बीजिंग/नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच ताजा टकराव के बाद बीजिंग ने पारस्परिक चर्चा के माध्यम से आसन्न भीषण ठंड के चलते सैनिकों की जल्द से जल्द वापसी की मंगलवार को उम्मीद जताई.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान ने भारत और चीन द्वारा एक-दूसरे पर सोमवार को पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के पास हवा में गोलियां चलाने का आरोप लगाए जाने के कुछ घंटे बाद सैनिकों की वापसी की यह उम्मीद जताई.
भारतीय सेना ने कहा कि चीनी सैनिकों ने सोमवार को हवा में गोलियां चलाईं और पूर्वी लद्दाख में एक भारतीय ठिकाने के पास आने की कोशिश की. वहीं, चीन की सेना ने इस बात का खंडन किया कि उसने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एसलएसी) पार करने की कोशिश की.
चीन की सेना ने मंगलवार देर रात आरोप लगाया था कि भारतीय सैनिकों ने एलएसी पार की और पैंगोंग झील के पास आक्रामक ढंग से हवा में गोलीबारी की. इसके बाद भारतीय सेना ने इसका खंडन किया और कहा कि चीनी सैनिकों ने ही हवा में गोलियां चलाईं और एक भारतीय ठिकाने के पास आने की कोशिश की.
एलएसी पर गोलीबारी वहां के गंभीर हालात का संकेत है क्योंकि इससे पहले 1975 में वहां गोलीबारी हुई थी.
मीडिया ब्रीफिंग में यथास्थिति की बहाली के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता झाओ ने सैनिकों की वापसी के बारे में बात कही.
उन्होंने कहा, आप अच्छा सोचें. हम सभी उम्मीद करते हैं कि हमारे सैनिक अपने शिविर क्षेत्रों में लौटें तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में कोई और टकराव न हो.
झाओ ने कहा, आप जानते हैं कि उस जगह बहुत ही बुरी प्राकृतिक स्थिति है और यह चार हजार मीटर की ऊंचाई पर है.
उन्होंने कहा, ठंड में इंसानों का वहां रहना ठीक नहीं है. इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों के जरिए तथा जमीनी वार्ता के जरिए हम सैनिकों की जल्द से जल्द वापसी का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं और सहमति पर पहुंच सकते हैं.
भारत पहले ही एलएसी से पूर्ण वापसी और तनाव खत्म करने के लिए मिलकर काम करने का चीन से आह्वान कर चुका है और उसने कहा है कि द्विपक्षीय संबंध सीमा की स्थिति पर निर्भर करेंगे.
सीमा पर चार महीने से चले आ रहे तनाव के बीच यह पहली बार है जब चीन ने पर्वतीय लद्दाख क्षेत्र में भीषण ठंड के चलते बेहद विपरीत परिस्थतियों को आधिकारिक रूप से माना है. इस क्षेत्र में तापमान शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है और यह स्थिति तनाव के चलते क्षेत्र में तैनात किए गए दोनों देशों के हजारों सैनिकों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है.
क्षेत्र से आ रही खबरों में कहा गया है कि दोनों देशों ने क्षेत्र में लंबे समय तक अपने सैनिकों की तैनाती के प्रबंध किए हैं, खासकर पैंगोंग झील क्षेत्र में, जहां दोनों देशों की सेनाएं भारी अस्त्र-शस्त्रों के साथ एक-दूसरे के आमने-सामने खड़ी हैं.
झाओ ने अपनी सेना के सुर में सुर मिलाते हुए सोमवार को हवा में हुई गोलीबारी का आरोप भारतीय सेना पर लगाने की कोशिश की.
भारतीय सेना के इन आरोपों के बारे में पूछे जाने पर कि चीनी सेना ने उकसावे वाली हरकत पहले की, झाओ ने चीनी सेना की पश्चिमी थिएटर कमान के प्रवक्ता का सोमवार को लगाया गया वह आरोप पढ़ा जिसमें कहा गया है कि भारतीय सैनिकों ने अवैध रूप से एलएसी पार की और चीन के सीमा प्रहरियों को चेतावनी देने के लिए ‘‘आक्रामक ढंग से हवा में गोलियां चलाईं’’ तथा चीन के सैनिकों ने जवाबी कदम उठाया.
झाओ ने कहा, मैं इस घटना को लेकर जोर देकर कहना चाहता हूं कि पहले भारतीय पक्ष ने चीनी सैनिकों पर गोली चलाई. 1975 के बाद से यह पहली बार है जब गोलीबारी से शांति में खलल डाला गया है. चीनी पक्ष हमेशा जोर देता है कि दोनों पक्षों को मतभेदों को वार्ता के जरिए शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाना चाहिए. टकराव से किसी को भी लाभ नहीं होगा.
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चर्चा और चीनी सैनिकों के जवाबी कदम के प्रकार के बारे में पूछे जाने पर झाओ ने कहा, कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों से हमने मजबूती से अपना पक्ष रखा है और भारतीय पक्ष से कहा है कि वह तत्काल अपनी खतरनाक गतिविधियां रोके, सीमा पार करने वाले लोगों को तत्काल वापस बुलाए और सीमा पर तैनात अपने सैनिकों तथा उन सैनिकों को अनुशासन में रखे जिन्होंने चेतावनी के रूप में गोलीबारी की और फिर सुनिश्चित करे कि इस तरह की घटना दोबारा नहीं होगी.
यह पूछे जाने पर कि क्या चीनी सेना ने जवाबी गोलीबारी की, उन्होंने कहा, फिलहाल मेरे पास आपके लिए कोई और जानकारी नहीं है. मेरा मानना है कि मैंने इस पर चीन की स्थिति स्पष्ट कर दी है.