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जानें, क्यों भारत-चीन सैनिकों को मैकमोहन रेखा पर कर रहे हैं तैनात

पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन के बीच बैठकों और बातचीत का दौर जारी है. इसी बीच दोनों देश मैकमोहन रेखा पर सैन्य बल को जुटा रहे हैं. सूत्रों के अनुसार चीन की पीएलए अपने सैनिकों को बड़े पैमाने पर तैनात कर रहा है. इसके मद्देनजर भारत भी अपने सैनिकों की तैनाती कर रहा है. पढ़ें वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट....

India China mobilise forces towards McMohan Line in Arunachal amid limbo in Ladakh talks
भारत-चीन सैनिकों को मैकमोहन रेखा पर कर रहे हैं तैनात
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Published : Jul 22, 2020, 10:43 PM IST

Updated : Jul 23, 2020, 3:00 PM IST

नई दिल्ली : वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सीमा पर जारी तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच बैठकें और बातचीत का दौर लगातार जारी है. इसी बीच भारत अरुणाचल प्रदेश की पूर्वी सीमा (मैकमोहन रेखा) पर सैनिकों और युद्ध उपकरणों की तैनाती कर रहा है, जो इस क्षेत्र में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की तैनाती दर्शा रही है.

सूत्रों के अनुसार चीन की पीएलए अपने सैनिकों को बड़े पैमाने पर तैनात कर रहा है. इसके मद्देनजर भारत भी अपने सैनिकों की तैनाती कर रहा है.

इस वर्ष अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना की आवाजाही बड़े स्तर पर हो रही है, यह आवाजाही अक्टूबर तक चलेगी. इस आवाजाही का कारण कैम्पन सीजन है, जो अन्य वर्षों की तुलना में बड़े स्तर पर हो रहा है.

उत्तर-पूर्वी सीमा पर चीन सैनिकों की गतिविधियां बढ़ी हुई है. इतनी ही नहीं चीनी सेना ने सीमा पर बार पेट्रोलिंग भी बढ़ा दी है.

गौरतलब है कि चीन ने मैकमोहन रेखा को स्वीकार नहीं करता है. इतना ही नहीं चीन अरुणाचल प्रदेश में 65,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का दावा भी करता है.

अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पीएलए सैनिकों आवाजाही के लिए दो पारंपरिक प्रवेश बिंदु हैं. एक पश्चिम में तवांग और दूसरा पूर्व में वालोंग के है. संयोग से, यह दोनों स्थान 1962 के संघर्ष में चीनियों के लिए केंद्र बिंदु थे. अन्यथा कठिन भूगोलिक दृष्टि के कारण पर्वतीय राज्य में चीन की पहुंच बहुत सीमित होती.

बता दें, अरुणाचल प्रदेश की 25 जिलों की सीमाओं में से 13 जिलों सीमा की भूटान, चीन और म्यांमार के साथ लगती हैं.

पूर्वी लद्दाख के पार पश्चिमी सीमा की तुलना में, चीन यहां पर बेहतर बुनियादी सुविधाओं और रसद के अलावा सैन्य दृष्टिकोण से ऊंचाई के स्थान पर काबिज है और इसलिए भारतीय सेना भी सैनिकों की तैनाती कर रही है. भारतीय सेना एक और मोर्चा खोलने की इच्छा हो सकती है.

अरुणाचल में बड़ी संख्या सैनिकों की लंबे समय तैनाती के लिए एक बड़ी वित्तीय लगात की आवश्यकता होगी. इसका प्रभाव कोरोना संकट से बुरी तरह से प्रभावित भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है.

एयर डिफेंस सिस्टम और लंबी रेंज वाले ऑर्टिलरी हथियार के अलावा भारत ने एलएसी पर ने तकरीबन एक लाख सैनिकों को तैनात किया है. इतना ही नहीं चीन की पीएल ने भी अपने सैनिकों को एलएसी पर तैनात किया है. हालांकि दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव कम करने के लिए बैठकें और बातचीत हो रही हैं.

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के साथ सीमा पर तनवापूर्ण हालात के बीच बुधवार को वायुसेना की सामरिक क्षमताओं और अग्रिम ठिकानों पर तैनाती की समीक्षा की. सिंह ने वायुसेना से यह भी आग्रह किया कि चीन के साथ सीमा पर किसी भी स्थिति से निबटने के लिए तैयार रहें.

सिंह ने नई दिल्ली में वायुसेना कमांडरों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया, जो बुधवार को शुरू हुआ. मंत्री ने पिछले कुछ महीनों के दौरान अपनी सामरिक क्षमता बढ़ाने में आईएएफ के सक्रिय कदम की सराहना की.

उन्होंने कहा कि आईएएफ ने बालाकोट में जिस पेशेवर तरीके से एयर स्ट्राइक की थी और पूर्वी लद्दाख में मौजूदा हालात के जवाब में अग्रिम ठिकानों पर आईएएफ ने जिस तरह त्वरित तैनाती की, उससे देश के दुश्मनों को एक कड़ा संदेश गया है.

सिंह ने कहा कि संप्रभुता की रक्षा का राष्ट्र का संकल्प उस विश्वास पर टिका है, जो देश के लोग अपने सशस्त्र बलों की क्षमता पर करते हैं. उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों को हटाने के लिए जारी प्रयासों का जिक्र किया और आईएएफ से तैयार रहने का आग्रह किया.

चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा मानते हुए उस पर अपना दावा करता है और किसी भी भारतीय नेता के यहां आने पर आपत्ति जताता है. इतना ही नहीं 20 फरवरी को चीनी विदेश मंत्रालय ने गृहमंत्री अमित शाह की अरुणाचल यात्रा का विरोध किया था.

चीनी विदेशी मंत्रालय ने कहा था कि चीन की सरकार ने तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी और वह चीन के तिब्बती क्षेत्र के दक्षिणी हिस्से में भारतीय नेता की यात्रा का विरोध करता है, क्योंकि इसने चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन किया है, सीमावर्ती क्षेत्रों की स्थिरता को कमतर किया है, आपसी राजनीतिक विश्वास पर प्रहार किया है और प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन किया है.

बता दें कि पिछले महीने 15 जून को गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इस झड़प में 20 जवान शहीद हो गए थे. इस हिंसक के झड़प में चीन के भी 43 सैनिक मारे गए थे. हालांकि चीन ने इसकी आधिकारिक पुष्टि अब तक नहीं की है.

नई दिल्ली : वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सीमा पर जारी तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच बैठकें और बातचीत का दौर लगातार जारी है. इसी बीच भारत अरुणाचल प्रदेश की पूर्वी सीमा (मैकमोहन रेखा) पर सैनिकों और युद्ध उपकरणों की तैनाती कर रहा है, जो इस क्षेत्र में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की तैनाती दर्शा रही है.

सूत्रों के अनुसार चीन की पीएलए अपने सैनिकों को बड़े पैमाने पर तैनात कर रहा है. इसके मद्देनजर भारत भी अपने सैनिकों की तैनाती कर रहा है.

इस वर्ष अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना की आवाजाही बड़े स्तर पर हो रही है, यह आवाजाही अक्टूबर तक चलेगी. इस आवाजाही का कारण कैम्पन सीजन है, जो अन्य वर्षों की तुलना में बड़े स्तर पर हो रहा है.

उत्तर-पूर्वी सीमा पर चीन सैनिकों की गतिविधियां बढ़ी हुई है. इतनी ही नहीं चीनी सेना ने सीमा पर बार पेट्रोलिंग भी बढ़ा दी है.

गौरतलब है कि चीन ने मैकमोहन रेखा को स्वीकार नहीं करता है. इतना ही नहीं चीन अरुणाचल प्रदेश में 65,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का दावा भी करता है.

अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पीएलए सैनिकों आवाजाही के लिए दो पारंपरिक प्रवेश बिंदु हैं. एक पश्चिम में तवांग और दूसरा पूर्व में वालोंग के है. संयोग से, यह दोनों स्थान 1962 के संघर्ष में चीनियों के लिए केंद्र बिंदु थे. अन्यथा कठिन भूगोलिक दृष्टि के कारण पर्वतीय राज्य में चीन की पहुंच बहुत सीमित होती.

बता दें, अरुणाचल प्रदेश की 25 जिलों की सीमाओं में से 13 जिलों सीमा की भूटान, चीन और म्यांमार के साथ लगती हैं.

पूर्वी लद्दाख के पार पश्चिमी सीमा की तुलना में, चीन यहां पर बेहतर बुनियादी सुविधाओं और रसद के अलावा सैन्य दृष्टिकोण से ऊंचाई के स्थान पर काबिज है और इसलिए भारतीय सेना भी सैनिकों की तैनाती कर रही है. भारतीय सेना एक और मोर्चा खोलने की इच्छा हो सकती है.

अरुणाचल में बड़ी संख्या सैनिकों की लंबे समय तैनाती के लिए एक बड़ी वित्तीय लगात की आवश्यकता होगी. इसका प्रभाव कोरोना संकट से बुरी तरह से प्रभावित भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है.

एयर डिफेंस सिस्टम और लंबी रेंज वाले ऑर्टिलरी हथियार के अलावा भारत ने एलएसी पर ने तकरीबन एक लाख सैनिकों को तैनात किया है. इतना ही नहीं चीन की पीएल ने भी अपने सैनिकों को एलएसी पर तैनात किया है. हालांकि दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव कम करने के लिए बैठकें और बातचीत हो रही हैं.

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के साथ सीमा पर तनवापूर्ण हालात के बीच बुधवार को वायुसेना की सामरिक क्षमताओं और अग्रिम ठिकानों पर तैनाती की समीक्षा की. सिंह ने वायुसेना से यह भी आग्रह किया कि चीन के साथ सीमा पर किसी भी स्थिति से निबटने के लिए तैयार रहें.

सिंह ने नई दिल्ली में वायुसेना कमांडरों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया, जो बुधवार को शुरू हुआ. मंत्री ने पिछले कुछ महीनों के दौरान अपनी सामरिक क्षमता बढ़ाने में आईएएफ के सक्रिय कदम की सराहना की.

उन्होंने कहा कि आईएएफ ने बालाकोट में जिस पेशेवर तरीके से एयर स्ट्राइक की थी और पूर्वी लद्दाख में मौजूदा हालात के जवाब में अग्रिम ठिकानों पर आईएएफ ने जिस तरह त्वरित तैनाती की, उससे देश के दुश्मनों को एक कड़ा संदेश गया है.

सिंह ने कहा कि संप्रभुता की रक्षा का राष्ट्र का संकल्प उस विश्वास पर टिका है, जो देश के लोग अपने सशस्त्र बलों की क्षमता पर करते हैं. उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों को हटाने के लिए जारी प्रयासों का जिक्र किया और आईएएफ से तैयार रहने का आग्रह किया.

चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा मानते हुए उस पर अपना दावा करता है और किसी भी भारतीय नेता के यहां आने पर आपत्ति जताता है. इतना ही नहीं 20 फरवरी को चीनी विदेश मंत्रालय ने गृहमंत्री अमित शाह की अरुणाचल यात्रा का विरोध किया था.

चीनी विदेशी मंत्रालय ने कहा था कि चीन की सरकार ने तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी और वह चीन के तिब्बती क्षेत्र के दक्षिणी हिस्से में भारतीय नेता की यात्रा का विरोध करता है, क्योंकि इसने चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन किया है, सीमावर्ती क्षेत्रों की स्थिरता को कमतर किया है, आपसी राजनीतिक विश्वास पर प्रहार किया है और प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन किया है.

बता दें कि पिछले महीने 15 जून को गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इस झड़प में 20 जवान शहीद हो गए थे. इस हिंसक के झड़प में चीन के भी 43 सैनिक मारे गए थे. हालांकि चीन ने इसकी आधिकारिक पुष्टि अब तक नहीं की है.

Last Updated : Jul 23, 2020, 3:00 PM IST
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