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वैश्विक नवप्रवर्तन सूचकांक में भारत 48वें स्थान पर - डब्ल्यूआईपीओ

भारत वैश्विक नवप्रवर्तन सूचकांक में पहली बार शीर्ष 50 देशों के समूह में शामिल हुआ है. भारत इस सूची में 4 पायदान के सुधार के साथ 48वें स्थान पर पहुंच गया है. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

वैश्विक नवप्रवर्तन सूचकांक
वैश्विक नवप्रवर्तन सूचकांक
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Published : Sep 2, 2020, 10:54 PM IST

नई दिल्ली : भारत वैश्विक नवप्रवर्तन सूचकांक में पहली बार शीर्ष 50 देशों के समूह में शामिल हुआ है. भारत इस सूची में 4 पायदान के सुधार के साथ 48वें स्थान पर पहुंच गया और मध्य तथा दक्षिण पूर्व एशिया में शीर्ष स्थान को बरकरार रखा है.

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ), कॉरनेल विश्वविद्यालय और इनसीड बिजनेस स्कूल ने बुधवार को संयुक्त रूप से वैश्विक नवप्रवर्तन सूचकांक (जीआईआई) सूची जारी की.

सूची से पता चलता है कि शीर्ष क्रम में बदलाव नहीं है. इसमें वे देश बरकरार हैं, जो पहले से इस मामले में अव्वल रहे हैं. लेकिन कुछ बदलाव भी हो रहे हैं और यह पूर्व की ओर है. चीन, भारत, फिलीपींस और वियतनाम जैसे एशियाई अर्थव्यवस्थाएं साल-दर-साल नवप्रर्तन के मामले में काफी ऊपर आ रही हैं.

डब्ल्यूआईपीओ ने एक बयान में कहा कि नवप्रवर्तन रैंकिंग में स्विट्जरलैंड, स्वीडन, अमेरिका और ब्रिटेन तथा नीदरलैंड शीर्ष स्थानों पर हैं. शीर्ष 10 स्थानों पर उच्च आय वाले देशों का दबदबा है.

बयान में कहा गया है कि भारत दुनिया में तीसरा सर्वाधिक नवप्रवर्तन करने वाला निम्न मध्यम आय वाला देश है. उपलब्ध कई संकेतकों से यह जानकारी मिलती है. वैश्विक नवप्रवर्तन सूचकांक (जीआईआई) के विभिन्न क्षेत्रों में सुधार हुआ है.

भारत आईसीटी, (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) सेवा निर्यात, सरकारी ऑनलाइन सेवाएं, विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में स्नातकों और अनुसंधान एवं विकास गहन वैश्विक कंपनियां जैसे संकेतकों में शीर्ष 15 देशों में शामिल है.

यह भी पढ़ें- विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति के बारे में फैलाएं जागरूकता : यूजीसी

बयान के अनुसार इसका श्रेय बाम्बे और दिल्ली में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों, बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान और उसके शीर्ष वैज्ञानिक प्रकाशनों को जाता है. भारत उच्च नवप्रवर्तन गुणवत्तता के साथ निम्न मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था है.

रैंकिंग तैयार करने के लिये कुल 131 देशों में नवप्रवर्तन की स्थिति का विश्लेषण किया गया.

नई दिल्ली : भारत वैश्विक नवप्रवर्तन सूचकांक में पहली बार शीर्ष 50 देशों के समूह में शामिल हुआ है. भारत इस सूची में 4 पायदान के सुधार के साथ 48वें स्थान पर पहुंच गया और मध्य तथा दक्षिण पूर्व एशिया में शीर्ष स्थान को बरकरार रखा है.

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ), कॉरनेल विश्वविद्यालय और इनसीड बिजनेस स्कूल ने बुधवार को संयुक्त रूप से वैश्विक नवप्रवर्तन सूचकांक (जीआईआई) सूची जारी की.

सूची से पता चलता है कि शीर्ष क्रम में बदलाव नहीं है. इसमें वे देश बरकरार हैं, जो पहले से इस मामले में अव्वल रहे हैं. लेकिन कुछ बदलाव भी हो रहे हैं और यह पूर्व की ओर है. चीन, भारत, फिलीपींस और वियतनाम जैसे एशियाई अर्थव्यवस्थाएं साल-दर-साल नवप्रर्तन के मामले में काफी ऊपर आ रही हैं.

डब्ल्यूआईपीओ ने एक बयान में कहा कि नवप्रवर्तन रैंकिंग में स्विट्जरलैंड, स्वीडन, अमेरिका और ब्रिटेन तथा नीदरलैंड शीर्ष स्थानों पर हैं. शीर्ष 10 स्थानों पर उच्च आय वाले देशों का दबदबा है.

बयान में कहा गया है कि भारत दुनिया में तीसरा सर्वाधिक नवप्रवर्तन करने वाला निम्न मध्यम आय वाला देश है. उपलब्ध कई संकेतकों से यह जानकारी मिलती है. वैश्विक नवप्रवर्तन सूचकांक (जीआईआई) के विभिन्न क्षेत्रों में सुधार हुआ है.

भारत आईसीटी, (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) सेवा निर्यात, सरकारी ऑनलाइन सेवाएं, विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में स्नातकों और अनुसंधान एवं विकास गहन वैश्विक कंपनियां जैसे संकेतकों में शीर्ष 15 देशों में शामिल है.

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बयान के अनुसार इसका श्रेय बाम्बे और दिल्ली में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों, बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान और उसके शीर्ष वैज्ञानिक प्रकाशनों को जाता है. भारत उच्च नवप्रवर्तन गुणवत्तता के साथ निम्न मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था है.

रैंकिंग तैयार करने के लिये कुल 131 देशों में नवप्रवर्तन की स्थिति का विश्लेषण किया गया.

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