनकी जिम्मेंदारी एयरपोर्ट अथॉरिटी को सौंपी जा रही है. यदि सरकार ने एयरपोर्ट्स के निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया तो हम देशव्यापी भूख हड़ताल करेंगे और यदि जरूरत पड़ी तो हम कामकाज बंद करके सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी करेंगे.'

ईटीवी भारत से बात करते मंजीत राणा और कांग्रेस नेता उदित राज.

कांग्रेस नेता उदित राज ने ईटीवी भारत से कहा कि सरकार ने कम्पनियों को जनता की कमाई के लिए बनाया था, लेकिन अब सरकार उन्हीं कम्पनियों का निजीकरण कर उनकी आय का माध्यम ही खत्म कर रही है. उन्होंने कहा एयरपोर्ट के निजीकरण के साथ-साथ भारतीय रेल, बीपीसीएल समेत कई अन्य कम्पनियों का भी निजीकरण करने जा रही है.

उन्होंने कहा, 'यह पूंजीपतियों की सरकार है और इसके लिए हम सभी कम्पनियों के पीड़ितों को एक साथ मिलकर एक बड़ा आंदोलन करना होगा, तभी सरकार अपना फैसला बदलेगी.'

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया यूनियन का विरोध इनके द्वारा परिचालित किए जाने वाले उन छह एयरपोर्ट्स के निजीकरण करने के खिलाफ हैं, जिन्हें सरकार से पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत चलाने की अनुमति मिल चुकी है. इनमें अहमदाबाद, तिरुअनंतपुरम, लखनऊ, बेंगलुरु, जयपुर और गुवाहाटी एयरपोर्ट हैं. इनके परिचालन का ठेका अडानी समूह को दिया गया है.

बता दें कि सरकार अगले चरण में 20-25 और एयरपोर्ट्स का निजीकरण करने पर विचार कर रही है.

Intro:नई दिल्ली। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया कर्मचारी यूनियन ने बुधवार को सरकार द्वारा देश के विभिन्न एयरपोर्ट के निजीकरण के फैसले का विरोध किया और कहा कि यदि सरकार द्वारा इस फैसले को वापस नहीं लिया गया तो यह यूनियन भूख हड़ताल करेगी।

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया यूनियन का विरोध एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा परिचालित किए जाने वाले उन 6 हवाईअड्डों के खिलाफ हैं जिन्हें सरकार द्वारा अब पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत चलाने की अनुमति मिल चुकी है। यह 6 एयरपोर्ट- अहमदाबाद तिरुअनंतपुरम लखनऊ बेंगलुरु जयपुर और गुवाहाटी के हैं जिनके परिचालन का ठेका अडानी समूह को मिला है।


Body:इंडियन एयरपोर्ट्स कामगार यूनियन के जॉइंट जनरल सेक्रेटरी मंजीत राणा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि सरकार उन एयरपोर्ट को निजीकरण कर रही है जो एयरपोर्ट अथॉरिटी द्वारा पहले से ही बेहतर रूप से तैयार किए जा चुके हैं, यदि सरकार को एयरपोर्ट्स का निजीकरण करना है तो वह भारत के दूरगामी शहरों के एयरपोर्ट्स का विकास करें और प्राइवेट कंपनियों को संचालन का जिम्मा सौपें। उन्होंने कहा कि जो एयरपोर्ट हमें मुनाफा देते हैं उनका निजीकरण किया जा रहा है वहीं जिन एयरपोर्ट में घाटा है उनकी जिम्मेदारी एयरपोर्ट अथॉरिटी को सौंपी जा रही है।

उन्होंने कहा कि यदि सरकार एयरपोर्ट्स के निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया तो हम देशव्यापी भूख हड़ताल करेंगे और यदि जरूरत पड़ी तो हम कामकाज बंद करके सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी करेंगे।



Conclusion:कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा कि सरकार ने कंपनियों को जनता की गाढ़ी कमाई के लिए बनाया था लेकिन अब सरकार उन्हीं कंपनियों का निजीकरण कर उनकी आय का माध्यम ही खत्म कर रही है। उन्होंने कहा एयरपोर्ट्स के निजीकरण के साथ-साथ भारतीय रेल बीपीसीएल समेत कई अन्य कंपनियों में भी यही व्यवस्था सरकार द्वारा की जा रही है।

उन्होंने कहा कि यह सरकार पूंजीपतियों की सरकार है और इसके लिए हम सभी कंपनियों के पीड़ितों को एक साथ मिलकर एक बड़ा आंदोलन करना होगा तभी सरकार अपना फैसला बदलेगी।

बता दें कि सरकार अगले चरण में 20-25 और एयरपोर्ट्स का निजीकरण करने पर विचार कर रही है।
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