हैदराबाद : हैदराबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ ने 2020-2021 के एमफिल और पीएचडी साक्षात्कार के लिए प्रवेश परीक्षा में न्यूनतम अंक मानदंड अपनाने के निरंकुश फैसले की निंदा की है. छात्रसंघ ने अनिश्चित समय तक इसके विरोध में भूख हड़ताल करने का फैसला किया है.
छात्रसंघ 2019-20 के अध्यक्ष अभिषेक नंदन ने एक बयान में कहा कि इस फैसले से विश्वविद्यालय में उन छात्रों के लिए प्रवेश पाना मुश्किल हो जाएगा, जो विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों से संबंधित नहीं हैं. उन्होंने कहा कि छात्रसंघ इस रवैये की कड़ी निंदा करता है और भेदभावपूर्ण योग्यता मानदंडों को अपनाने को पूरी तरह खारिज करता है. हम मांग करते हैं कि उम्मीदवारों को 1:6 अनुपात में साक्षात्कार के लिए बुलाया जाए और कोई सीट खाली न रहे.
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हैदराबाद विश्वविद्यालय ने 16 अक्टूबर को वर्ष 2020-2021 का प्रवेश परीक्षा परिणाम घोषित किया. नंदन के अनुसार 71 सीटें खाली रह गईं. इनमें से 64 आरक्षित श्रेणियों से संबंधित हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी उम्मीदवार को तीन विभागों में साक्षात्कार के लिए नहीं चुना गया. नंदन ने कहा कि छात्रसंघ ने इस मुद्दे पर पहले ही ध्यान दिलाया था और इस बात का विवरण दिया था कि न्यूनतम अंक मानदंड कितना भेदभावपूर्ण है. कुलपति ने इस बारे में संघ के प्रतिनिधियों से मिलने तक से इनकार कर दिया. छात्रसंघ को विरोध के लिए मजबूर किया गया है.
17 अक्टूबर को सुबह से ही विश्वविद्यालय के प्रशासनिक ब्लॉक पर छात्रसंघ हड़ताल पर बैठ गया है. छात्रसंघ का मकसद न्यूनतम अंक मानदंड हटवाना और 1: 6 मानदंड को फिर से लागू कराना है. जब तक इस कसौटी को कायम नहीं किया जाता है, तब तक विरोध को वापस नहीं बुलाया जाएगा. संघ ने इस पर अनिश्चितकालीन हड़ताल करने का फैसला किया है.