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प्लाज्मा थेरेपी से नहीं रुक रही कोविड मुत्यु दर : अध्ययन - कोविड मुत्यु दर

कोरोना महामारी के दौरान प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना संक्रमण का इलाज लोगों के लिए उम्मीद की किरण बनकर सामने आया था, लेकिन आईसीएमआर के एक अध्ययन से पता चला है कि प्लाज्मा थेरेपी उम्मीदों के अनुसार परिणाम देती नजर नहीं आ रही है.

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Published : Sep 9, 2020, 9:27 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:30 PM IST

नई दिल्ली: कोविड 19 के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी बहुत अधिक कारगर साबित नहीं हो रहा है. आईसीएमआर के एक अध्ययन में पता चला है कि प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना का इलाज बहुत प्रभावी नहीं है. प्लाज्मा से कोरोना के इलाज को लेकर लोगों में उम्मीद थी कि इससे कोविड मृत्यु दर में कमी आएगी और रिकवरी रेट बढ़ेगा.

पूरे भारत में 39 सार्वजनिक और निजी अस्पतालों में यह अध्ययन किया गया. अध्ययन में पता चला कि कोरोना संक्रमितों में मृत्यु दर के जोखिम को कम करने में कॉन्सवेसेंट प्लाज्मा थेरेपी लाभकारी नहीं दिखी है.

25 शहरों का प्रतिनिधित्व करने वाले 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के 39 अस्पतालों (29 सार्वजनिक और 10 निजी) में आईसीएमआर का यह अध्ययन किया गया था. 39 परीक्षण स्थलों पर भर्ती किए गए कुल 1210 रोगियों की 22 अप्रैल से 14 जुलाई के बीच जांच की गई. परीक्षण के परिणामों से पता चलता है कि 28 दिन के बीच कोरोना मृत्यु दर या सीपी के इलाज वाले हल्के कोविड रोगियों पर कोई अंतर नहीं दिखा.

इस थेरेपी में एंटीबॉडीज (antibody) और इम्युनोमोड्यूलेटर्स (immunomodulators) को निष्क्रिय करने के एक स्रोत के रूप में कॉन्सवेल्स प्लाज्मा (सीपी) एक सदी पुराना चिकित्सीय विकल्प है, जिसका उपयोग वायरल रोग के प्रबंधन के लिए किया जाता है. अध्ययन के निष्कर्ष में कहा गया कि कॉन्सवेसेंट प्लाज्मा का कुछ खास लाभ कोरोना मृत्यु दर को कम करने में नहीं देखा गया.

हल्के लक्षण वाले कोरोना रोगियों में सीपी के प्रयोग की गया, जिस कारण गंभीर कोरोना रोगियों पर इसका प्रभाव नहीं दिख सका.

इससे पहले चीन और नीदरलैंड में दो अध्ययन किए गए थे. दोनों अध्ययन को रोक दिया गया. चीन में अपर्याप्त रोगी नामांकन के कारण इस अध्ययन को रोका गया, तो वहीं नीदरलैंड में इसके परीक्षण को फिर से डिजाइन करने की आवश्यकता के रोका गया.

पढ़ें- जानें, क्या है प्लाज्मा थेरेपी और क्या कहते हैं विशेषज्ञ

डच अध्ययन ने कॉन्सवेल्स प्लाज्मा (सीपी ) चिकित्सा के लिए उपयुक्त उम्मीदवारों की पहचान करने में संभावित कारक के रूप में रोगियों के पूर्व-संक्रमण विरोधी शरीर की स्थिति के बारे में अनिश्चितताओं को उठाया.

हालांकि सीपी थेरेपी को विभिन्न देशों में इलाज के लिए रेगुलेटरी अथॉरिटी के परमिशन के बाद व्यापक रूप से अपनाया गया. इसका उपयोग कोविड रोगियों के साथ रोग की गंभीरता के व्यापक स्पेक्ट्रम के इलाज के लिए किया जा रहा था.

ईटीवी भारत से बात करते हुए मेडीयर हॉस्पिटल के चेयपमैन डॉ. तमोरिश कोले ने कहा कि सीपी थेरेपी कोविड के लिए एक जादुई गोली नहीं है. प्लेसीड के परीक्षण के परिणाम बताते हैं कि सीपी मृत्यु दर में कमी और गंभीर बीमारी के रिकवरी से जुड़ा नहीं था.

नई दिल्ली: कोविड 19 के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी बहुत अधिक कारगर साबित नहीं हो रहा है. आईसीएमआर के एक अध्ययन में पता चला है कि प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना का इलाज बहुत प्रभावी नहीं है. प्लाज्मा से कोरोना के इलाज को लेकर लोगों में उम्मीद थी कि इससे कोविड मृत्यु दर में कमी आएगी और रिकवरी रेट बढ़ेगा.

पूरे भारत में 39 सार्वजनिक और निजी अस्पतालों में यह अध्ययन किया गया. अध्ययन में पता चला कि कोरोना संक्रमितों में मृत्यु दर के जोखिम को कम करने में कॉन्सवेसेंट प्लाज्मा थेरेपी लाभकारी नहीं दिखी है.

25 शहरों का प्रतिनिधित्व करने वाले 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के 39 अस्पतालों (29 सार्वजनिक और 10 निजी) में आईसीएमआर का यह अध्ययन किया गया था. 39 परीक्षण स्थलों पर भर्ती किए गए कुल 1210 रोगियों की 22 अप्रैल से 14 जुलाई के बीच जांच की गई. परीक्षण के परिणामों से पता चलता है कि 28 दिन के बीच कोरोना मृत्यु दर या सीपी के इलाज वाले हल्के कोविड रोगियों पर कोई अंतर नहीं दिखा.

इस थेरेपी में एंटीबॉडीज (antibody) और इम्युनोमोड्यूलेटर्स (immunomodulators) को निष्क्रिय करने के एक स्रोत के रूप में कॉन्सवेल्स प्लाज्मा (सीपी) एक सदी पुराना चिकित्सीय विकल्प है, जिसका उपयोग वायरल रोग के प्रबंधन के लिए किया जाता है. अध्ययन के निष्कर्ष में कहा गया कि कॉन्सवेसेंट प्लाज्मा का कुछ खास लाभ कोरोना मृत्यु दर को कम करने में नहीं देखा गया.

हल्के लक्षण वाले कोरोना रोगियों में सीपी के प्रयोग की गया, जिस कारण गंभीर कोरोना रोगियों पर इसका प्रभाव नहीं दिख सका.

इससे पहले चीन और नीदरलैंड में दो अध्ययन किए गए थे. दोनों अध्ययन को रोक दिया गया. चीन में अपर्याप्त रोगी नामांकन के कारण इस अध्ययन को रोका गया, तो वहीं नीदरलैंड में इसके परीक्षण को फिर से डिजाइन करने की आवश्यकता के रोका गया.

पढ़ें- जानें, क्या है प्लाज्मा थेरेपी और क्या कहते हैं विशेषज्ञ

डच अध्ययन ने कॉन्सवेल्स प्लाज्मा (सीपी ) चिकित्सा के लिए उपयुक्त उम्मीदवारों की पहचान करने में संभावित कारक के रूप में रोगियों के पूर्व-संक्रमण विरोधी शरीर की स्थिति के बारे में अनिश्चितताओं को उठाया.

हालांकि सीपी थेरेपी को विभिन्न देशों में इलाज के लिए रेगुलेटरी अथॉरिटी के परमिशन के बाद व्यापक रूप से अपनाया गया. इसका उपयोग कोविड रोगियों के साथ रोग की गंभीरता के व्यापक स्पेक्ट्रम के इलाज के लिए किया जा रहा था.

ईटीवी भारत से बात करते हुए मेडीयर हॉस्पिटल के चेयपमैन डॉ. तमोरिश कोले ने कहा कि सीपी थेरेपी कोविड के लिए एक जादुई गोली नहीं है. प्लेसीड के परीक्षण के परिणाम बताते हैं कि सीपी मृत्यु दर में कमी और गंभीर बीमारी के रिकवरी से जुड़ा नहीं था.

Last Updated : Sep 10, 2020, 12:30 PM IST
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