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दुनियाभर में लापता हुई महिलाओं में से 4.58 करोड़ महिलाएं भारत की : संयुक्त राष्ट्र - भारत में लिंग चयन

दुनिया भर में पिछले 50 साल में 'लापता हुईं' 14 करोड़ 26 लाख महिलाओं में से चार करोड़ 58 लाख महिलाएं भारत की हैं. संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में कहा कि 'लापता महिलाओं' की संख्या चीन और भारत में सर्वाधिक है.

लापता हुई महिलाओं
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Published : Jul 1, 2020, 9:21 PM IST

संयुक्त राष्ट्र : दुनिया भर में पिछले 50 साल में 'लापता हुईं' 14 करोड़ 26 लाख महिलाओं में से चार करोड़ 58 लाख महिलाएं भारत की हैं. संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में कहा कि 'लापता महिलाओं' की संख्या चीन और भारत में सर्वाधिक है.

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) द्वारा मंगलवार को जारी ‘वैश्विक आबादी की स्थिति 2020’ रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 50 वर्षों में लापता हुईं महिलाओं की संख्या दोगुनी हो गई है. यह संख्या 1970 में छह करोड़ 10 लाख थी और 2020 में बढ़कर 14 करोड़ 26 लाख हो गई है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में 2020 तक चार करोड़ 58 लाख और चीन में सात करोड़ 23 लाख महिलाएं लापता हुई हैं.

रिपोर्ट में प्रसव के पूर्व या प्रसव के बाद लिंग निर्धारण के संचयी प्रभाव के कारण लापता लड़कियों को भी इसमें शामिल किया गया है.

लापता महिलाएंवार्षिक महिला मृत्यु दर2020 में जन्म लेते लापता हुईं बच्चियां
विश्व में - 14.26 करोड़विश्व में - 17.1 लाखविश्व में - 15 लाख
भारत में - 4.58 करोड़भारत में - 3.60 लाखभारत में - 5.90 लाख
इसमें कहा गया है, '2013 से 2017 के बीच भारत में करीब चार लाख 60 हजार बच्चियां हर साल जन्म के समय ही 'लापता' हो गईं. एक विश्लेषण के अनुसार कुल लापता लड़कियों में से करीब दो तिहाई मामले और जन्म के समय होने वाली मौत के एक तिहाई मामले लैंगिक आधार पर भेदभाव के कारण लिंग निर्धारण से जुड़े हैं.'
रिपोर्ट में विशेषज्ञों की ओर से मुहैया कराए गए आंकड़ों के हवाले से कहा गया है कि लैंगिक आधार पर भेदभाव की वजह से (जन्म से पूर्व) लिंग चयन के कारण दुनियाभर में हर साल लापता होने वाली अनुमानित 12 लाख से 15 लाख बच्चियों में से 90 से 95 प्रतिशत चीन और भारत की होती हैं.
इसमें कहा गया है कि प्रतिवर्ष जन्म की संख्या के मामले में भी ये दोनों देश सबसे आगे है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारों ने लिंग चयन के मूल कारण से निपटने के लिए कदम उठाए हैं. भारत और वियतनाम ने लोगों की सोच को बदलने के लिए मुहिम शुरू की हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि लड़कियों के बजाय लड़कों को प्राथमिकता देने के कारण कुछ देशों में महिलाओं और पुरुषों के अनुपात में बड़ा बदलाव आया है और इस जनसांख्यिकीय असंतुलन का विवाह प्रणालियों पर निश्चित ही असर पड़ेगा. चीन और भारत में जन्म के समय लिंगानुपात में असंतुलन पहली बार 1980 के दशक में देखा गया था.
उसने कहा कि कुछ अध्ययनों में यह सुझाव दिया गया है कि भारत में संभावित दुल्हनों की तुलना में संभावित दूल्हों की संख्या बढ़ने संबंधी स्थिति 2055 में सबसे खराब होगी. भारत में 50 की उम्र तक एकल रहने वाले पुरुषों के अनुपात में 2050 के बाद 10 फीसदी तक वृद्धि का अनुमान जताया गया है.

मैरिज स्क्वीज

इस स्थिति में पुरुषों की संख्या महिलाओं की तुलना में ज्यादा होती है. यह अंतर कुछ देशों में पहले से ही है और यह निम्न आय वर्ग के लोगों में देखा गया है.

कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि मैरिज स्क्वीज चीन में 2030 और 2055 के बीच अपने चरम पर होगी. वहीं भारत में 2055 में चरम पर पहुंच जाएगा. पुरुषों की संख्या जो 50 साल की उम्र में अब भी एकल हैं, चीन और भारत में 2050 के बाद क्रमशः 15 और 10 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है. हाल के शोध ने पहले ही चीन और भारत में अनैच्छिक रूप से एकल पुरुषों की बढ़ती संख्या देखी है.

बाल विवाह

बाल विवाह दुनिया के कई हिस्सों में एक बड़ी सामाजिक चुनौती है, लेकिन यह मुद्दा दक्षिण एशिया, उप-सहारा अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरेबियन के कुछ हिस्सों में सबसे अधिक गंभीर है.

हालांकि दक्षिण एशियाई देशों की सूची में भारत में बाल विवाह में 50 प्रतिशत की कमी आई है.

यूएनएफपीए के कार्यकारी निदेशक डॉ. नतालिया कनीम का कहना है कि लड़कियों के खिलाफ हानिकारक प्रथाएं सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं जिसकी वजह से उन्हें पूर्ण विकास का मौका नहीं मिलता.

संयुक्त राष्ट्र : दुनिया भर में पिछले 50 साल में 'लापता हुईं' 14 करोड़ 26 लाख महिलाओं में से चार करोड़ 58 लाख महिलाएं भारत की हैं. संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में कहा कि 'लापता महिलाओं' की संख्या चीन और भारत में सर्वाधिक है.

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) द्वारा मंगलवार को जारी ‘वैश्विक आबादी की स्थिति 2020’ रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 50 वर्षों में लापता हुईं महिलाओं की संख्या दोगुनी हो गई है. यह संख्या 1970 में छह करोड़ 10 लाख थी और 2020 में बढ़कर 14 करोड़ 26 लाख हो गई है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में 2020 तक चार करोड़ 58 लाख और चीन में सात करोड़ 23 लाख महिलाएं लापता हुई हैं.

रिपोर्ट में प्रसव के पूर्व या प्रसव के बाद लिंग निर्धारण के संचयी प्रभाव के कारण लापता लड़कियों को भी इसमें शामिल किया गया है.

लापता महिलाएंवार्षिक महिला मृत्यु दर2020 में जन्म लेते लापता हुईं बच्चियां
विश्व में - 14.26 करोड़विश्व में - 17.1 लाखविश्व में - 15 लाख
भारत में - 4.58 करोड़भारत में - 3.60 लाखभारत में - 5.90 लाख
इसमें कहा गया है, '2013 से 2017 के बीच भारत में करीब चार लाख 60 हजार बच्चियां हर साल जन्म के समय ही 'लापता' हो गईं. एक विश्लेषण के अनुसार कुल लापता लड़कियों में से करीब दो तिहाई मामले और जन्म के समय होने वाली मौत के एक तिहाई मामले लैंगिक आधार पर भेदभाव के कारण लिंग निर्धारण से जुड़े हैं.'
रिपोर्ट में विशेषज्ञों की ओर से मुहैया कराए गए आंकड़ों के हवाले से कहा गया है कि लैंगिक आधार पर भेदभाव की वजह से (जन्म से पूर्व) लिंग चयन के कारण दुनियाभर में हर साल लापता होने वाली अनुमानित 12 लाख से 15 लाख बच्चियों में से 90 से 95 प्रतिशत चीन और भारत की होती हैं.
इसमें कहा गया है कि प्रतिवर्ष जन्म की संख्या के मामले में भी ये दोनों देश सबसे आगे है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारों ने लिंग चयन के मूल कारण से निपटने के लिए कदम उठाए हैं. भारत और वियतनाम ने लोगों की सोच को बदलने के लिए मुहिम शुरू की हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि लड़कियों के बजाय लड़कों को प्राथमिकता देने के कारण कुछ देशों में महिलाओं और पुरुषों के अनुपात में बड़ा बदलाव आया है और इस जनसांख्यिकीय असंतुलन का विवाह प्रणालियों पर निश्चित ही असर पड़ेगा. चीन और भारत में जन्म के समय लिंगानुपात में असंतुलन पहली बार 1980 के दशक में देखा गया था.
उसने कहा कि कुछ अध्ययनों में यह सुझाव दिया गया है कि भारत में संभावित दुल्हनों की तुलना में संभावित दूल्हों की संख्या बढ़ने संबंधी स्थिति 2055 में सबसे खराब होगी. भारत में 50 की उम्र तक एकल रहने वाले पुरुषों के अनुपात में 2050 के बाद 10 फीसदी तक वृद्धि का अनुमान जताया गया है.

मैरिज स्क्वीज

इस स्थिति में पुरुषों की संख्या महिलाओं की तुलना में ज्यादा होती है. यह अंतर कुछ देशों में पहले से ही है और यह निम्न आय वर्ग के लोगों में देखा गया है.

कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि मैरिज स्क्वीज चीन में 2030 और 2055 के बीच अपने चरम पर होगी. वहीं भारत में 2055 में चरम पर पहुंच जाएगा. पुरुषों की संख्या जो 50 साल की उम्र में अब भी एकल हैं, चीन और भारत में 2050 के बाद क्रमशः 15 और 10 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है. हाल के शोध ने पहले ही चीन और भारत में अनैच्छिक रूप से एकल पुरुषों की बढ़ती संख्या देखी है.

बाल विवाह

बाल विवाह दुनिया के कई हिस्सों में एक बड़ी सामाजिक चुनौती है, लेकिन यह मुद्दा दक्षिण एशिया, उप-सहारा अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरेबियन के कुछ हिस्सों में सबसे अधिक गंभीर है.

हालांकि दक्षिण एशियाई देशों की सूची में भारत में बाल विवाह में 50 प्रतिशत की कमी आई है.

यूएनएफपीए के कार्यकारी निदेशक डॉ. नतालिया कनीम का कहना है कि लड़कियों के खिलाफ हानिकारक प्रथाएं सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं जिसकी वजह से उन्हें पूर्ण विकास का मौका नहीं मिलता.

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