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नए नक्शे पर नेपाल को आपत्ति, भारत बोला- बहकावे में ना आएं

भारत सरकार ने हाल ही में देश का नया राजनीतिक नक्शा जारी किया है. इसको लेकर नेपाल ने कुछ आपत्ति जाहिर की है. उनका मानना है कि भारत ने नेपाल के कुछ हिस्से को भारत में दर्शाया है. हालांकि, भारत सरकार ने इसे खारिज कर दिया है. और कहा है कि किसी को भी बहकावे में नहीं आना चाहिए. क्या है पूरा विवाद, इसे समझें.

पीएम मोदी और ओपी कोली
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Published : Nov 8, 2019, 12:50 PM IST

Updated : Nov 8, 2019, 1:16 PM IST

भारत ने नेपाल की उस आपत्ति को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें उसने भारत द्वारा जारी किए गए नए नक्शे पर आपत्ति जताई थी. नेपाल ने कालापानी (जगह) को भारत में दिखाए जाने पर नाराजगी जाहिर की है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने साफ कर दिया है कि नेपाल के परिप्रेक्ष्य में नक्शे को लेकर कोई बदलाव नहीं किया गया है.

आपको बता दें कि रविवार को गृह मंत्रालय ने भारत का नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था. भारत ने इस नक्शे में दो नए केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दर्शाया है. नए नक्शे में कालापानी और लिपुलेख दोनों को भारतीय सीमा में दर्शाया गया है. काठमांडू इस क्षेत्र पर अपना हक जताता है.

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नक्शा में दर्शाया गया हिस्सा
नेपाली सोशल मीडिया पर हंगामा मचने के बाद नेपाल के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी. उनके अनुसार कालापानी नेपाल का अभिन्न हिस्सा है. उनकी ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दोनों देशों के विदेश सचिवों को इस विषय पर बैठकर बातचीत करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि नेपाल अपनी अंतरराष्ट्रीय सीमा को सुरक्षित रखने के प्रति दृढ़संकल्प है. उनके अनुसार दोनों पड़ोसी देशों को अपने ऐतिहासिक दस्तावेजों और पुख्ता सबूतों के आधार पर कूटनीति के रास्ते इसका समाधान निकालना चाहिए. भारत ने नेपाल की आपत्ति को पूरी तरह से खारिज कर दिया. भारत ने कहा कि हमारा नक्शा बिल्कुल सही है. हमारा मैप भारत की संप्रभु सीमा को दर्शाता है. नए नक्शे में नेपाल से लगी सीमा को पहले की तरह ही दिखाया गया है. हमने उसकी कोई समीक्षा नहीं की है. उन्होंने कहा कि नेपाल के साथ सीमा निर्धारण पर बातचीत करने के लिए पहले से प्रक्रिया बनी हुई है. हम उसमें अपनी पूरी आस्था रखते हैं. उसके प्रति वचनबद्ध हैं. हम पड़ोसी देश (नेपाल) से दोस्ताना तरीके से इस पर बातचीत करते रहे हैं. दरअसल, नेपाल का मानना है कि कालापानी, लिपुलेख, लिंफ्यूधीरा उसका हिस्सा है. उनके अनुसार नेपाल सर्वे विभाग इस हिस्से को अपने नक्शे में दिखाता रहा है. यह नेपाल के लिए एक अति संवेदनशील मुद्दा है.
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नेपाल की आपत्ति
रवीश कुमार ने बिना किसी देश का नाम लिए ही कहा कि हमे किसी और के बहकावे में नहीं आना चाहिए. और किसी को भी इसका फायदा उठाने नहीं देना चाहिए. रवीश कुमार ने कहा कि दोनों देशों को एक दूसरे के प्रति संवेदनशीलता का ख्याल रखना चाहिए. नेपाल ने मंगलवार को कहा था कि वह इस मामले में एक तरफा निर्णय स्वीकार नहीं करेगा.इस मुद्दे पर नेपाल की सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियों ने सोशल मीडिया पर तीखा जवाब दिया. मंगलवार को नेपाल की आपत्ति के बाद नेपाली कांग्रेस नेता गगन थापा ने ट्वीट किया. और विदेश मंत्री ग्वाली से इस मुद्दे पर राजनीतिक शक्तियों को एकट्ठा करने को कहा है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि नेपाल के पीएम ओली जल्द ही सभी इस मुद्दे पर एक साथ लाएंगे और भारत को इस पर कार्रवाई के लिए कहेंगे.
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गगन थापा का ट्वीट
नेपाल के एक स्थानीय पत्रकार और लेखक संजीव शाक्य ने आगाह किया है कि यदि समय रहते विवाद को दूर नहीं किया गया, तो 2015 में आर्थिक नाकेबंदी जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है. हालांकि, भारत का आधिकारिक तौर पर मानना रहा है कि तब मधेशियों के आंदोलन की वजह से नाकेबंदी हुई थी, ना कि भारत सरकार की वजह से.
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संजीव शाक्य का ट्वीट
(स्मिता शर्मा)

भारत ने नेपाल की उस आपत्ति को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें उसने भारत द्वारा जारी किए गए नए नक्शे पर आपत्ति जताई थी. नेपाल ने कालापानी (जगह) को भारत में दिखाए जाने पर नाराजगी जाहिर की है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने साफ कर दिया है कि नेपाल के परिप्रेक्ष्य में नक्शे को लेकर कोई बदलाव नहीं किया गया है.

आपको बता दें कि रविवार को गृह मंत्रालय ने भारत का नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था. भारत ने इस नक्शे में दो नए केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दर्शाया है. नए नक्शे में कालापानी और लिपुलेख दोनों को भारतीय सीमा में दर्शाया गया है. काठमांडू इस क्षेत्र पर अपना हक जताता है.

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नक्शा में दर्शाया गया हिस्सा
नेपाली सोशल मीडिया पर हंगामा मचने के बाद नेपाल के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी. उनके अनुसार कालापानी नेपाल का अभिन्न हिस्सा है. उनकी ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दोनों देशों के विदेश सचिवों को इस विषय पर बैठकर बातचीत करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि नेपाल अपनी अंतरराष्ट्रीय सीमा को सुरक्षित रखने के प्रति दृढ़संकल्प है. उनके अनुसार दोनों पड़ोसी देशों को अपने ऐतिहासिक दस्तावेजों और पुख्ता सबूतों के आधार पर कूटनीति के रास्ते इसका समाधान निकालना चाहिए. भारत ने नेपाल की आपत्ति को पूरी तरह से खारिज कर दिया. भारत ने कहा कि हमारा नक्शा बिल्कुल सही है. हमारा मैप भारत की संप्रभु सीमा को दर्शाता है. नए नक्शे में नेपाल से लगी सीमा को पहले की तरह ही दिखाया गया है. हमने उसकी कोई समीक्षा नहीं की है. उन्होंने कहा कि नेपाल के साथ सीमा निर्धारण पर बातचीत करने के लिए पहले से प्रक्रिया बनी हुई है. हम उसमें अपनी पूरी आस्था रखते हैं. उसके प्रति वचनबद्ध हैं. हम पड़ोसी देश (नेपाल) से दोस्ताना तरीके से इस पर बातचीत करते रहे हैं. दरअसल, नेपाल का मानना है कि कालापानी, लिपुलेख, लिंफ्यूधीरा उसका हिस्सा है. उनके अनुसार नेपाल सर्वे विभाग इस हिस्से को अपने नक्शे में दिखाता रहा है. यह नेपाल के लिए एक अति संवेदनशील मुद्दा है.
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नेपाल की आपत्ति
रवीश कुमार ने बिना किसी देश का नाम लिए ही कहा कि हमे किसी और के बहकावे में नहीं आना चाहिए. और किसी को भी इसका फायदा उठाने नहीं देना चाहिए. रवीश कुमार ने कहा कि दोनों देशों को एक दूसरे के प्रति संवेदनशीलता का ख्याल रखना चाहिए. नेपाल ने मंगलवार को कहा था कि वह इस मामले में एक तरफा निर्णय स्वीकार नहीं करेगा.इस मुद्दे पर नेपाल की सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियों ने सोशल मीडिया पर तीखा जवाब दिया. मंगलवार को नेपाल की आपत्ति के बाद नेपाली कांग्रेस नेता गगन थापा ने ट्वीट किया. और विदेश मंत्री ग्वाली से इस मुद्दे पर राजनीतिक शक्तियों को एकट्ठा करने को कहा है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि नेपाल के पीएम ओली जल्द ही सभी इस मुद्दे पर एक साथ लाएंगे और भारत को इस पर कार्रवाई के लिए कहेंगे.
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गगन थापा का ट्वीट
नेपाल के एक स्थानीय पत्रकार और लेखक संजीव शाक्य ने आगाह किया है कि यदि समय रहते विवाद को दूर नहीं किया गया, तो 2015 में आर्थिक नाकेबंदी जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है. हालांकि, भारत का आधिकारिक तौर पर मानना रहा है कि तब मधेशियों के आंदोलन की वजह से नाकेबंदी हुई थी, ना कि भारत सरकार की वजह से.
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संजीव शाक्य का ट्वीट
(स्मिता शर्मा)
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भारत सरकार ने हाल ही में देश का नया राजनीतिक नक्शा जारी किया है. इसको लेकर नेपाल ने कुछ आपत्ति जाहिर की है. उनका मानना है कि भारत ने नेपाल के कुछ हिस्से को भारत में दर्शाया है. हालांकि, भारत सरकार ने इसे खारिज कर दिया है. और कहा है कि किसी को भी बहकावे में नहीं आना चाहिए. क्या है पूरा विवाद, इसे समझें. 





नए नक्शे पर नेपाल को आपत्ति, भारत बोला- बहकावे में ना आएं

भारत ने नेपाल की उस आपत्ति को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें उसने भारत द्वारा जारी किए गए नए नक्शे पर आपत्ति जताई थी. नेपाल ने कालापानी (जगह) को भारत में दिखाए जाने पर नाराजगी जाहिर की है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने साफ कर दिया है कि नेपाल के परिप्रेक्ष्य में नक्शे को लेकर कोई बदलाव नहीं किया गया है. 

आपको बता दें कि रविवार को गृह मंत्रालय ने भारत का नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था. भारत ने इस नक्शे में दो नए केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दर्शाया है. नए नक्शे में कालापानी और लिपुलेख दोनों को भारतीय सीमा में दर्शाया गया है. काठमांडू इस क्षेत्र पर अपना हक जताता है. 

नेपाली सोशल मीडिया पर हंगामा मचने के बाद नेपाल के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी. उनके अनुसार कालापानी नेपाल का अभिन्न हिस्सा है. उनकी ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दोनों देशों के विदेश सचिवों को इस विषय पर बैठकर बातचीत करनी चाहिए.  उन्होंने कहा कि नेपाल अपनी अंतरराष्ट्रीय सीमा को सुरक्षित रखने के प्रति दृढ़संकल्प है. उनके अनुसार दोनों पड़ोसी देशों को अपने ऐतिहासिक दस्तावेजों और पुख्ता सबूतों के आधार पर कूटनीति के रास्ते इसका समाधान निकालना चाहिए. 

भारत ने नेपाल की आपत्ति को पूरी तरह से खारिज कर दिया. भारत ने कहा कि हमारा नक्शा बिल्कुल सही है. हमारा मैप भारत की संप्रभु सीमा को दर्शाता है. नए नक्शे में नेपाल से लगी सीमा को पहले की तरह ही दिखाया गया है. हमने उसकी कोई समीक्षा नहीं की है. उन्होंने कहा कि नेपाल के साथ सीमा निर्धारण पर बातचीत करने के लिए पहले से प्रक्रिया बनी हुई है. हम उसमें अपनी पूरी आस्था रखते हैं. उसके प्रति वचनबद्ध हैं. हम पड़ोसी देश (नेपाल) से दोस्ताना तरीके से इस पर बातचीत करते रहे हैं.  

दरअसल, नेपाल का मानना है कि कालापानी, लिपुलेख, लिंफ्यूधीरा उसका हिस्सा है. उनके अनुसार नेपाल सर्वे विभाग इस हिस्से को अपने नक्शे में दिखाता रहा है. यह नेपाल के लिए एक अति संवेदनशील मुद्दा है.

रवीश कुमार ने बिना किसी देश का नाम लिए ही कहा कि हमे किसी और के बहकावे में नहीं आना चाहिए. और किसी को भी इसका फायदा उठाने नहीं देना चाहिए.  

रवीश कुमार ने कहा कि दोनों देशों को एक दूसरे के प्रति संवेदनशीलता का ख्याल रखना चाहिए. 

नेपाल ने मंगलवार को कहा था कि वह इस मामले में एक तरफा निर्णय स्वीकार नहीं करेगा.

इस मुद्दे पर नेपाल की सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियों ने सोशल मीडिया पर तीखा जवाब दिया. मंगलवार को नेपाल की आपत्ति के बाद नेपाली कांग्रेस नेता गगन थापा ने ट्वीट किया. और विदेश मंत्री ग्वाली से इस मुद्दे पर राजनीतिक शक्तियों को एकट्ठा करने को कहा है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि नेपाल के पीएम ओली जल्द ही सभी इस मुद्दे पर एक साथ लाएंगे और भारत को इस पर कार्रवाई के लिए कहेंगे. 

नेपाल के एक स्थानीय पत्रकार और लेखक संजीव शाक्य ने आगाह किया है कि यदि समय रहते विवाद को दूर नहीं किया गया, तो 2015 में आर्थिक नाकेबंदी जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है. हालांकि, भारत का आधिकारिक तौर पर मानना रहा है कि तब मधेशियों के आंदोलन की वजह से नाकेबंदी हुई थी, ना कि भारत सरकार की वजह से. 

(स्मिता शर्मा) 

 


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Last Updated : Nov 8, 2019, 1:16 PM IST
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