संयुक्त राष्ट्र : दुनिया भर में पिछले 50 साल में 'लापता हुईं' 14 करोड़ 26 लाख महिलाओं में से चार करोड़ 58 लाख महिलाएं भारत की हैं. संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में कहा कि 'लापता महिलाओं' की संख्या चीन और भारत में सर्वाधिक है.
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) द्वारा मंगलवार को जारी ‘वैश्विक आबादी की स्थिति 2020’ रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 50 वर्षों में लापता हुईं महिलाओं की संख्या दोगुनी हो गई है. यह संख्या 1970 में छह करोड़ 10 लाख थी और 2020 में बढ़कर 14 करोड़ 26 लाख हो गई है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में 2020 तक चार करोड़ 58 लाख और चीन में सात करोड़ 23 लाख महिलाएं लापता हुई हैं.
रिपोर्ट में प्रसव के पूर्व या प्रसव के बाद लिंग निर्धारण के संचयी प्रभाव के कारण लापता लड़कियों को भी इसमें शामिल किया गया है.
लापता महिलाएं | वार्षिक महिला मृत्यु दर | 2020 में जन्म लेते लापता हुईं बच्चियां |
विश्व में - 14.26 करोड़ | विश्व में - 17.1 लाख | विश्व में - 15 लाख |
भारत में - 4.58 करोड़ | भारत में - 3.60 लाख | भारत में - 5.90 लाख |
मैरिज स्क्वीज
इस स्थिति में पुरुषों की संख्या महिलाओं की तुलना में ज्यादा होती है. यह अंतर कुछ देशों में पहले से ही है और यह निम्न आय वर्ग के लोगों में देखा गया है.
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि मैरिज स्क्वीज चीन में 2030 और 2055 के बीच अपने चरम पर होगी. वहीं भारत में 2055 में चरम पर पहुंच जाएगा. पुरुषों की संख्या जो 50 साल की उम्र में अब भी एकल हैं, चीन और भारत में 2050 के बाद क्रमशः 15 और 10 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है. हाल के शोध ने पहले ही चीन और भारत में अनैच्छिक रूप से एकल पुरुषों की बढ़ती संख्या देखी है.
बाल विवाह
बाल विवाह दुनिया के कई हिस्सों में एक बड़ी सामाजिक चुनौती है, लेकिन यह मुद्दा दक्षिण एशिया, उप-सहारा अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरेबियन के कुछ हिस्सों में सबसे अधिक गंभीर है.
हालांकि दक्षिण एशियाई देशों की सूची में भारत में बाल विवाह में 50 प्रतिशत की कमी आई है.
यूएनएफपीए के कार्यकारी निदेशक डॉ. नतालिया कनीम का कहना है कि लड़कियों के खिलाफ हानिकारक प्रथाएं सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं जिसकी वजह से उन्हें पूर्ण विकास का मौका नहीं मिलता.